जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट में 21 पायदान फिसला भारत, 108 वें नंबर पर पहुंचा

WEFs globle gender gap index Report, India slips 21 ranks
जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट में 21 पायदान फिसला भारत, 108 वें नंबर पर पहुंचा
जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट में 21 पायदान फिसला भारत, 108 वें नंबर पर पहुंचा

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत चीन और बांग्लादेश से पिछड़ गया है। रैंकिंग में भारत 21 पायदान फिसलकर कर 108वीं जगह पहुंच गया है। पिछले साल भारत 87वें नंबर पर था। अर्थव्यवस्था में महिलाओं की कम भागीदारी और मामूली वेतन के चलते भारत रैंकिंग पिछड़ा है। इस इंडेक्स में बांग्लादेश 47वें पायदान पर है, जबकि चीन 100 वें नंबर पर है। आपको बता दें कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने जेंडर गैप को 2006 में मापना शुरू किया था। उस समय भारत की रैंकिंग 2017 की रैंकिंग से 10 पायदान ऊपर थी।

 

WEF की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2017 के मुताबिक भारत ने महिला और पुरुषों के मामले में 67 फीसदी अंतर पाटने में सफलता हासिल की है, लेकिन ये सफलता चीन और बांग्लादेश से भी फीकी है। इस इंडेक्स में बांग्लादेश 47वें और चीन 100वें स्थान पर रहा।

भारत की रैंकिंग 2006 के मुकाबले दस पायदान गिरी है। ये इंडेक्स 2006 में ही शुरूकिया गया था। इंडेक्स की शुरुआत से पहली बार पूरी दुनिया में जेंडर गैप के मामले में हालात सुधरने के बजाय बिगड़ी है। खासकर स्वास्थ्य, शिक्षा, कार्यस्थल और राजनीति इन चारों क्षेत्रों में महिला और पुरुषों के बीच खाई और चौड़ी हुई है।

                                       Image result for WEF की जेंडर गैप इंडेक्स रिपोर्ट

 

मुश्किल होगा अंतर पाटना

इकोनॉमिक कोऑपरेशन, एजुकेशन और हेल्थ में भारत की रैंकिंग 100 से नीचे ही है। वर्ल्ड लेवल पर स्त्री-पुरुष में असमानता भी बढ़ी है। जेंडर गैप रैंकिंग के 11 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ। 2016 की रिपोर्ट में कहा गया था कि इस अंतर को पाटने में 83 साल लगेंगे, लेकिन नई रिपोर्ट के मुताबिक अब इसमें 100 साल लग जाएंगे।

कम सैलरी बनी वजह

सैलरी का अंतर तो इतना ज्यादा है कि इसे खत्म होने में 217 साल लगेंगे। राजनीतिक असमानता दूर करने में 99 साल और शैक्षिक असमानता हटाने में 13 साल का वक्त लगेगा।  

वहीं बड़े देशों में असमानता कम करने की रफ्तार घटी है। एक मात्र पॉजिटिव बात ये है कि 144 में से करीब आधे देशों का स्कोर बेहतर हुआ है। हालांकि भारत का स्कोर कम हुआ है। फोरम की पहली जेंडर गैप रिपोर्ट 2006 में आई थी।

आइसलैंड है No.1 

रैंकिंग में नंबर-1 देश आइसलैंड में 1982 तक 5% सांसद ही महिलाएं थीं। 1983 के चुनाव में 60 में से 15 सीटों पर महिलाएं चुनी गईं, लेकिन 2016 में महिला सांसदों की संख्या 48% पहुंच गई।
 

Created On :   3 Nov 2017 11:39 AM IST

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