शिवराज के मंत्रियों के विभाग वितरण की गुत्थी अब भी उलझी

Department of distribution of Shivrajs ministers still confused
शिवराज के मंत्रियों के विभाग वितरण की गुत्थी अब भी उलझी
शिवराज के मंत्रियों के विभाग वितरण की गुत्थी अब भी उलझी
हाईलाइट
  • शिवराज के मंत्रियों के विभाग वितरण की गुत्थी अब भी उलझी

भोपाल 10 जुलाई (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का दूसरा विस्तार हुए आठ दिन गुजर गए हैं मगर मंत्रियों को विभाग वितरण की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ पाई है। सरकार की ओर से अब भी यही कहा जा रहा है कि जल्दी ही विभागों का वितरण कर दिया जाएगा।

राज्य में मुख्यमंत्री के अलावा 33 मंत्री हैं, इनमें 25 कैबिनेट हैं और आठ राज्य मंत्री हैं। दो जुलाई को 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी और उम्मीद जताई जा रही थी कि जल्दी ही विभागों का वितरण कर दिया जाएगा मगर ऐसा हो ना सका।

मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार में जिन 28 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी उनमें से 12 मंत्री वे भी थे जो पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। सिंधिया खेमे की ओर से मंत्रियों को महत्वपूर्ण पद दिए जाने और राज्यमंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार की मांग की गई।

सिंधिया खेमे की ओर से मांगे गए महत्वपूर्ण विभाग और राज्य मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार दिए जाने का मसला भाजपा में राज्य संगठन से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस मसले को लेकर दो दिन तक दिल्ली में रहे और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व के तमाम नेताओं से मेल-मुलाकात की और विभागों से संबंधित सूची उन्हें सौंप दी।

मुख्यमंत्री चौहान ने दिल्ली में और फिर भोपाल लौटने पर जल्दी ही विभाग वितरण की बात कही थी, मगर उसे भी तीन से चार दिन गुजर गए हैं मगर अब तक विभागों का वितरण नहीं हो पाया है। पिछले दिनों चौहान ने कहा था कि मुख्यमंत्री में ही सारे विभाग निहित होते है।

राज्य सरकार के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है, एक-दो दिन में विभागों का वितरण कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हम पांच मंत्री गांव गरीब और किसान के लिए काम कर रहे है।

मंत्रियों के शपथ लेने के आठ दिन बाद भी विभागों का वितरण न होने पर पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी ने कहा कि शिवराज सरकार में विभाग बंटवारे को लेकर खींचतान मची हुई है़ मलाईदार विभागों को लेकर दो बिल्लियां आपस में लड़ रही हैं और दोनों ही अपने को टाइगर कहते हैं। चौहान को तो इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि वर्तमान में प्रदेश में लोकतंत्र जनतंत्र का नहीं बल्कि अफसरशाही का राज हो गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई और उसके बाद अब विभाग वितरण में वक्त लग रहा है, इससे यह संदेश तो जा ही रहा है कि पार्टी के भीतर सब ठीक-ठाक नहीं है। इससे राज्य में पार्टी के निर्णय लेने की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं, वहीं विरोधी दल कांग्रेस के हाथ में विभाग वितरण का एक और मुद्दा हाथ में आ रहा है।

मंत्री पद की शपथ लेने के बाद कई मंत्री विभाग वितरण की आस में भोपाल रुके रहे, मगर विभाग वितरण में देरी देखी तो वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच गए हैं, क्योंकि कुल 14 मंत्री ऐसे हैं जो विधायक नहीं हैं और उन्हें आगामी समय में चुनाव भी लड़ना है।

Created On :   10 July 2020 7:00 PM IST

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