मध्यप्रदेश में फंदे में फंसती नौकरशाही

Bureaucracy getting trapped in Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में फंदे में फंसती नौकरशाही
मप्र सियासत मध्यप्रदेश में फंदे में फंसती नौकरशाही

डिजिटल डेस्क, भोपाल। लगता है मध्यप्रदेश में नौकरशाही के फंदे में फंसने के दिन आने लगे हैं, कुछ दिनों में जांच एजेंसी लोकायुक्त संगठन के कदम और सरकार की तिरछी होती नजर से कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। राज्य में नौकरशाही के लगातार हावी होने के मामले सामने आते रहे हैं। सरकारी योजनाओं में गड़बड़ी भी किसी से छुपी नहीं है। इन स्थितियों से सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही है। कई अधिकारियों को लेकर राज्य सरकार के मंत्रियों तक में नाराजगी है। परिणामस्वरूप सरकार को लगने लगा है कि अगर नौकरशाही को नियंत्रित नहीं किया गया तो अगले साल होने वाला चुनाव आसान नहीं होगा।

कुछ दिनों से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी तेवर तल्ख हैं और वे गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई भी कर रहे हैं। राज्य में प्रधानमंत्री आवास और राशन वितरण के मामले में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। ये दोनों ही ऐसे मामले हैं जिनसे गरीब तबके के बीच सरकार की नकारात्मक छवि बनने की आशंका को कोई नहीं नकार रहा है।

मुख्यमंत्री के तेवरों को बीते रोज हुई वर्चुअल मीटिंग से भी समझा जा सकता है। उनका कहना है कि अगर किसी भी विभाग की मीडिया में खबर आई तो तुरंत बत्ती जल जानी चाहिए, यह काम अकेले मेरा या जनसंपर्क विभाग का नहीं है। अगर कोई खबर छपी है तो हमें क्या लेना-देना मुख्यमंत्री-मंत्री जानें, यह भाव नहीं चलेगा। कोई खबर छपी है तो आपकी ड्यूटी है आप बताइए कि यह सूचना गलत है, और सही है तो एक्शन लीजिए।

सरकार के तौर तरीके में आए बदलाव को कई स्थानों पर राशन दुकान संचालकों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी और महिला बाल विकास विभाग में 104 कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई व कई कर्मचारियों को सेवा से अलग किए जाने से समझा जा सकता है। एक तरफ जहां सरकार जमीनी हालात से लेकर नौकरशाही तक को कस रही है, तो दूसरी ओर राज्य सरकार की जांच एजेंसी लोकायुक्त संगठन भी सक्रिय नजर आ रहा है। उज्जैन के महाकाल लोक को लेकर सरकार की सराहना हो रही है, मगर इसी से जुड़े एक मामले में लोकायुक्त ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों के अलावा 15 को नोटिस जारी किया हे। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उसने ठेकेदारों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के लिए निर्धारित दरों में तो बदलाव किया ही, उपयोग में आने वाले आइटम को भी बदल दिया। ज्ञात हो कि महाकाल लोक का पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण किया था।

एक अन्य मामला पूर्व आईएएस राधेश्याम जुलानिया से जुड़ा हुआ है। जुलानिया के विरुद्ध लोकायुक्त संगठन ने भ्रष्टाचार की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। उन पर आरोप है कि जल संसाधन विभाग की ठेका कंपनी को लाभ पहुंचाया और कंपनी ने लगभग एक करोड़ राशि उनके खाते में जमा की, इसके अलावा भी कई आरोप हैं।

जानकारों का मानना है कि लोकायुक्त संगठन ने भले ही अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज कर लिए हों, मगर क्या इनके खिलाफ जांच हो पाएगी, यह बड़ा सवाल है। ऐसा इसलिए क्योंकि आईएएस, आईपीएस, आईएएफएस के अलावा प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच तभी हो सकती है जब मुख्यमंत्री से अनुमति मिले।

(आईएएनएस)

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Created On :   29 Oct 2022 5:01 PM IST

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