आगे क्या कानूनी दांव-पेच खेल सकता है गुरमीत
डिजिटल डेस्क, रोहतक। साध्वी से रेप के मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को CBI की विशेष कोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई है। अब सवाल यह है कि गुरमीत राम रहीम इस सजा से बचने के लिए क्या-क्या विकल्प अपना सकता है। यह तो तय है कि उसके अनुयायी इस फैसले के बाद शांत नहीं बैठेंगे। गुरमीत के पास कईं कानूनी विकल्प हैं, जो वह अपना सकता है, लेकिन मात्र कानूनी विकल्पों को अपनाने से उसकी परेशानियां कम नहीं होने जा रही। रेप के मामले में अपराधी साबित हो चुके बाबा पर अभी दो मर्डर केस समेत कई अन्य मामले दर्ज हैं, जिन पर आने वाले समय में और कड़े फैसले आ सकते हैं।
एक नजर गुरमीत के संभावित सफर पर
- गुरमीत राम रहीम CBI कोर्ट के फैसले को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे सकता है। वह हाईकोर्ट में सजा की रोक की मांग कर जमानत की मांग कर सकता है।
- स्वास्थ्य और अन्य कारणों के आधार पर जमानत की मांग कर सकता है।
- स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर जेल की बजाय अस्पताल में दिन काट सकता है।
- हाईकोर्ट अगर CBI कोर्ट के फैसले को यथावत रखता है तो वह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है।
इन मामलों में भी आना है फैसला
गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सजा केवल साध्वी से रेप मामले में हुई है। उस पर अभी दो मर्डर केस के बड़े मामले हैं जिन पर फैसला आना बाकी है। यह दोनों मामले साध्वी के रेप केस से जुड़े हुए हैं। एक नजर आने वाले फैसलों पर..
रणजीत मर्डर केस
10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य रणजीत सिंह की हत्या हो गई थी। डेरे को शक था कि रणजीत ने अपनी ही बहन से रेप वाला वह पत्र प्रधानमंत्री को लिखवाया है। कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलियां के रहने वाले रणजीत की बहन डेरे में साध्वी थी। रणजीत सिंह ने डेरे के कई तरह के भेद खोलने की धमकी दी थी। रणजीत जब अपने घर से कुछ ही दूरी पर खेतों में नौकरों के लिए चाय लेकर जा रहे थे, तभी उनकी हत्या कर दी गई थी। जनवरी 2003 में रणजीत के पिता व गांव के तत्कालीन सरपंच जोगेंद्र सिंह ने हत्या के मामले में CBI जांच की मांग की।
पत्रकार का मर्डर
साध्वी से यौन शोषण और रणजीत की हत्या पर खबर प्रकाशित करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर 24 अक्टूबर 2002 को हमला हुआ। रामचंद्र छत्रपति सिरसा के सांध्य दैनिक "पूरा सच" के संपादक थे। 25 अक्टूबर 2002 को घटना के विरोध में सिरसा शहर बंद रहा। 21 नवंबर 2002 को सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की दिल्ली के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई। इस हत्या के पीछे भी बाबा राम रहीम का हाथ होने की बात बताई गई। दिसंबर 2002 को छत्रपति परिवार ने पुलिस जांच से असंतुष्ट होकर मुख्यमंत्री से मामले की जांच CBI से करवाए जाने की मांग की।
CBI जांच के आदेश
हाईकोर्ट ने पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्या मामले में 10 नवंबर 2003 को CBI जांच के आदेश जारी किए। दिसंबर 2003 में CBI ने मर्डर केस की जांच शुरू कर दी। आने वाले दिनों में इन दोनों मामलों में कड़े फैसले आ सकते हैं।
Created On :   28 Aug 2017 12:56 PM GMT