कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने से पहले जानें टॉप-10 हाई प्रोफाइल सीट, सीएम से पूर्व सीएम तक सबकी किस्मत लगी दांव पर

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने से पहले जानें टॉप-10 हाई प्रोफाइल सीट, सीएम से पूर्व सीएम तक सबकी किस्मत लगी दांव पर
दिग्गजों की साख पर लटकी तलवार

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को मतदान हुए जिसमें प्रदेश की जनता ने बढ़ चढ़ कर वोट डाले। इस विधानसभा चुनाव में 224 सीटों के लिए 2,621 उम्मीदवार खड़े हुए। जिनकी किस्मत अब ईवीएम में कैद हो चुकी है। वहीं इन उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला कल (13 मई) को होना है। दो हजार से अधिक प्रत्याशियों में कुछ ऐसे नाम हैं जिन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

कर्नाटक के दस ऐसी हाई प्रोफाइल सीट हैं जिस पर 13 मई को नतीजे आने वाले हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से लेकर पूर्व सीएम सिद्धारमैया सबकी साख पर तलवार लटकी हुई है। इनके अलावा कुछ ऐसे भी और नाम हैं जो प्रदेश की राजनीति में काफी अहम रोल अदा करते हैं। तो आइए बताते हैं कि आखिर इस बार इनकी जीत कितनी पक्की है या इस बार इन नेताओं का पासा विपक्षी उम्मीदवार पलट सकते हैं।

सीएम बसवराज बोम्मई

लिंगायत समुदाय के बड़े नेताओं में से एक और कर्नाटक के मौजूदा मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शिग्गांव सीट से एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। बोम्मई 2008 से लगातार इस सीट पर अपना कब्जा जमाए हुए हैं। वहीं कांग्रेस ने बीजेपी के दिग्गज नेता बसवराज बोम्मई के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए यासिर अहमद खान पठान को उतारा है। यासिर अहमद खान पठान शिग्गांव क्षेत्र के अल्पसंख्यक समाज के कद्दावर नेता माने जाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार

जगदीश शेट्टार लिंगायत समुदाय के दिग्गज नेता हैं और हुबली- धारावाड़ विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार बीजेपी की ओर से विधायक रह चुके हैं। लेकिन इस बार भाजपा ने शेट्टार को टिकट नहीं दिया था। जिसकी वजह से शेट्टार ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इस बार हुबली-धारावाड़ सीट से कांग्रेस की ओर से जगदीश शेट्टार और बीजेपी के नेता महेश तेंगिनाकाई चुनावी मैदान में आमने-सामने हैं। ये दोनों नेताओं की अपने विधानसभा सीट में अच्छी खासी पकड़ है। दोनों ही नेता पहले बीजेपी के लिए प्रचार करते थे। लेकिन इस बार का मामला अलग है। दोनों साथी एक दूसरे के खिलाफ है। ऐसे में यहां का मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो गया है। हालांकि बीजेपी के कार्यकर्ताओं में भी जगदीश शेट्टार को पार्टी से टिकट ना मिलने को लेकर नाराजगी भी देखी गई थी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने न चाहते हुए भी खुद के साथी रहे जगदीश शेट्टार के खिलाफ प्रचार किया था। अब दोनों नेताओं की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गई है और 13 मई के नतीजों के बाद इसका फैसला होगा।

पूर्व सीएम सिद्धारमैया

कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं प्रदेश के पूर्व सीएम सिद्धारमैया इस बार वरुणा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में थे। वहीं भाजपा के वरिष्ठ मंत्री वी.सोमन्ना भी इसी वरुणा सीट से चुनावी जंग लड़ रहे हैं। दोनों दिग्गज नेताओं के बीच चुनावी मुकाबला बेहद की कड़ा है। साथ ही सिद्धारमैया ने कहा है कि, मेरा पैतृक गांव इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है और यह चुनाव मेरा आखिरी चुनाव होगा। इस चुनाव के बाद मैं राजनीति से संन्यास लूंगा। बता दें कि, सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं। जो कर्नाटक में तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाली जाति है।

डी. के. शिवकुमार

कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डी. के. शिवकुमार कनकपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। डी. के. राज्य के दूसरे सबसे बड़े वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। इनको कांग्रेस के संकटमोचन भी कहा जाता है। पार्टी अध्यक्ष प्रदेश की राजनीति में बीजेपी को कई बार मात दे चुके हैं। डी.के. शिवकुमार बड़े कद के नेता माने जाते हैं। उन्होंने कर्नाटक से लेकर गुजरात तक अन्य भी कई राज्य संभालने का काम किया है। वहीं इस बार इनका मुकाबला भाजपा के राजस्व मंत्री आर के अशोक से है। अब देखना होगा कि इन दोनों नेताओं में किसके सिर पर जीत का सेहरा सजता है।

पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी

जेडी(एस) प्रमुख एचडी कुमारस्वामी चन्नापट्टन सीट से चुनाव में खड़े हैं। इनके खिलाफ भाजपा के सीपी योगेश्वर जबकि कांग्रेस के गंगाधर एस. ने चुनाव लड़ा है। पिछले चुनाव में कुमास्वामी ने भाजपा के प्रत्याशी सीपी योगेश्वर को 21 हजार से ज्यादा मतों से हराया था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, एक बार फिर एचडी कुमारस्वामी जीत दर्ज कर सकते हैं क्योंकि इस विधानसभा में उनकी जबरदस्त पकड़ मानी जाती है।

पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी

कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव अथणी विधानसभा सीट से लड़ा है। जिनके विरोध में भाजपा के महेश कुमाथल्ली खड़े हैं। बता दें कि, लक्ष्मण सावदी हाल ही में भाजपा से टिकट कट जाने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए थे। जिसके बाद कांग्रेस ने उन पर विश्वास जताते हुए अथणी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया था। दिलचस्प बात ये है कि, साल 2018 में भाजपा से सावदी ने इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी और मौजूदा समय में भाजपा के उम्मीदवार महेश कुमाथल्ली से हार का सामना करना पड़ा था।

दरअसल, महेश ने कांग्रेस से बगावत करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए थे। जिसको देखते हुए बीजेपी ने सावदी को छोड़ महेश को अथणी विधानसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार बनाया था। जिसको देख सावदी ने बीजेपी पर अपमान करने का आरोप लगाया था और भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं 10 मई के वोटिंग के बाद 13 मई को इसके नतीजे घोषित किए जाएंगे। अब देखना होगा कि इस सीट पर कौन जीत दर्ज करता है। बता दें कि, सावदी साल 2004, 2008 और 2013 में अथणी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।

बी.वाई. विजयेंद्र

शिकारीपुर सीट से भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेंद्र को टिकट बीजेपी ने दिया है। विजयेंद्र को भाजपा का येदियुरप्पा का विकल्प बताया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो, जब येदियुरप्पा ने ये घोषणा की थी कि वो अब राजनीति से संन्यास लेंगे तब से बीजेपी शिकारीपुर सीट पर उम्मीदवार देखना शुरू कर दी थी। लेकिन बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी को साफ-साफ कह दिया था कि इस सीट से किसी अन्य के बजाय मेरे बेटे को टिकट मिलना चाहिए ताकि मेरा वर्चस्व कायम रहे। जिसके बाद बीजेपी हाईकमान ने येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र को अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं विजयेंद्र के खिलाफ कांग्रेस ने जीबी मलातेश को अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसा माना जा रहा है कि आसानी से येदियुरप्पा के बेटे विजेंयद्र जीत हासिल कर लेंगे क्योंकि पिता का पूरा समर्थन है।

प्रियांक खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे चित्तपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा है। प्रियांक के खिलाफ भाजपा ने मणिकांता राठौड़ को मैदान में उतारा है। 2018 में इस सीट से प्रियांक खड़गे ने भारी मतों से जीत हासिल की थी। प्रियांक खड़गे को साल 2018 के चुनाव में 69,700 वोट मिले थे। बता दें कि साल 2013 से लगातार दो बार प्रियांक चित्तपुर से विधायक हैं। इस सीट से मल्लिकार्जुन खड़गे भी चुनाव लड़ चुके हैं।

दरअसल, इस सीट पर खड़गे परिवार का ही कब्जा रहा है। कई सालों से चुनाव जीतने के बाद खड़गे ने साल 2008 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद एक ही साल में यानी 2009 में इस्तीफा दे दिया था। खड़गे ने 2009 में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करके दिल्ली का रूख किया था। हालांकि, साल 2009 में चित्तपुर सीट खाली होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें खड़गे के बेटे प्रियांक खड़े हुए थे। जिन्हें भाजपा के वाल्मिकी नायक से करारी हार मिली थी। लेकिन साल 2013 में प्रियांक खड़गे ने भाजपा प्रत्याशी को हराते हुए पिता की विरासत बचाने में कामयाब रहे थे। तब से इस सीट पर खड़गे परिवार का ही कब्जा है। हालांकि, इस बार देखना दिलचस्प होगा कि क्या प्रियांक खड़गे जीत हासिल कर पाते हैं या नहीं।

विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी

कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी सिरसी विधानसभा सीट से चुनाव में खड़े हैं। इस सीट से कांग्रेस ने भीमन्ना नाईक को मैदान में उतारा है। कागेरी इस सीट पर तीन बार से लगातार जीत कर विधानसभा में जा रहे हैं। ऐसी संभावना है कि इस बार भी जीत दर्ज कर सकते हैं। बता दें कि, कांग्रेस के लिए ये किला भेद पाना बड़ा ही कठिन होगा क्योंकि पार्टी को यहां आखिरी बार जीत साल 1989 में मिली थी।

एचडी रवन्ना

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सबसे बड़े हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार होलेनरसीपुर सीट भी है। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा कई बार विधायक रह चुके हैं। वहीं होलेनरसीपुर सीट से जेडीएस नेता पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बड़े बेटे एचडी रवन्ना को टिकट दिया है। जिनके विरोध में बीजेपी ने देवराजे गौड़ा और कांग्रेस ने श्रेयस एम. पटेल को उम्मीदवार बनाया है। अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनावी नतीजे किसके पक्ष में आते हैं। हॉट सीट होलेनरसीपुर, देवगौड़ा परिवार का गढ़ रहा है। रवन्ना के पिता एचडी देवगौड़ा यहां से 1962 में पहली बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे। इसके बाद वो लगातार 6 बार इसी सीट से जीतते रहे। लेकिन 1989 में देवगौड़ा को कांग्रेस के जी पुत्तस्वामी गौड़ा ने अच्छे खासे वोटों से मात दे दी थी।

साल 1994 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस सीट से पहली बार एचडी देवेगौड़ा के बेटे एचडी रवन्ना को उतारा गया था। जिसमें उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार पुत्तस्वामी गौड़ा को भारी मतों से हराया था। इसी जीत से रमन्ना ने पिता की हार का बदला लिया था लेकिन हार जीत का सिलसिला यहीं नहीं रूका। साल 1999 में एक बार फिर कांग्रेस के प्रत्याशी ए डोडेगौड़ा ने रवन्ना को हरा दिया था। हालांकि, 5 साल विपक्ष में बैठे रहने के बाद साल 2004 के विधानसभा में जोरदार वापसी करते हुए एचडी रवन्ना ने फिर से जीत हासिल की और अब तक अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है। अब देखना होगा कि ये जीत का कारवां यूं ही आगे चलता रहेगा या इस बार कांग्रेस या बीजेपी के प्रत्याशी इस सीट पर अपना झंड़ा लहराएंगे। ये 13 मई को साफ हो जाएगा।



Created On :   12 May 2023 11:09 AM GMT

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