शीर्ष अफगान शांति वार्ताकार ने मोदी से की मुलाकात
- शीर्ष अफगान शांति वार्ताकार ने मोदी से की मुलाकात
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान के शीर्ष शांति वार्ताकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने यहां गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की।
अफगान वार्ता के प्रमुख प्रतिनिधि अब्दुल्ला के साथ मोदी की बैठक आतंकवादी समूह पर भारत की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भारत पारंपरिक रूप से अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित तालिबान का विरोध करता रहा है। तालिबान के शासन के उत्पीड़न के कारण हजारों अफगानिस्तानी भारत में शरण लिए हुए हैं।
भारत काबुल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के समर्थन में रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी क्षेत्र में एक अच्छे संबंध साझा करते हैं।
पिछले साल के राष्ट्रपति चुनावों के बाद, गनी और अब्दुल्ला दोनों ने जीत का दावा किया था। विवादित चुनाव परिणामों ने महीनों तक एक राजनीतिक गतिरोध पैदा किया, जो अंतत: इस साल मई में अब्दुल्ला और गनी के बीच एक शक्ति-साझाकरण व्यवस्था के बाद समाप्त हुआ।
गनी राष्ट्रपति बने रहे, लेकिन अब्दुल्ला राष्ट्रीय सुलह उच्च परिषद के प्रमुख बनें, जो एक ऐसा संगठन है, जो तालिबान के साथ शांति वार्ता में लगा हुआ है।
जून में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि न तालिबान और अलकायदा न केवल एक-दूसरे के साथ सहयोग करना जारी रखते हैं, बल्कि कश्मीर की शांति भंग करने के लिए प्रयारस रहने वाले पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए अपने प्रशिक्षकों को अफगानिस्तान भेज रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 6,500 पाकिस्तानी आतंकवादी, जिनमें जेईएम और लश्कर के 1,000 लड़ाके शामिल हैं, अफगानिस्तान में मौजूद हैं।
इसके बाद पेंटागन की भी इसी तरह एक रिपोर्ट सामने आई।
तालिबान को पाकिस्तानी सेना के समर्थन के कारण काबुल के इस्लामाबाद के साथ लंबे समय से खराब संबंध रहे हैं।
पिछले महीने अब्दुल्ला ने पाकिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने घोषणा की कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान आपसी सम्मान, सहयोग और साझा समृद्धि पर आधारित एक नए रिश्ते की दहलीज पर हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सैन्य प्रमुख कमर जावेद बाजवा के साथ अपनी बैठकों में अब्दुल्ला ने वकालत की कि क्षेत्र के पड़ोसी देशों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए।
हालांकि पाकिस्तान की सीमापार आतंकवाद भारत के लिए चिंता का विषय है, लेकिन अब्दुल्ला के साथ मोदी की मुलाकात बताती है कि नई दिल्ली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित गनी और अब्दुल्ला को तालिबान के साथ एक प्रस्ताव पर पहुंचने के लिए अपनी ओर से तैयार है।
तालिबान और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के प्रतिनिधियों के बीच पिछले महीने शुरू हुई इंट्रा-अफगान शांति वार्ता कतर में चल रही है।
19 साल के युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से की गई वार्ता का हालांकि अभी तक कोई परिणाम नहीं निकल सका है।
अफगानिस्तान में, शांति के प्रयासों के बावजूद, बड़े पैमाने पर हिंसा बेरोकटोक जारी है।
एकेके/एएनएम
Created On :   8 Oct 2020 9:01 PM IST