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दलित-ठाकुर विवाद के बाद हुई शादी, 350 पुलिसकर्मियों के पहरे में आया दूल्हा
हाईलाइट
- उत्तरप्रदेश के कासंगज में दलित-ठाकुर विवाद के बाद हुई शादी
- रविवार को 350 पुलिसकर्मियों की निगरानी में हुआ विवाह
- बग्घी में बैठकर मंडप तक आया दूल्हा
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कासगंज में चर्चित दलित-ठाकुर विवाद का अखिरकार निपटारा हो गया जिसके बाद दलित दूल्हे की घोड़े पर चढ़कर शादी के मंडप तक पहुंचने की मुराद पूरी हो हो गई। रविवार को 350 पुलिसकर्मियों की निगरानी में धूमधाम से विवाह संपन्न हुआ। दरअसल दलित दूल्हे संजय की इच्छा थी कि वह घोड़ी पर बैठकर ही विवाह मंडप तक जाये, लेकिन गांव के ठाकुरों को यह कतई मंज़ूर नहीं था। छह महीने तक चले विवाद और जद्दोजहद के बाद आखिरकार रास्ता निकला और गलत परंपरा को तोड़कर विवाह संपन्न कराया गया।
ठाकुर नही चाहते थे बारात गांव में घूमें
दरअसल, जनवरी माह में निजामपुर गांव की शीतल की शादी सिकंदराराऊ के गांव बसई के रहने वाले अनुसूचित जाति के युवक संजय जाटव (27) के साथ तय हुई थी। इस शादी को लेकर गांव में भारी विवाद और तनाव के हालात पैदा हो गए क्योंकि दूल्हा संजय चाहते थे कि वह घोड़ी पर बैठकर पूरे गांव में बारात घुमाए पर ठाकुर समाज के लोग इस बात का विरोध कर रहे थे। ठाकुरों का कहना था कि यह गांव की परंपरा के खिलाफ है और बेवजह परंपरा तोड़ गांव में बारात घुमाने की बात की जा रही है।
प्रशासन ने अभूतपूर्व इंतजाम किए
इस बहुचर्चित विवाह को शांतीपूर्ण संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने खासे इंतजाम किए थे। बारात के भ्रमण के लिए खास रूट भी तैयार किया गया था। बारात के गुजरने वाली रोड और घरों की छतों पर पुलिस और पीएसी के जवान तैनात थे। बारात 350 से अधिक जवानों की निगरानी आगे बढ़ रही थी। एडीएम, एएसपी सहित तमाम अधिकारी शादी पूरी होने तक मौजूद रहे।
गांव में त्यौहार जैसा माहौल
छावनी बने गांव में उत्सव का माहौल नज़र आ रहा था।गाजे-बाजों के साथ मंगल गीत गाए जा रहे थे। गांव के बाहर स्वागत द्वार भी बनाया गया और दलित समाज के लोगों ने हाथरस से आई बारात का जोर-शोर से स्वागत किया। घोड़ा-बग्घी पर दूल्हे संजय सवार थे और बैंड-बाजों की धुनों पर बाराती नाचते हुए चल रहे थे। दलित समुदाय को इस विवाह का कई महीनों से इंतजार था।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।