भाजपा ने इस तरह बुना कमलनाथ सरकार के लिए चक्रव्यूह!

This is how the BJP chakravyuh for the Buna Kamal Nath government!
भाजपा ने इस तरह बुना कमलनाथ सरकार के लिए चक्रव्यूह!
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नई दिल्ली, 11 मार्च (आईएएनएस)। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ग्वालियर चंबल संभाग में शानदार प्रदर्शन की वजह ज्योतिरदित्य सिंधिया थे। इसी वजह से भाजपा विधानसभा चुनाव में बहुमत से दूर रह गई। तभी से भाजपा आलाकमान, खासकर अमित शाह की सिंधिया पर नजर थी और शाह लोकसभा चुनाव में ज्योतिरदित्य सिंधिया को पटकनी देने की पटकथा पर काम करने लगे।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि तभी से अमित शाह रणनीति बनाने में जुट गए। एक समय तो मणिकर्णिका फिल्म की हीरोइन रहीं कंगना रनौत को सिंधिया के सामने उतारने की रणनीति बनाई गई, लेकिन कंगना पीछे हट गईं। हालांकि शाह ने चुनाव में सिंधिया को उनके ही निजी सचिव रहे के. पी. यादव से पटकनी दिला दी।

लगभग छह महीने पहले ही अमित शाह को शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया कि सिंधिया कांग्रेस में अपमानित महसूस कर रहे हैं और बार-बार कह रहे हैं कि कमलनाथ-दिग्विजय की जोड़ी मेरी राजनीति खत्म कर रही है। अमित शाह ने तुरंत भाजपा के इन दोनों नेताओं को सिंधिया को संदेश भेजने को कहा। तब से सिंधिया को इशारों में संदेश दिया जाने लगा।

जब कांग्रेस ने सिंधिया को राज्यसभा सीट भी नहीं देने का मन बनाया तो शाह ने सोचा कि हथौड़ा गरम है, सही चोट किया जाए। चोट किया गया और हथौड़ा सही जगह लग गया।

सबसे पहले शिवराज और सिंधिया की मुलाकात हुई। उस मुलाकात में शिवराज ने भरोसा दिलाया कि आपके सम्मान की रक्षा होगी। इसी बैठक में ज्योतिरादित्य की अमित शाह से बात कराई गई।

अमित शाह ने भी सिंधिया को भरोसा दिया। सिंधिया को बोला गया कि अपने गुट के भरोसेमंद विधायक अपने साथ जोड़ें।

अमित शाह ने इस ऑपेरशन के लिए चार नेताओं को कमान सौंपी। मध्यप्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान और नरेंद्र सिंह तोमर। हालांकि नरेंद्र सिंह तोमर की राजनीति सिंधिया परिवार के विरोध की रही है, लेकिन शाह ने उन्हें समझाया कि मध्यप्रदेश के लक्ष्य के लिए सिंधिया को साथ लेना होगा, वरना एक-दो विधायकों के सहारे सरकार बनाना मुश्किल होगा। इसके बाद तोमर भी इस काम मे जुट गए।

ज्योतिरादित्य से इन नेताओं की मुलाकात गुपचुप तरीके से होती रही। शिवराज एक सप्ताह से दिल्ली में डेरा डाले थे। गोपनीयता का ध्यान रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार के गेस्ट हाउस में रुकने के बजाय वह हरियाणा सरकार के गेस्ट हाउस में रुके। वहीं पर ज्योतिरादित्य और शिवराज की मुलाकात हुई।

नेताओं की बैठकें बिना सुरक्षा गार्ड के गोपनीय स्थानों पर होती रहीं। ज्यादातर जगह सिंधिया खुद ड्राइव कर जाते रहे। यह भी तय किया गया सारा ऑपरेशन खुद सिंधिया करें।

पहला प्रयास गुरुग्राम में किया गया, लेकिन यहां विधायकों को लाने की भनक कांग्रेस नेताओं को लग गई। इसके बाद भाजपा नेताओं ने सबकुछ बारीकी से तय करना शुरू किया।

असल में गुरुग्राम होटल मामले को सिर्फ सिंधिया देख रहे थे। उन विधायकों के पहुंचने के अगले दिन शेष विधायक आने थे, लेकिन बात लीक हो गई और सक्रिय दिग्विजय ने खेल खराब कर दिया। इसके चलते एक सप्ताह का और वक्त लगा और गोपनीयता पर फोकस किया गया।

एक एक विधायक को विश्वास में लिया गया। भाजपा नेताओं के बाद खुद सिंधिया ने एक साथ सभी विधायकों का दो घंटे का सेशन लिया। उसके बाद सभी बेंगलुरू रवाना हुए।

विधायकों को बताया गया कि अगर कमलनाथ सरकार काम नहीं कर रही है तो वे अगला चुनाव हारेंगे ही। बेहतर है ऐसी सरकार लाएं, जिसमें उनकी सुनी जाए। इस्तीफे के बाद टिकट और जीत का भरोसा दिया गया।

ऑपरेशन में चर्चित नामों के बजाय सामान्य कार्यकर्ताओं और नेताओं के सहारे विधायकों को जोड़ा गया, जिससे शक न हो।

दिग्विजय, कमलनाथ के इस भ्रम का फायदा उठाया गया, जिसमें वे सोचने लगे थे कि गुरुग्राम लीकेज और असफलता के बाद अब कुछ माह सब शांत रहेगा।

Created On :   11 March 2020 2:30 PM IST

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