मप्र में भाजपा और कांग्रेस के भीतर जारी है संग्राम

The struggle is going on within BJP and Congress in MP
मप्र में भाजपा और कांग्रेस के भीतर जारी है संग्राम
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भोपाल 29 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले ही सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल कांग्रेस के भीतर ही संग्राम के हालात बन रहे हैं। दोनों ही दलों में कुछ क्षत्रपों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है और वे लामबंदी में जुट गए हैं।

राज्य में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देते हुए 15 साल बाद सत्ता हासिल की थी, मगर वह सिर्फ 15 महीने ही सत्ता में रह पाई और उसे आपसी द्वंद्व के चलते सत्ता से बाहर होना पड़ा।

लगभग 15 महीने तक सत्ता से बाहर रहने के बाद भाजपा सत्ता में लौटी है, मगर इस बार के हालात पिछले कार्यकाल जैसे नहीं हैं। कई दावेदार सत्ता में हिस्सेदारी चाहते थे, मगर कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं के त्याग की भरपाई ने उनके हक पर डाका डाल दिया।

भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी न मिलने से नेता में असंतोष लगातार बढ़ रहा है और उन्होंने पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के नेतृत्व में बैठक कर डाली है। वे जल्दी ही दूसरी बैठक करने की तैयारी में है। शर्मा का कहना है कि कई नेताओं में उपेक्षा को लेकर नाराजगी है। इतना ही नहीं, पूर्व मंत्री अजय विश्नोई जैसे वरिष्ठ नेता सरकार को सीधे तौर पर घेरने में लगे हैं।

एक तरफ जहां भाजपा में सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर संग्राम छिड़ा हुआ है तो दूसरी ओर कांग्रेस में युवा वर्ग का नेतृत्व करने को लेकर घमासान मच गया है। कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के पुत्र और छिंदवाड़ा से सांसद नकुल नाथ का एक बयान आया कि युवाओं का नेतृत्व मैं करूंगा। फिर क्या था! कांग्रेस में बयानबाजी का सिलसिला शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर जीतू पटवारी के समर्थन में नारों का दौर चल पड़ा।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष जीतू पटवारी इसे भाजपा प्रायोजित बता रहे हैं, मगर पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा ने तो यहां तक कह दिया है कि पहले हमें उपचुनाव जीतना है उसके बाद ही पटवारी, तहसीलदार और कलेक्टर की बात बात होगी।

राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि आगामी समय में विधानसभा के उपचुनाव होने वाले हैं और दोनों राजनीतिक दलों में महत्वाकांक्षा वाले नेताओं की कमी नहीं है। कोई अपनी वरिष्ठता का हवाला देकर महत्व चाहता है तो कोई युवाओं की बात करके अपना कद बनाए रखना चाहता है, इसलिए आने वाले समय में दोनों ही दलों में मोर्चाबंदी तेज हो जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए।

Created On :   29 July 2020 3:30 PM GMT

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