कर्नाटक का यह गांव है प्रवासी पक्षियों का मायका, बच्चों का रिश्ता करने से पहले लाेग देखते हैं घर में घोंसला है या नहीं

In this village of karnataka migrant birds before seeing the relationship of children see if there is a nest in the house
कर्नाटक का यह गांव है प्रवासी पक्षियों का मायका, बच्चों का रिश्ता करने से पहले लाेग देखते हैं घर में घोंसला है या नहीं
कर्नाटक का यह गांव है प्रवासी पक्षियों का मायका, बच्चों का रिश्ता करने से पहले लाेग देखते हैं घर में घोंसला है या नहीं

डिजिटल डेस्क। बेंगलुरु से करीब सवा सौ किमी दूर मांडया जिले में एक गांव है कोक्केरबेल्लुर। गांव इन दिनों अपनी बेटियों और नाती-नातिनों की देखभाल में व्यस्त है। खास बात यह है कि उनकी बेटियां प्रवासी पक्षी हैं। दो हजार की आबादी वाले गांव के लोग पेंटेड स्टॉर्क और पेलिकन पक्षियों काे बेटी मानते हैं। जैसे बच्चे की जन्म के लिए बेटियाें के मायके आने की परंपरा है, वैसे ही यह पक्षी यहां आते हैं।

पेलिकन अक्टूबर में यहां आ गए हैं और करीब छह महीने रहने के बाद जब बच्चे उड़ना और भोजन जुटाना सीख जाएंगे तो अप्रैल में यह लौट जाएंगे। प्रवासी पक्षी पेंटेड स्टॉर्क भी दिसंबर से जुलाई तक यहां रहेंगे। गांव वालों और पक्षियों के बीच यह अनोखा रिश्ता करीब 200 साल और चार पीढ़ी से बना हुआ है। गांव के लोकेश पी और श्रीकृष्ण बताते हैं कि ये पक्षी धान की घास से घोंसला बनाते हैं, इसलिए गांव वाले घर की छतों पर ये घास बिछा देते हैं।

यहां पक्षियों को शुभ मानकर शादी से पहले यह देखा जाता है कि जिस घर में उनके बच्चों का रिश्ता जुड़ रहा है, वहां घोंसला है या नहीं। लोगों और प्रशासन ने पक्षियाें और बच्चों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। बच्चे पेड़ से गिरकर घायल न हों, इसलिए पेड़ों के इर्द-गिर्द नेट लगाए गए हैं। कुछ साल पहले करंट से कई पक्षियों की मौत हो गई थी, इसलिए अब सभी बिजली के तारों को कवर कर दिया गया है। पेड़ों के नीचे पशु बांधे जाते हैं, ताकि कोई जानवर पेड़ पर चढ़कर अंडों को नुकसान न पहुंचा सके। पक्षी भी इस रिश्ते को मजबूती से निभाते हैं। जैसे- पहले गांव एक किलाेमीटर दूर सिमसा नदी के तट पर था, लेकिन करीब एक सदी पहले प्लेग की वजह से गांव वाले वर्तमान जगह आकर बस गए। तब पक्षी भी यहीं आने लगे। जबकि पक्षियों का मुख्य भोजन मछली है, जिसके लिए अब उन्हें नदी तट तक उड़कर जाना पड़ता है। 

कोक्केरबेल्लुर, कर्नाटक का इकलौता कम्युनिटी रिजर्व है। वाइल्ड लाइफ रिसर्चर अक्षिता महापात्रा बताती हैं कि हम नहीं जान पाए हैं कि यह पक्षी आते कहां से हैं। भारत के अलावा ये श्रीलंका, कंबोडिया और थाईलैंड में पाए जाते हैं। जनवरी 2020 से इन पक्षियों की जीपीएस टैंगिंग होने जा रही है।

Created On :   23 Dec 2019 8:19 AM GMT

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