लोकसभा से पास हुआ तीन तलाक बिल, कांग्रेस ने नहीं लिया वोटिंग में हिस्सा
- तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया विधेयक पास हो गया है।
- बिल के पक्ष में 245 वोट पड़े जबकि 11 वोट इसके खिलाफ डाले गए।
- लोकसभा में बिल के पास होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुस्लिम धर्म में प्रचलित एक बार में तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए लोकसभा में पेश किया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 गुरुवार को पास हो गया। बिल के पक्ष में 245 वोट पड़े, जबकि 11 वोट इसके खिलाफ डाले गए। कांग्रेस, AIADMK ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस की मांग थी कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। इसके अलावा सदन में असदुद्दीन ओवैसी के कुछ संशोधन प्रस्ताव भी गिर गए। कई अन्य संशोधन प्रस्तावों को भी मंजूरी नहीं मिली। लोकसभा में बिल के पास होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा से पास होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून की शक्ल ले लेगा और सिंतबर में केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए अध्यादेश की जगह ले लेगा।
The Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill, 2018 passed in Lok Sabha
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) December 27, 2018
#LokSabha #TripleTalaqBill #WinterSession pic.twitter.com/v0R4YXqeOT
तीन तलाक बिल को लेकर ओवैसी की ओर से 4 संशोधन प्रस्ताव लाए गए जो खारिज हो गए। बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब की ओर से भी लाया गया संशोधन प्रस्ताव खारिज हो गया। सांसद प्रेमचंद्रन का संशोधन प्रस्ताव भी सदन में गिर गया।
बता दें कि इससे पहले दिसंबर 2017 में भी लोकसभा में ट्रिपल तलाक का बिल पास हो चुका था, लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के बाद यह राज्यसभा में अटक गया था। विपक्ष चाहता था कि इस बिल में कुछ संशोधन हो। इसके बाद सरकार ने विपक्ष की बात मानते हुए कुछ संशोधन किए भी थे जिसमें जमानत के प्रावधान को भी शामिल किया गया था। बावजूद इसके राजयसभा में ये बिल पास नहीं हो सका था जिसके बाद सरकार को सितंबर में अध्यादेश लाना पड़ा था। अध्यादेश को बदलने के लिए 17 दिसंबर को लोकसभा में नया बिल लाया गया था। अध्यादेश में लाए गए संशोधनों को स्थायी कानून बनाने के लिए सरकार नए सिरे से इस बिल को लेकर आई है। प्रस्तावित कानून में ट्रिपल तलाक को दंडनीय अपराध माना गया है। इस कानून के बनने के बाद ट्रिपल तलाक देना अवैध और शून्य हो जाएगा। इतना ही नहीं तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल भी होगी।
एक अध्यादेश 6 महीनों के लिए ही वैद्य होता है, लेकिन सरकार इससे पहले ही नया बिल लेकर आ गई है। अब सरकार के बाद 42 दिनों (छह हफ्ते) का वक्त है। अगर इस समय में ये बिल पास नहीं हो पाता है तो फिर सरकार के पास दोबारा इस अध्यादेश को लागू करने करने की छूट होगी।
नए बिल में सरकार ने जो बदलाव किए गए है उसमें FIR तभी दर्ज की जाएगी जब पत्नी या कोई नजदीकी रिश्देदार इसकी शिकायत करें। विपक्ष की आपत्ति के बाद बिल में ये भी संशोधन किया गया है कि पति और पत्नी के बीच उचित टर्म मैजिस्ट्रेट समझौता कर सकते हैं। इसके अलावा ट्रिपल तलाक गैर जमानती अपराध तो बना रहेगा, लेकिन मजिस्ट्रेट चाहे तो इसमें जमानत दे सकता है। हालांकि इससे पहले पत्नी की सुनवाई करनी होगी।
Created On :   27 Dec 2018 7:13 PM IST