चीनी सरहद पर जंग जैसे हालात, वोहरा ने किया लेह का दौरा

war situation on the Chinese frontier, Vohra visited Leh
चीनी सरहद पर जंग जैसे हालात, वोहरा ने किया लेह का दौरा
चीनी सरहद पर जंग जैसे हालात, वोहरा ने किया लेह का दौरा

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर/नई दिल्ली। देश की उत्तरी और उत्तर-पूर्वी सरहद पर जंग के हालात हैं। यह बात चीन का आधिकारिक अखबार ग्लोबल टाइम्स ही नहीं बल्कि दबी जुबान में रक्षा मंत्रालय के अधिकारी भी मानने से नहीं हिचक रहे। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा ने गुरुवार को लेह का दौरा किया और सेना की 14वीं कोर की कमान में ताजा हालात का जायजा लिया। यह वही इलाका है जहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने दो दिन पहले पेंगौंग झील तक के किनारे पर घुसपैठ कर दी थी। सिक्किम में डोकलाम का विवाद अभी सुलझा नहीं है कि चीन तिब्बत में ब्लड बैंक बना रहा है।

इस बीच हालात को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए फिलहाल 6 अपाचे हेलिकॉप्टरों के सौदे को मंजूरी दे दी है। 4168 करोड़ रुपए के इस सौदे में भारत को 22 अपाचे मिलने हैं। ये सभी हेल्फायर मिसाइलों से लैस होंगे। इस बीच वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक भारत और चीन के बीच 2220 मील लम्बी सीमा में कई स्थान ऐसे हैं, जो विवादित हैं। चीन का मीडिया दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के मसले को सियासत के बजाय जंग की दिशा में लेकर जा रहा है। हालांकि भारत ने अभी तक इस मसले पर बहुत ही संयम बरतते हुए बातचीत का विकल्प खुला रखा है, लेकिन पहले डोकलाम और अब लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ कहीं ना कहीं दक्षिण एशिया और एशियाई महाद्वीप में वर्चस्व को लेकर चीन की छटपटाहट का संकेत है।

वोहरा का लेह दौरा
जम्मू कश्मीर राजभवन के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल एन एन वोहरा ने गुरुवार को लेह का दौरा किया, जहां लेफ्टिनेंट जनरल पीजेएस पन्नू ने उन्हें LoC और LAC पर हालातों के बारे में बताया। राज्यपाल ने यहां सेना की 14वीं कोर की कमान के नियंत्रण वाले क्षेत्र का दौरा किया। यहीं दो दिन पहले चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी। पन्नू ने राज्यपाल को लद्दाख क्षेत्र से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण मामलों के बारे में भी बताया जो इस क्षेत्र के चरवाहों से जुड़ी हुई थी।

आखिर चाहता क्या है चीन?
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार बताते हैं कि भारत और अमेरिका की लगातार मजबूत होती दोस्ती और उत्तर कोरिया के मामले में अमेरिका का सख्त होता रूख ड्रैगन को अपना दबदबा दिखाने के लिए उकसा रहा है। ग्लोबल टाइम्स ने लगातार इस बात को उठाया है कि भारत और चीन की सीमा रेखा अंग्रेजों ने मैकमोहन नाम से खींची थी और 1962 की जंग के बाद दोनों देशों के बीच भले ही सीमा रेखा के विवादित क्षेत्रों को लेकर सैन्य संघर्ष नहीं हुआ हो, लेकिन दलाई लामा का मसला कहीं ना कहीं ड्रैगन की आंखों में खटकता है। जानकारों का यह भी कहना है कि दक्षिण-चीन सागर पर ड्रैगन का प्रभुत्व और वहां हो रहे निर्माण कार्यों का विरोध कर रहे देशों को भारत का समर्थन भी चीन को नागवार गुजर रहा है। हाल में भारत, जापान और अमेरिका की नौसेनाओं के संयूक्त अभ्यास मालाबार का जवाब भी चीन देना चाहता है।

भारत की आर्थिक प्रगति से चिढ़ रहा ड्रैगन 
भारत की मोदी सरकार द्वारा विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए उठाए जा रहे ढ़ांचागत सुधारों से GDP में बढ़ोत्तरी हो रही है। आर्थिक समीक्षकों के अनुसार, अगले 5 सालों में चीन मंदी के निशाने पर होगा, जबकि भारत में आर्थिक सुधारों के और तेज होने और GDP की बढ़ोत्तरी में चीन के पिछड़ने की ज्यादा संभावनाएं नजर आती हैं। ऐसे में सीमा विवाद के नाम पर भारत को लगातार आंखे दिखाना और युद्ध की धमकी के पीछे आर्थिक कारण भी अहम है। इस साल भारत  ने चीन को ग्लोबल रिटेल डिवेलपमेंट इंडेक्स के मामले में पीछे छोड़ दिया है। रियल स्टेट कंसल्टिंग फर्म CBRE साउथ एशिया, ने ताजा रिपोर्ट में कहा है कि रिटेल सेक्टर के ग्लोबल ब्रैंड्स के लिए भारत पसंदीदा स्थान के रूप में अधिक मजबूत हुआ है। 

चीन में बड़े पैमाने पर ब्लड डोनेशन कैंप के क्या है मायने
चीन ने युद्ध की तैयारियों के तहत ब्लड डोनेशन कैंप लगाकर खून इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि कई प्रांतों के अस्पताल ब्लड के इस्तेमाल को नियंत्रित कर रहे हैं। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, पीएलएल (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) द्वारा ब्लड बैंक को दूसरी जगह ट्रांसफर किया जा रहा है, साथ ही स्थानीय सरकार आपूर्ति को पूरा करने के लिए ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित कर रही है। ग्लोबल टाइम्स ने चाइनीज अकैडमी ऑफ सोशल साइंस के नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल स्ट्रैटिजी के डायरेक्टर के हवाले से कहा है कि अगर भारत अब डोकलाम से पीछे हट भी जाता है, तो भी चीन इस मामले पर शांत नहीं बैठेगा। उनका मानना है कि भारत का इससे पीछे हटना अब इस समस्या का हल नहीं है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने व्यवहार का नतीजा भुगतना पड़ेगा।

साजोसामान ही नहीं, जंगी तैयारियां भी कर रहा है चीन
चीन के इस सरकारी अखबार ने कहा है कि एयर फोर्स, हेलिकॉप्टर, दूर तक हमला करने वाले हथियार, हल्के वाहन आदि युद्ध में काफी महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। हवा में युद्ध के लिए, चीन के पास जे-10सी, जे-11 फाइटर जेट, एच-6के बॉमर्स, जेड-10 हमलावर हेलिकॉप्टर और अन्य तरह के हथियार भी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी की गुणवत्ता और संख्या के मामले में भारत, चीन से काफी पीछे है। ग्लोबल टाइम्स का दावा है कि लॉन्ग रेंज रॉकेट आर्टिलरी में चीन न सिर्फ भारत से आगे है बल्कि दुनिया में सबसे बेहतर भी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत यह भी सोच सकता है कि चीनी एयर फोर्स के पास तिब्बत क्षेत्र में पर्याप्त एयर बेस नहीं हैं, लेकिन यह भारत की भूल होगी। रिपोर्ट में चीन के रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया गया है कि चीन के पास तिब्बत में पांच बड़े एयरपोर्ट हैं, इनमें एक डोकलाम से 1000 किलोमीटर दूर है। ऐसे में रिपोर्ट में चीन द्वारा 1200 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाले जे-10सी और जे-11 फाइटर प्लेन के इस्तेमाल की बात भी कही गई है।
 

Created On :   17 Aug 2017 10:56 PM IST

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