UGC NET के सिलेबस में 10 साल बाद होगा बदलाव

ugc will change syllabus of net exam for first time in a decade
UGC NET के सिलेबस में 10 साल बाद होगा बदलाव
UGC NET के सिलेबस में 10 साल बाद होगा बदलाव

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पहली बार अपने सिलेबस में बदलाव करने जा रहा है।  यह बदलाव असिस्टेंट प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) के लिए होगा।  इसके लिए यूजीसी ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन भी कर दिया है। यह विशेषज्ञ समिति उन सभी विषयों के सिलेबस में संशोधन और बदलाव करेगी जिसकी परीक्षा यूजीसी-नेट के तहत होती है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह विशेषज्ञ समिति देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अभी पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम के आधार पर नेट के सिलेबस में बदलाव का ड्राफ्ट तैयार करेगी जिसे आयोग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इसे कब लागू करना है।

यूजीसी के अधिकारी के मुताबिक नेट का मौजूदा सिलेबस 10 साल पुराना है, जबकि इस बीच अधितकर विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में बदलाव हो चुका है। ऐेसे में नेट परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी जब असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर विश्वविद्यालयों में पढ़ाने जाते हैं तो उन्हें अपडेटेड पाठ्यक्रम के मुताबिक छात्रों के पढ़ाने में दिक्कत होती है। इसलिए यूजीसी नेट के सिलेबस में जरूरी बदलाव करेगा ताकि सिलेबस ज्यादा गतिशील और वर्तमान शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम हो

गौरतलब है कि यूजीसी नेट की परीक्षा 90 विषयों के लिए आयोजित कराई जाती है। इन सभी विषयों के सिलेबस में बदलाव के आयोग ने अभी तक 25 विशेषज्ञ समितियों का गठन किया है। आधुनिक पाठ्यक्रम के हिसाब से इन सभी 90 विषयों के सिलेबस संशोधित किए जाएंगे। आयोग के अधिकारिययों का कहना है कि इस कार्य के लिए अभी और विशेषज्ञ समितियों का गठन किया जाएगा

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेट परीक्षा को साल में सिर्फ एक बार आयोजित कराने पर भी विचार कर रहा है। इसे आयोजित कराने वाली संस्था सीबीएसई भी इसे साल में एक बार ही कराने के पक्ष में है। इसके पीछे का एक कारण नेट परीक्षा में कम अभ्यर्थियों का उपस्थित होना बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि नेट परीक्षा के लिए औसतन 6.5 लाख अभ्यर्थी आवेदन करते हैं, जिनमें से औसतन 1.5 लाख अभ्यर्थी ही परीक्षा में शामिल होते हैं। सफल परीक्षार्थियों का औसत भी केवल 3.9 फीसदी ही है।

Created On :   16 Nov 2017 12:01 AM IST

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