अयोध्या मामला : SC ने टाली सुनवाई, अब सरकार से अध्यादेश लाने की मांग तेज
- ऐसे में अब ये उम्मीद कम हो गई है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले पर फैसला आए।
- VHP ने सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई टालने के बाद सोमवार को केंद्र सरकार से राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग की।
- अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर टाल दी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर टाल दी है। ऐसे में अब ये उम्मीद कम हो गई है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस मामले पर फैसला आए। हालांकि सरकार के पास अभी भी राम मंदिर निर्माण के विकल्प मौजूद है। पहला विकल्प अध्यादेश लाने का है। दूसरा विकल्प है कि वह शीतकालीन सत्र में बिल लेकर आए। तीसरा विकल्प सरकार के पास ये है कि वह राम मंदिर को लेकर विशेष सत्र बुलाए। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सोमवार को केंद्र सरकार से राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाने की मांग की। बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना और शिया वक्फ बोर्ड ने भी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
VHP प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को शीतकालीन सत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। वहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई टालने को लेकर कहा कि इससे फैसला आने में देरी होगी। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद अब अपने आंदोलन को और भी ज्यादा तेज करेगी। उधर, महंत परमहंस दास ने एक महीने के अंदर सरकार से राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो फिर से अनशन पर बैठेंगे और आत्मदाह कर लेंगे। बता दें कि पिछली बार जब वह अनशन पर बैठे थे तब सरकार ने उन्हें जबरन उठाकर अस्पताल में भर्ती करा दिया था।
शिवसेना के संजय राउत ने कहा, कोर्ट के फैसले पर हमारा ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा "जब बाबरी का ढांचा डहाया गया था उस वक्त कोर्ट से परमिशन नहीं ली गई थी। कोर्ट से अनुमति लेकर कारसेवक मारे नहीं गए थे। हम चाहते हैं राम मंदिर बनाया जाए। हम कराची-पाकिस्तान में राम मंदिर की मांग नहीं कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे अयोध्या में जाकर अपनी बात रखेंगे।"
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमेन वसीम रिजवी ने कहा, "मैं पीएम से मिल कर यह आग्रह करना चाहता हूं कि राम मंदिर निर्माण के लिए वह अध्यादेश का रास्ता अख्तियार करें।" रिजवी ने ये भी दावा किया कि जब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी तो बाबरी मस्जिद के पक्षकारों को हार का मुंह देखना पड़ेगा।
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में केंद्र सरकार को अध्यादेश लाने की चुनौती दी है। ओवैसी ने कहा "देश संविधान के तहत चलेगा। अगर 56 इंच का सीना है तो अध्यादेश लाइए। अध्यादेश के नाम पर किसको डरा रहे हैं। अध्यादेश लाएंगे तो फिर फटकार पड़ेगी। हम आपको देख लेंगे। इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम नहीं बनाया जाना चाहिए।"
बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि विवाद पर कुछ ही मिनट सुनवाई चली। जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख जनवरी 2019 दी है। हालांकि अभी यह भी तय नहीं है कि किस बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई की जाएगी और किस तारीख को सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच इस मामले की सुनवाई की।
Created On :   29 Oct 2018 7:06 PM IST