'कश्मीर घाटी के लोगों को हम भावनात्मक रूप से गंवा चुके हैं'

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को नाकाम बताने के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कश्मीर नीति पर सवाल उठाए हैं। सिन्हा ने एक इंटरव्यू में कहा कि "कश्मीर घाटी के लोगों को हम भावनात्मक रूप से गंवा चुके हैं।" यशवंत सिन्हा का ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब अर्थव्यवस्था पर उनके हमले से सरकार उबर भी नहीं पाई है।
सिन्हा ने कहा कि "मैंने जम्मू-कश्मीर के आम लोगों में अलग-थलग पड़ने का भाव देखा है। ये बात मुझे सबसे ज्यादा परेशान करती है। कश्मीर घाटी में जाने पर आपको साफ महसूस होगा कि उन्हें हम पर भरोसा नहीं रह गया है।"
आपको ये समझने के लिए घाटी का दौरा करना पड़ेगा कि उनका हम पर भरोसा नहीं रहा। साथ ही मैं ये कहना चाहूंगा कि पाकिस्तान दुर्भाग्य से जम्मू-कश्मीर में एक आवश्यक तीसरा पक्ष है और इसलिए अगर आप अंतिम समाधान चाहते हैं तो हमें पाकिस्तान को बातचीत में शामिल करना होगा। इस विवाद को लंबे समय के लिए नहीं खींचा जा सकता है।"
उन्होंने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर खूनखराबा रोकने की अपील की। कहा कि वहां कोई भी युद्ध नहीं जीत रहा है। उन्होंने कहा कि एलओसी सुस्पष्ट है और कारगिल युद्ध के दौरान यह साबित हो चुका है कि दुनिया हमारे साथ है, पाकिस्तान के नहीं।
पीम मोदी ने 10 महीनों में नहीं दिया मिलने का वक्त
सिन्हा ने दावा किया कि उन्होंने 10 महीने पहले कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का वक्त मांगा था, जो कि उन्हें अभी तक नहीं मिल पाया है। मैं निश्चित तौर पर दुखी हूं। मैं आपको बता दूं कि जब से मैं सार्वजनिक जीवन में आया हूं, राजीव गांधी से लेकर भारत के किसी प्रधानमंत्री ने मुझे मिलने का वक्त देने से मना नहीं किया। किसी प्रधानमंत्री ने यशवंत सिन्हा को नहीं कहा कि मेरे पास आपके लिए वक्त नहीं है। "इसलिए अब अगर कोई मुझे फोन करके बातचीत के लिए बुलाएगा, तो मैं कहूंगा, माफ कीजिए, वो वक्त अब निकल चुका है।"
नागरिक समाज संगठन का सिन्हा करते हैं नेतृत्व
सिन्हा एक नागरिक समाज संगठन ‘कंसर्न्ड सिटिजंस ग्रुप’ (सीसीजी) का नेतृत्व करते हैं, जिसने हाल के समय में कई बार घाटी का दौरा किया है और विभिन्न पक्षों से संवाद किया है ताकि दशकों पुराने कश्मीर मुद्दे का स्थाई समाधान तलाशा जा सके। सीसीजी में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) ए पी शाह, मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त जूलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला, खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत, जानीमानी समाज सेविका अरुणा रॉय और मशहूर लेखक-इतिहासकर रामचंद्र गुहा सहित कई अन्य लोग शामिल हैं।
आर्थिक सुधारों के बढ़ा-चढ़ा कर किए जा रहे दावे
सिन्हा ने मुद्रा बैंक जैसी सरकारी योजनाओं और विभिन्न सुधारों की सफलता को बढ़ा-चढ़ाकर किए जा रहे दावे करार दिया। सिन्हा कहा है कि "मुद्रा बैंक जैसी योजनाओं की कामयाबी को लेकर किए गए मोदी सरकार के दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुद्रा स्कीम वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू की हुई प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना का ही दूसरा नाम है। इसके तहत दिए गए कर्ज की औसत रकम आज सिर्फ 11 हजार रुपये है आप ही बताइए इतनी कम रकम से कौन सा बिजनेस खड़ा हो सकता है?"
पहले भी अर्थव्यवस्था पर उठा चुके हैं सवाल
"देश में मंदी के हालात और सरकार की आर्थिक नीतियों पर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यस्था पर सरकार पर सवाल उठाए थे। सिन्हा ने वित्त मंत्री अरुण जेटली को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने लिखा था, "प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने काफी करीब से गरीबी को देखा है, उनके वित्त मंत्री इस बात के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं कि देश का हर नागरिक भी गरीबी को करीब से देखे।"


Created On :   2 Oct 2017 9:20 AM IST