बीजेपी कार्यकर्ताओं ने त्रिपुरा में बुल्डोजर से ढहा दी व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति
डिजिटल डेस्क, दक्षिण त्रिपुरा। त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का "कमल" क्या खिला राज्य में तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आने लगी। बीजेपी समर्थकों ने दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया कॉलेज स्क्वायर में रुसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति को बुल्डोजर की मदद से तोड़ दिया। इस पूरी घटना का वीडियो भी कैमरों में कैद हो गया, लेकिन इसके बाद भी बीजेपी के समर्थकों ने मूर्ति तोड़ने का काम जारी रखा। व्लादिमीर लेनिन की मूर्ति तोड़े जाने के बाद से वामपंथी दल नाराज है। सीपीएम जहां इसे कम्यूनिस्ट फोबिया का एक उदाहरण बताया तो वहीं BJP ने इसे कम्युनिस्टों के खिलाफ लोगों के गुस्सा बताया है।
भारत माता की जय के नारे भी लगाए गए
बता दें कि लेनिन की मूर्ति ढहाते वक्त बीजेपी समर्थक भारत माता की जय के नारे भी लगा रहे थे। इस घटना पर सीपीआई(एम) ने नाराजगी जताई है। सीपीआई(एम) ने ट्वीट किया, "त्रिपुरा में चुनाव जीतने के बाद हुई हिंसा प्रधानमंत्री के लोकतंत्र पर भरोसे के दावों का मजाक है। त्रिपुरा में जो हो रहा है वह डर और असुरक्षा की भावना को वामपंथी और समर्थकों के बीच फैलाने की कोशिश है।"
बताया जा रहा है कि मूर्ती से सिर को तोड़कर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इससे फुटबॉल खेली। वहीं इस पूरी घटना के दौरान जेसीबी चला रहे आशीष पाल को इस घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया। हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई। ये मूर्ति साल 2013 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लगाई गई थी। इसे बनाने में तीन लाख रुपए का खर्चा आया था। बीजेपी ने तीन दिन पहले ही 60 विधानसभी सीटों वाली त्रिपुरा में 43 सीट जीतकर यहां 25 साल पुरानी लेफ्ट सरकार को बाहर कर दिया है।
25 सालों से सत्ता में रही सीपीआई(एम) ने आरोप लगाया है कि वामपंथी दफ्तरों के साथ कार्यकर्ताओं के घरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। बता दें कि त्रिपुरा में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की है। इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 49 सीटों पर अपना ज़मानत तक नहीं बचा पाई थी जबकि इस बार उन्होंने 20 साल पुरानी माणिक सराकर को सीधे-सीधे पटखनी दी और 35 सीट पर सीधे-सीधे जीत हासिल की है। वहीं सहयोगी दल IPFT (इंडीजनस पीपुल्स फ्रंट) के साथ कुल 43 सीट पर जीत हासिल की है।
रुसी क्रांति के नायक व्लादिमीर लेनिन ने 1893 में रूस के साम्यवादी विचारधारा के प्रचार को प्रारंभ किया था। इस दौरान लेनिन कई बार जेल भी गए और उन्हें निर्वासित भी किया गया। लेनिन की कम्युनिस्ट सिद्धांत और कार्यनीति लेनिनवाद के नाम से जानी जाती है। वामपंथ विचारधारा और कार्यशैली में लेनिन का अहम योगदान है।
Created On :   6 March 2018 8:05 AM IST