अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने कहा-व्हाट्सएप से लड़ा गया कर्नाटक चुनाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल ने भारत में होने वाले चुनाव पर भी असर डाला है, रैलियों और सभाओं के बाद अब सोशल मीडिया पर प्रचार का दौर आ गया है। प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने हाल ही में अपनी खबर में कर्नाटक चुनाव में व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया के दखल की बात प्रमुखता से छापी है।
लाखों लोगों तक पहुंचने का दावा
भारत की दो बड़ी पार्टियों ने अपने दावे में कहा कि, हम एक बार में 20 हजार व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिये लाखों करोड़ो समर्थकों तक एक बार में अपनी बात पहुंचा सकते हैं। यह दावा पार्टियों ने कर्नाटक चुनाव के दौरान किया।
हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव को अगले साल होने वाले राष्ट्रीय चुनावों की झलक मना जा रहा है। अंग्रेजी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की खबर के अनुसार सोशल मीडिया पर प्रचार के अलावा कुछ संदेश ऐसे भी होते हैं, जिनसे हिंसा, नफरत और धार्मिक दंगे भड़कते हैं, सियासी समर्थक जो चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर प्रचार का काम करते हैं, वह अपने शब्दों को तोड़-मरोड़कर हिन्दू मुस्लिम तनाव को बढ़ावा देते हैं।
व्हाट्सएप की मालिक कंपनी फेसबुक इस समय अमेरिकी चुनावों में दखल का आरोप झेल रही है। रूसी लोगों द्वारा फेसबुक पर गलत सन्देश करीब 8 अरब लोगों को भेजे गए, जिसकी वजह से अमेरिका में चुनाव प्रभावित करने के आरोप लगे थे। म्यांमार जैसे कई छोटे और अविकसित देश इसपर तेजी से फैलती गलत औरे भड़काऊ जानकारी के कारण हिंसाग्रस्त रहते हैं।
डिजिटल एक्टिविस्टों का तर्क
एक्टिविस्ट निखिल पाहवा के मुताबिक़ यह समस्या अब हाथों से निकल चुकी है। इससे भी बड़ी दिक्कत यह है की खुद व्हाट्सएप भी नहीं जानता इनसे कैसे निपटा जाए, क्योंकि जो मैसेज भेजे जाते हैं उनके बारे में पता लगाना मुमकिन ही नहीं है और सियासी लोगों द्वारा यहां गलत जानकारी फैलाना बहुत आसान है।
जानकारों के अनुसार व्हाट्सएप का एन्क्रिप्शन फीचर लोकतंत्र के लिए खतरा बना हुआ है, खुद कंपनी नहीं जान सकती कि कौन क्या भेज रहा है। लगातार बढ़ते दुरूपयोग के कारण लोगों तक इंटरनेट की आसान पहुंच और उसकी कम जानकारी होना है।
Created On :   15 May 2018 6:47 PM IST