8 FACTS: पसीने की एक बूंद से बहने लगी, प्रलय में भी नहीं होगा इसका नाश

8 facts about the Narmada river
8 FACTS: पसीने की एक बूंद से बहने लगी, प्रलय में भी नहीं होगा इसका नाश
8 FACTS: पसीने की एक बूंद से बहने लगी, प्रलय में भी नहीं होगा इसका नाश

टीम डिजिटल, जबलपुर. अब तक आपने अनेक किस्से, कहानियां औैर किवदंतियों को सुना होगा, लेकिन आज हम आपको जिस ओर ले जा रहे हैं वहां नर्मदा नदी बहती है. यह एक मात्र ऐसी नदी है जिसका पुराण है और मूर्तिरुप में पूजा होती है. कठोर तप से इन्होंने भगवान शिव यह आशीर्वाद पाया था कि प्रलय में भी मेरा नाश हो. नर्मदा पुराण के अनुसार नर्मदा ने अपने सोनभद्र से दुखी होकर उग्र रुप धारण किया और उल्टी दिशा में बहने लगीं. यहीं नहीं उन्होंने जीवन पर्यंत अकेले बहने का निर्णय लिया. यहां हम आपको नर्मदा से जुडे़ रोचक 8 फैक्ट्स बताने जा रहे हैं....

 -नर्मदा के विवाह को लेकर प्रचलित एक कथा के अनुसार नर्मदा को रेवा नदी और सोनभद्र को सोनभद्र के नाम से जाना गया है. नद यानी नदी का पुरुष रूप. बहरहाल यह कथा बताती है कि राजकुमारी नर्मदा राजा मेकल की पुत्री थी.

-राजा मेकल ने अपनी अत्यंत रूपसी पुत्री के लिए यह तय किया कि जो राजकुमार गुलबकावली के दुर्लभ पुष्प उनकी पुत्री के लिए लाएगा वे अपनी पुत्री का विवाह उसी के साथ संपन्न करेंगे. राजकुमार सोनभद्र गुलबकावली के फूल ले आए अत: उनसे राजकुमारी नर्मदा का विवाह तय हुआ.


-नर्मदा की सखी जोहिला नर्मदा के वस्त्र धारण कर सोनभद्र से मिलने पहुंच गई. राजकुमार उसे ही नर्मदा समझ बैठे. जोहिला ने भी सत्य छिपाया और नर्मदा सच्चाई जानकर कुपित हो गईं.

-पुराणों के अनुसार सखी और सोनभद्र से मिले धोखे से गुस्से में आकर नर्मदा उग्र रुप धारण कर लिया और उल्टी दिशा चिरकाल अकेली ही बहने का निर्णय लिया. इसलिए इन्हें चिरकुंवारी कहा जाता है.

-कहते हैं कई स्थानों पर नर्मदा का रुदन स्वर अब भी सुनाई देता है. कई गुप्त शक्तियां नर्मदा के तट पर तप करती हैं.

-पुराणों के अनुसार नर्मदा का अवतरण शिव के पसीने की बूंद से 12 वर्ष की कन्या के रुप में हुआ था इसलिए इन्हें शिव सुता भी कहा जाता है

-गंगा के स्नान व नर्मदा के दर्शन मात्र का पुण्य है. गंगा भी साल में एक बार स्वयं को शुद्ध करने नर्मदा तट पर गंगा दशहरा पर आती हैं.

-ऐसी भी मान्यता है कि नर्मदा अपने भक्तों को जीवनकाल में एक बार जरुर दर्शन देती हैं फिर चाहे भक्त उन्हें पहचान पाए या नहीं.

Created On :   7 Jun 2017 7:03 AM GMT

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