मोदी को जन्मदिन पर भेजे 68 पैसे के चेक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आरएसएसएसएस (रायलसीमा सागुनीटी साधना समिति) की ओर से भेजे गए 68 पैसों के चेक इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं। इन्हें भेजते हुए आरएसएसएस ने कहा कि पीएम इसे अपना अपमान न समझें बल्कि हमारी खराब स्थिति को समझें।
दरअसल, आरएसएसएस का मतलब रायलसीमा सागुनीटी साधना समिति है। रायलसीमा क्षेत्र आन्ध्र प्रदेश का एक पिछड़ा इलाका है जहां की जनता काफी तंगहाली में गुजर-बसर करती है।
स्वीकार करें चेक
इन चेक्स के माध्यम से आरएसएसएस ने कहा है कि हम आर्थिक रूप से बेहद कमजोर स्थिति में हैं। इसलिए आपके जन्मदिवस पर केवल 68 पैसे का चेक ही भेजने में समर्थ हैं। कृपया हमारी विनम्रता और इन चेक्स को स्वीकार करें और रायलसीमा की जनता के लिए दुआएं कीजिए।
आरएसएसएस ने सिंचाई में अमल में लाने की मांग की है। साथ कहा है कि आन्ध्र प्रदेश राज्य विभाजन अधिनियम द्वारा किए गए वादों को अमल में लाया जाए। अपनी मांगों पर ध्यान दिलाने के लिए अनेक किसानों ने पीएम को जन्मदिन पर 68 पैसों का चेक भेजा है।
मजबूत बने तो देंगे बड़ा उपहार
आरएसएसएस के अध्यक्ष बोज्जा दसराधा रामिरेड्डी ने इस मामले में कहा कि हमारी आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती,अन्यथा हम पीएम को उपहार में और भी रकम उपहार में दे देते। उन्होंने कहा कि रायसलीमा का विकास दूसरे इलाकों की तर्ज पर ही होना चाहिए। हम वादा करते हैं कि आर्थिक रूप से मजबूत होने पर बड़ी रकम उपहार में भेंट करेंगे।
सूखे की समस्या
रामिरेड्डी ने कहा, कड़प्पा में भी स्टील प्लांट के साथ कई चीज़ों का वादा किया गया था, लेकिन किसी एक को भी अब तक पूरा नहीं किया। रायलसीमा में कृष्णा, तुंगाभद्रा, पेन्ना, चित्रावती जैसी बड़ी नदियां होने के बावजूद भी सूखे की समस्या बनी हुई है। लोग अब भी इससे जूझ रहे हैं।
सिर्फ खानापूर्ति
आरएसएसएस ने चेक के साथ भेजे गए अपने एक पत्र में कहा कि आन्ध्र प्रदेश राज्य विभाजन अधिनियम में रायसलीमा को बुंदेलखंड की तर्ज पर स्पेशल पैकेज देने का वादा किया गया था, लेकिन इससे इतर सिर्फ 50 करोड़ देकर ही खानापूर्ति कर दी गई।
दिल्ली में किया प्रदर्शन
आरएसएसएस के प्रतिनिधि सीलम सुरेंद्र ने कहा कि इससे पहले भी तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली में अपनी मांगाें और समस्याओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन उनकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया। इसलिए विरोध करने ये तरीके अपनाए जा रहे हैं।
Created On :   19 Sept 2017 11:05 AM IST