जब सूख जाएगी गंगा और सिंधु, मजबूरन देश छोड़कर जाना पड़ेगा हमें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गंगा में सफाई अभियान जारी है, वहीं देश के कई राज्यों में नदियों को बचाने की योजनाएं शुरु हुई हैं, लेकिन इन सब के बीच एक रिसर्च में बात सामने आई है कि दुनिया के तापमान में इसी तरह बढ़ोतरी होती रही तो सन् 2100 तक गंगा पूरी तरह सुख जाएगी। ना केवल गंगा बल्कि देश की तमाम नदियों का हश्र ये ही होगा। रिसर्च में तो यहां तक कहा गया है कि इस सदी के अंत तक दक्षिण एशिया के हालात ऐसे हो जाएंगे कि यहां रहना भी मुश्किल होगा। ऐसे में लोगों को अपना गांव,घर और देश भी छोड़ना पड़ सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग और दक्षिण एशियाई देशों पर इसके प्रभाव पर यह रिसर्च अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (MIT) में की गई है। रिसर्च में कहा गया है कि वैश्विक तापमान यदि इसी तरह बढ़ता रहा तो अगले कुछ दशकों में भारत समेत पाकिस्तान और बांग्लादेश में जानलेवा गर्म हवाएं चलना शुरू हो जाएंगी। रिसर्चरों का कहना है कि दक्षिण एशिया के गंगा और सिंध नदी के बेसिन में इसका बुरा असर पड़ेगा। यहां फसलों को भयंकर नुकसान तो होगा ही साथ ही भूखमरी भी बढ़ेगी।
MIT के प्रोफेसर अलफेथ अलताहिर कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन एक अमूर्त अवधारणा नहीं है। यह बड़ी संख्या में अभी से लोगों को प्रभावित कर रही है। बावजूद इसके एक अजीब सी होड़ में बिजनैस चले जा रहे हैं और वैश्विक तापमान बढ़ता जा रहा है।" प्रोफेसर आगे कहते हैं, "सन् 2100 में खाड़ी देशों का तापमान दुनिया में सबसे अधिक होगा लेकिन कम जनसंख्या के चलते वहां इसका प्रकोप दक्षिण एशियाई देशों के मुकाबले कम होगा।"
रिसर्च में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर फिलहाल 2 प्रतिशत भारतियों पर है लेकिन सन् 2100 में यह 70 प्रतिशत भारतियों को अपने प्रभाव में ले लेगा। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, 2015 की गर्मी में दक्षिण एशिया में करीब 3500 लोगों की मौत हुई। वैश्विक तापमान में वृद्धि होती रही तो यह आंकड़ा हर साल बढ़ता जाएगा। रिसर्च में आगे कहा गया है, "अगर ग्रीन हाउस गैसो का प्रभाव कम नहीं किया गया तो दक्षिण एशियाई देशों में फसले बर्बाद होती रहेंगी और भूखमरी और जानलेवा गर्म हवा से भारी संख्या में लोग मारे जाएंगे। ऐसे में यहां के नागरिकों को अपना देश छोड़ना होगा।"
Created On :   3 Aug 2017 5:50 PM IST