कैबिनेट मीटिंग में भारतमाला समेत 7 लाख करोड़ की हाईवे परियोजनाओं को मिली हरी झंडी

goverments biggest highway development plan will be approved
कैबिनेट मीटिंग में भारतमाला समेत 7 लाख करोड़ की हाईवे परियोजनाओं को मिली हरी झंडी
कैबिनेट मीटिंग में भारतमाला समेत 7 लाख करोड़ की हाईवे परियोजनाओं को मिली हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में भारतमाला समेत 7 लाख करोड़ की हाईवे परियोजनाओं को हरी झंडी मिल गई है। देश में कई बड़े हाइवे और राजमार्गों की निर्माण योजना लंबित हैं। बता दें कि भारतमाला सरकार की महत्वकांक्षी हाईवे परियोजनों में से एक है। इसका उद्देश्य सीमावर्ती और अन्य क्षेत्रों में संपर्क व्यवस्था में सुधार लाना है। एक अधिकारी ने कहा कि कैबिनेट ने अगले 5 साल में भारतमाला परियोजना समेत 80 हजार किलोमीटर से अधिक हाईवे के विकास के लिए मंजूरी दे दी।


भारतमाला सरकार की महत्वकांक्षी योजना है और एनएचडीपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी हाईवे परियोजना है। इसका मकसद सीमावर्ती और अन्य क्षेत्रों में संपर्क व्यवस्था में सुधार लाना है। केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी ने कहा था कि सरकार जल्द ही भारतमाला परियोजना के तहत पहले चरण में 20 हजार किलोमीटर से अधिक हाईवे बनाने का काम शुरू सरकार शुरू करेगी। इस परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।


बता दें कि जिन हाईवे परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, उसमें आर्थिक गलियारा विकास शामिल है। इसका मकसद माल ढुलाई में तेजी लाना है। कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि इससे परियोजना के तहत 14.2 करोड़ मैनडे के जॉब्‍स जनरेट होंगे। इसमें से 5.35 लाख करोड़ रुपए भारत माला प्रोजेक्‍ट पर खर्च किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार,भारतमाला प्रोजेक्‍ट के लिए 2.09 लाख करोड़ रुपया मार्केट से लिया जाएगा, वहीं 1.06 लाख करोड़ रुपए का प्राइवेट इन्‍वेस्‍टमेंट किया जाएगा। 2.19 लाख करोड़ रुपया सेंट्रल रोड फंड,टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर और टोल से इकट्ठा किया जाएगा।


82 ऑपरेटिंग हाइवे को मॉनिटाइज कर करीब 34 हजार करोड़ रुपए मिलने की संभावना जताई जा रही है। भारत माला प्रोजेक्ट में कार्गो व्हीकल्स के मूवमेंट में लगने वाला समय कम हो जाएगा। सरकार ने इस प्रोजेक्ट को 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वहीं देश के अहम कॉरिडोर्स पर ट्रैफिक बढ़ जाएगा। इस प्रोजेक्ट से बॉर्डर एरिया, इंटरनेशनल पोर्ट और कोस्टल रीजन्स की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। इसमें श्रीनगर को कन्‍याकुमारी से जोड़ने वाला नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर और पोरबंदर से सिल्‍चर से जोड़ने वाला ईस्‍ट-वेस्ट कॉरिडोर शामिल है।

34800 किमी के सड़कें जिन पर इस लंबाई के हिसाब से होगा काम
 
10 हजार किमी एनएचडीपी वर्क्‍स
800 किमी ग्रीन फील्‍ड एक्‍सप्रेस
2000 किमी लंबे बॉर्डर रोड एवं इंटरनेशनल कनेक्टिविटी रोड
2000 किमी लंबे कोस्‍टल रोड और पोर्ट कनेक्टिविटी रोड
5000 किमी लंबे एफिशिएंसी इम्‍प्रूवमेंट नेशनल कोरिडोर्स
6000 किमी लंबे इंटर कोरिडोर औरफीडर रूट 
9000 किमी लंबा इकोनॉमिक कोरिडोर
 
घटेगा लॉजिस्टिक कॉस्ट, कम होगा ट्रेवेल टाइम

बता दें कि भारत में कम दूरी तय करने की मुख्य वजह छोटी सड़कें और खराब ट्रैफिक व्यवस्था है। देश में एक ट्रक रोजाना 250-300 किमी की दूरी तय करता है। परियोजना से लॉजिस्टिक कॉस्ट घटेगी, ट्रैवल टाइम भी कम हो जाएगा। 

Created On :   24 Oct 2017 9:13 AM IST

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