कोर्ट ने कहा- केस का बंटवारा CJI का विशेषाधिकार
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुकदमों के आवंटन और उनकी सुनवाई को लेकर दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत के प्रथम न्यायाधीश अपने समकक्षों में प्रथम हैं, और मुकदमों के आवंटन और उनकी सुनवाई के लिए पीठ का गठन करने का अधिकार सिर्फ उन्हीं के पास है। यह याचिका अधिवक्ता अशोक पांडे के द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका में किसी मामले की सुनवाई के लिए पीठों के गठन के सम्बन्ध में दिशा निर्देश तय करने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि CJI स्वयं में ही सर्वोत्तम संस्थान हैं और उन्हें केस आवंटन का अधिकार है।
आशंका के आधार पर नहीं उठाए जा सकते सवाल
भारत के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने मुकदमों के पारदर्शी आवंटन और उनकी सुनवाई के लिए पीठों के गठन के संबंध में गाइडलाइन तय करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज किया गया। आदेश में कहा गया है कि "CJI द्वारा निभाई जाने वाली जिम्मेदारियों को लेकर कोई अविश्वास नहीं हो सकता है, और सिर्फ आशंकाओं के आधार पर चीफ जस्टिस के अधिकार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता।" बता दें शीर्ष अदालत के जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ द्वारा 12 जनवरी को किये गए संवाददाता सम्मेलन की पृष्ठभूमि में यह जनहित याचिका दायर की गयी थी।
अगर जस्टिस चेलमेश्वर नहीं बने CJI तो शक और भी गहरा होगा
वकील अशोक पांडे की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय में विभिन्न पीठों के गठन और अधिकार क्षेत्र के आवंटन के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार को आदेश दिया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को एक विशेष नियम बनाने का भी निर्देश मांगा गया था। हाल ही में जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा था कि अगर CJI दीपक मिश्रा के बाद अगर जस्टिस रंजन गोगोई को CJI नहीं बनाया जाता है तो हमने जो बात शक के आधार पर कही थी वह सच साबित हो सकती है। बता दें कि जस्टिस चेलमेश्वर 22 जून को रिटायर हो रहे हैं, वहीं वर्तमान CJI दीपक मिश्रा अक्टूबर में रिटायर होंगे।
Created On :   11 April 2018 4:11 PM IST