भ्रष्टाचार रोकने के लिए हितों का टकराव टालना जरूरी : वरुण गांधी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजेपी नेता वरुण गांधी ने अब "हितों के टकराव" पर एक आर्टिकल लिखा है। इस विषय पर अपने विचार रखते हुए वरुण गांधी ने कहा है कि इसमें कुछ सुधार करने की जरूरत है। "नौकरशाहों को भले ही वो नौकरी में हो या रिटायर हो चुका हो, अपने रिटायरमेंट प्लान के बारे में जरूर बताना चाहिए। वरुण ने इस आर्टिकल में इतिहास की कई घटनाओं का जिक्र भी किया है। इस आर्टिकल में वरुण गांधी ने लिखा है कि "1990 में बीजी देशमुख, जो प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के प्रधान सचिव थे। रिटायरमेंट के बाद एक कॉरपोरेट ग्रुप में शामिल होना चाहते थे। बीजी देशमुख ने दशकों तक सरकार में काम किया था। उन्हें मौखिक रुप से इस बात की अनुमति मिल गई, लेकिन लिखित में बीजी देशमुख की इस बात को नहीं माना। इसका मतलब सरकार अपने फैसले दूसरे पर थोपती है, जो गलत है।" भाजपा सांसद वरुण का इशारा उस तरफ है कि जो नौकरशाह जिंदगी भर फैसले लेते हैं वे कैसे रिटायरमेंट के बाद किसी कार्पोरेट ग्रुप से जुडते हैं। इससे उनकी पिछली जिंदगी में लिए गए फैसले संदेह के दायरे में आते हैं। जीवन भर नौकरी में रहने वाले अफसरों को भी रिटायरमेंट के बाद कैसे सरकारी प्रक्रिया से गुजरना पडता है, ये भी उन्होंने बताया है।
गांधी ने लिखा है कि है कि "करप्शन को रोकने के लिए हितों के टकराव के विचार को आवश्यक रूप से जोड़ा जाना चाहिए। विदेशों में भी, सार्वजनिक अधिकारियों में हितों का टकराव देखने को मिलता है। ब्रिटेन का इतिहास देखा जाए, तो वहां के शासकों और उनके अधिकारियों के बीच हितों को लेकर काफी संघर्ष था। हर कोई इस तरह से लाभ लेने की सोचता था। जिस वजह से भ्रष्टाचार बढ़ता गया।" उन्होंने आगे लिखा कि "हालांकि समय के साथ ये कल्चर बदलता गया और क्राउन के मंत्रियों ने ब्यरोक्रेसी में वृद्धि की मांग की, खासकर टैक्स कलेक्शन में। बाद में शिक्षा के प्रसार ने लोगों को अपने अधिकारों के बारे में और ज्यादा जागरूक बनाया और नेशनल ऑडिटर ऑफिस के स्थापित होने से प्रशासन में भ्रष्ट व्यवहार पर लिमिटेशन लग गई। 20वीं सदी के आते तक, भ्रष्टाचार काफी कम हो गया।"
एक अंग्रेजी अखबार में लिखे इस आर्टिकल में वरुण गांधी ने लिखा है कि "जिस तरह से ब्रिटेन में हितों के टकराव को सकारात्मक लिया गया। उसी तरह से भारत में भी हितों के टकराव को सकारात्मक तरीके पर काम करना होगा।" इसमें लिखा गया है कि "भारत की एक आधिकारिक नीति है, जिसके तहत वरिष्ठ नौकरशाहों को अपनी सेवानिवृत्ति के बाद व्यावसायिक रोजगार की अनुमति लेनी पड़ती है। हालांकि, ये सब सरकार के हाथ में ही होता है, लेकिन उसके बावजूद सरकार इस अधिकार का उपयोग नहीं करती।" इसमें ये भी लिखा है कि "अगर कोई नौकरशाह रिटायरमेंट के बाद किसी प्राइवेट सेक्टर में काम करना चाहता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।"
इस आर्टिकल के आखिरी में वरुण गांधी ने लिखा है कि पारदर्शिता बहुत जरूरी है। इसमें लिखा है कि "नौकरशाहों को भले ही वो नौकरी में हो या रिटायर हो चुका हो, अपने रिटायरमेंट प्लान के बारे में जरूर बताना चाहिए। इन सबसे पारदर्शिता बढ़ेगी।" वरुण कहते हैं कि "हितों के टकराव में हमें नैतिक मूल्यों को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि सरकार और प्राइवेट सेक्टर के बीच सामंजस्य बन सके।"
Created On :   30 Dec 2017 3:09 PM IST