राजा के पुण्य से पिता को मिला स्वर्ग, ऐसी है 'मोक्षदा एकादशी' की कथा

Mokshada Ekadashi 2017, Mokshada Ekadashi katha and vrat vidhi
राजा के पुण्य से पिता को मिला स्वर्ग, ऐसी है 'मोक्षदा एकादशी' की कथा
राजा के पुण्य से पिता को मिला स्वर्ग, ऐसी है 'मोक्षदा एकादशी' की कथा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पृथ्वी पर विचरण करने वाले समस्त प्रकार के प्राणी परामात्मा के ही अंश माने गए हैं लेकिन कर्मफल के चलते वे बार-बार जन्म लेते हैं। गीता में ऐसा वर्णन मिलता है कि जो भी प्राणी एक बार मृत्यु को प्राप्त होता है वह कर्मफल के अनुसार पुनः गर्भ में आता है, लेकिन वह व्यक्ति जो विष्णु लोक जाता है या जिसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हो जाती है वह मोक्ष प्राप्त करता है अर्थात जन्म-मरण के चक्र से वह मुक्त हो जाता है।  

 

श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी कथा

यहां हम आपको मोक्षदा एकादशी की एक ऐसी कथा सुनाने जा रहे हैं जिसने योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इसका कथा का श्रवण प्रत्येक व्रतधारी को करना चाहिए। कथा के अनुसार वैखानस नाम के एक राजा हुआ करते थे उनके राज्य में सभी सुख शांति से रहते थे। किसी को कोई दुख नही था, मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी तक बिना किसी भय के जीवन का आनंद ले रहे थे, उस राजा को प्रजापालक माना जाता था। किंतु एक रात उन्हें स्वप्न आया जिसमें उन्होंने अपने पिता को देखा, वे बुरी स्थिति में थे और नरक में यातनाएं भोग रहे थे। वे इस स्वप्न से घबरा गए उन्होंने भोर होते ही सबसे पहले ज्ञानियों, पंडितों और ऋषियों से संपर्क किया और उन्हें अपने स्वप्न के बारे में बताया। सभी ने उन्हें ऋषि पर्वत के पास जाने का मार्ग बताया। 

 

राजा ने ऋषि पर्वत के पास पहुंचा और अपनी व्यथा बताई। राजा की अधीरता पर उन्हें दया आ गई। उन्होंने बताया कि आपके पिता अपने कर्म और गलतियों की सजा भोग रहे हैं। यदि आप उन्हें इस यातना से मुक्त कराना चाहते हैं तो आपको मार्गशीर्ष पर पड़ने वाले मोक्षदा एकादशी का व्रत करना होगा। इस एकादशी का पुण्य पिता को देने पर वे नरक से मुक्त हो जाएंगे और उहें स्वर्ग प्राप्त होगा। राजा ने इस व्रत का पारण विधि-विधान से किया और उनके पुण्य से राजा के पिता को स्वर्ग प्राप्त हुआ। तब से मोक्षदा एकादशी के व्रत का पालन किया जाता है। 

 

Created On :   19 Nov 2017 3:38 AM GMT

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