मप्र में अब जिला प्रभारी मंत्रियों के लिए कसरत

Workouts for district incharge ministers in MP now
मप्र में अब जिला प्रभारी मंत्रियों के लिए कसरत
मप्र में अब जिला प्रभारी मंत्रियों के लिए कसरत

भोपाल, 3 अगस्त (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में सत्ता में हुए बदलाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के हाथ में एक बार फिर सत्ता तो आग गई है, मगर उसे हर कदम को सफलतापूर्वक बढ़ाने के लिए काफी कसरत करनी पड़ रही है और अब जिलों के प्रभारी मंत्री बनाने के लिए भी उसे इसी दौर से गुजरना पड़ रहा है।

राज्य की सत्ता की बागडोर संभाले हुए भाजपा को लगभग पांच माह होने वाले हैं, मगर बीते दिनों की स्थिति पर गौर करें तो सरकार खुले तौर पर सियासी फैसले लेने में हिचकी नजर आती है। अब राज्य में जिलों का प्रभार मंत्रियों को दिए जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ऐलान किया है कि जिले के प्रभारी मंत्री जल्दी नियुक्त कर दिए जाएंगे।

राज्य में आगामी समय में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं और इन चुनावों में जीत न भाजपा के लिए पहली प्राथमिकता है। लिहाजा, उसने संबंधित क्षेत्रों के पूर्व विधायकों को मंत्री बनाने में कसर नहीं छोड़ी और अब उपचुनाव वाले विधानसभा क्षेत्र जिन जिलों में आते हैं, वहां पर प्रभावशाली मंत्री नियुक्त करने की तैयारी है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि राज्य के प्रमुख जिलों- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, सागर, रीवा आदि का प्रभार पाने के लिए कई नेता जोर लगा रहे हैं। इन स्थितियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए रास्ता खोजना आसान नजर नहीं आ रहा है, यही कारण है कि वे इस मामले में संगठन से परामर्श ले रहे हैं।

पिछले दिनों की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि राज्य में मंत्रिमंडल के विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक में काफी खींचतान हुई थी और यही कारण रहा था कि इसमें देर भी हुई। कोरोना के कारण भाजपा वर्चुअल रैली और बैठकों पर जो दे रही है। पार्टी की कोशिश है कि आगामी समय में वह प्रभारी मंत्रियों के सहारे जिलों से चुनाव की कमान को संचालित करे, इसलिए प्रबंधन में माहिर मंत्रियों को इस काम में लगाए जाने की तैयारी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिले का प्रभारी मंत्री ताकतवर होता है और वह उस क्षेत्र की सियासत पर अपरोक्ष रूप से न केवल नियंत्रण रखता है, बल्कि दखल भी दे सकता है, क्योंकि प्रशासनिक मशीनरी उसके हाथ में होती है। यही कारण है कि भाजपा और मुख्यमंत्री जिन जिलों में विधानसभा उप चुनाव होने वाले हैं, वहां सक्षम मंत्रियों की तैनाती करना चाहते हैं, लेकिन अधिकांश मंत्री बड़े जिलों का प्रभार चाह रहे हैं। ये स्थितियां भाजपा के लिए ज्यादा सहज और अनुकूल भी नहीं हैं।

Created On :   3 Aug 2020 9:30 PM IST

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