कांवड़ यात्रा पर सियासत तेज: मीट की दुकानें बंद करने के आदेश पर फूटा मौलाना साजिद रशीदी का गुस्सा, सरकार के फैसले को बताया 'तुगलकी फरमान'

मीट की दुकानें बंद करने के आदेश पर फूटा मौलाना साजिद रशीदी का गुस्सा, सरकार के फैसले को बताया तुगलकी फरमान

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जुलाई महीने से सावन में शुरू होने वाली कांवड़ा यात्रा की जोर शोर से तैयारियां की जा रही हैं। लेकिन, इससे पहले कांवड़ा यात्रा के मार्गों पर मीट की दुकानों को बंद करने को लेकर सियासत गरम हो गई है। दरअसल, ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी का बयान सामने आया है। उन्होंने इस तरह के आदेश को तुगलकी फरमान बताया है।

    मीट की दुकानें बंद करना का आदेश तुगलकी फरमान

    मौलाना साजिद रशीदी ने मीट की दुकानें बंद करने के आदेश पर बात करते हुए कहा, "मैंने यूपी और दिल्ली सरकार का फरमान सुना जिसमें कहा गया है कि कांवड़ यात्रा के दौरान मीट की तमाम दुकानें बंद रहेंगी। यह तो तुगलकी फरमान है। आपकी आस्था है, आप उसे बनाए रखिए, कोई इसमें मना नहीं करता है।"

    इस दौरान मौलाना साजिद रशीदी ने सवाल उठाते हुए कहा, "क्या संविधान में किसी एक धर्म के नाम पर दूसरे धर्म के लोगों को प्रताड़ित करना या उनकी रोजी रोटी पर प्रहार करना, क्या यह संवैधानिक है? ये तो संविधान और समाज के भी विरुद्ध है। जो छोटे-मोटे दुकानदार रोजाना अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं, उनके लिए क्या? एक रास्ता है, आपकी भी बात पूरी हो जाएगी। जब तक कांवड़ यात्रा चल रही है आप हर दुकानदार को 5 हजार रुपये रोजाना दीजिए। दुकानें बिल्कुल बंद रहेंगी, कोई बात नहीं। आपकी बात भी पूरी हो जाएगी और उनलोगों की रोजी-रोटी पर भी प्रहार नहीं होगा।"

    सरकार के फैसले को बताया असंवैधानिक

    उन्होंने आगे कहा, ''सिर्फ दुकानें बंद कर देने के लिए आदेश देना और उनकी रोजी-रोटी का ख्याल न करना, ये तो संवैधानिक नहीं है क्योंकि कोई भी सरकार एक समुदाय के लिए नहीं होती है। सरकारें धर्मनिरपेक्ष होती हैं। आपने संविधान की शपथ ली है। संविधान ये नहीं कहता है कि आप एक धर्म के लिए काम करो और दूसरे धर्म के लोगों को भूखा मरने के लिए छोड़ दो, इसलिए ये तुगलकी फरमान है।"

    मौलाना साजिद रशीदी ने कहा कि यदि ये फरमान आपको जारी रखना है तो उनको रोजाना हर्जाना दीजिए और ऐसा नहीं करते हैं तो अपना तुगलकी फरमान वापस लीजिए। इसका हम खुले दिन से विरोध करते हैं और तमाम संगठनों और लोगों से कहते हैं कि इसका विरोध करें। ऐसा नहीं होना चाहिए। ये बहुत गलत फरमान है।

    Created On :   30 Jun 2025 5:58 PM IST

    Tags

    और पढ़ेंकम पढ़ें
    Next Story