जब सोनिया को नाराज कर बाल ठाकरे से मिले प्रणब

when Pranab infuriated sonia by meeting bal thackeray
जब सोनिया को नाराज कर बाल ठाकरे से मिले प्रणब
जब सोनिया को नाराज कर बाल ठाकरे से मिले प्रणब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से मुलाकात के लिए  मना किया था। जब उन्होंने शरद पवार के जोर देने पर बाल ठाकरे से मुलाकात की तो सोनिया गांधी बहुत नाराज हुई थीं। यह खुलासा प्रणब मुखर्जी ने अपनी नई किताब में किया है। प्रणब कहते हैं, "सोनिया ने मुझे बाल ठाकरे से मुलाकात करने से मना किया था, लेकिन चूंकि ठाकरे ने निर्देश से अलग जाते हुए राष्ट्रपति चुनाव में मेरी उम्मीदवारी का खुला समर्थन किया था, इसलिए मैं उनसे मिलने से अपने आप को रोक नहीं सका। यह पूरी तरह से भावनात्मक फैसला था, जिसे मैं किसी तरह टाल नहीं सका।" प्रणब मुखर्जी ने हाल ही में लोकार्पित अपनी किताब "द कोएलिशन ईयर्स : 1996-2012" के तीसरे संस्करण में यह राज खोला है। 

 

सोनिया ने दी थी नहीं मिलने की नसीहत
सन 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले मुखर्जी महाराष्ट्र के दौरे पर जाने वाले थे। सोनिया गांधी ने उन्हें बाल ठाकरे से मिलने से मना किया था। प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया कि यह एक अप्रत्याशित घटना थी कि बाल ठाकरे ने उनकी उम्मीदवारी का खुले तौर पर समर्थन किया था। इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) नेता शरद पवार ने उन्हें सुझाव दिया कि ठाकरे ने जिस तरह समर्थन किया है, उसे देखते हुए उन्हें ठाकरे से मुलाकात जरूर करनी चाहिए। प्रणब ने लिखा है, "उनका तर्क मुझे भी जम गया। इसलिए मैं सोनिया गांधी की नसीहत को नजरअंदाज करते हुए ठाकरे से मुलाकात को राजी हो गया।" प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में इसे उचित ठहराते हुए बताया कि यह मुलाकात गठबंधन के सहयोगी दलों एनसीपी के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता ममता बैनर्जी से संबंध विकसित के लिहाज से भी उपयोगी थी, जो यूपीए से बाहर थीं।

 

इस तर्क ने मुझे मिलने पर कर दिया मजबूर
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया, "13 जुलाई 2012 को की गई अपनी मुंबई यात्रा बेहद आश्चर्यजनक परिणाम देने वाली साबित हुई। बिना कहे ही बाल ठाकरे ने मेरी उम्मीदवारी का समर्थन कर दिया। इसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी। बाल ठाकरे की पार्टी उस समय एनडीए का हिस्सा थी और उन्होंने अपनी इस प्रतिबद्धता से अलग जाते हुए मेरी उम्मीदवारी का समर्थन किया। मैंने इस मसले पर सोनिया गांधी और शरद पवार दोनों ही लोगों से चर्चा की। सोनिया बाल ठाकरे से मुलाकात के पक्ष में नहीं थीं। शरद पवार के बिचार सोनिया से अलग थे। वह चाहते थे कि मैं ठाकरे से मुलाकात करूं। उनके सुझाव के बाद मैंने सोनिया गांधी की असहमति को नजरअंदाज करते हुए ठाकरे से मुलाकात की। मैने सोचा जो व्यक्ति अपने पारंपरिक गठबंधन सहयोगियों से अलग जाते हुए मेरी उम्मीदवारी का समर्थन कर रहा है, उससे मुलाकात नहीं कर उसे अपमानित करना उचित नहीं है।" 

 

लीक से हट कर किया था समर्थन
मुखर्जी ने अपनी पुस्तक में बताया है, "ठाकरे ने मुंबई में अपने घर मातोश्री में मेरे स्वागत के व्यापक इंतजाम किए थे। मैंने शरद पवार से अनुरोध किया कि वह एयरपोर्ट से मुझे ठाकरे के घर पर ले चलें और वह इसके लिए तैयार हो गए। ठाकरे के साथ मुलाकात काफी सौहार्दपूर्ण रही। इस दौरान शिवसेना सुप्रीमो ने मजाकिया लहजे में कहा कि मराठा टाइगर के लिए रॉयल टाइगर को समर्थन देना स्वाभाविक था।" प्रणब मुखर्जी ने कहा, "मेरे मन में उनकी सांप्रदायिक दृष्टिकोण वाले राजनेता की छवि थी, लेकिन मैं इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता था कि उन्होंने लीक से अलग जाते हुए मेरी उम्मीदवारी का समर्थन किया है। उस समय ठाकरे की पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) का हिस्सा थी। यह बात सभी को आश्चर्य में डालने वाली थी कि उन्होंने परंपरा ले अलग जाते हुए मेरा समर्थन किया था। सच बात तो यह है कि मैं उनके प्रति कृतज्ञता से भर गया था।"

 

इस लिए छोड़ा पवार ने कांग्रेस का साथ
प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब में बताया कांग्रेस अध्यक्ष न बन पाने की वजह से वरिष्ठ नेता शरद पवार ने सोनिया गांधी के खिलाफ विद्रोह करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की स्थापना की थी। उन्होंने अपनी पुस्तक में बताया पवार ने सोनिया गांधी पर इटली मूल की होने की वजह से सन1999 में कांग्रेस वर्किंग कमिटी में हमला बोला था। पवार इस बात से नाराज थे कि वाजपेयी सरकार के विश्वासमत खोने के बाद कांग्रेस संगठन ने उनको नजरअंदाज किया। पवार उस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता थे। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी सोनिया गांधी की जगह उनसे सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए कहेगी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। सोनिया गांधी जब पार्टी अध्यक्ष बनीं तो भी शरद पवार की अनदेखी का क्रम खत्म नहीं हुआ। सोनिया ने महत्वपूर्ण मुद्दों पर शरद पवार की जगह पी. शिवशंकर से सलाह-मशवरा करने लगी। यह स्थिति पवार के लिए असह्य हो गई और वह पार्टी छोड़ कर चले गए। 

Created On :   16 Oct 2017 3:13 PM GMT

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