गुजरात चुनाव: झगड़िया में बीटीपी संस्थापक छोटू वसावा और बेटे महेश वसावा के बीच जंग

Gujarat elections: Battle between BTP founder Chhotu Vasava and son Mahesh Vasava in Jhagadia
गुजरात चुनाव: झगड़िया में बीटीपी संस्थापक छोटू वसावा और बेटे महेश वसावा के बीच जंग
गुजरात विधानसभा चुनाव-2022 गुजरात चुनाव: झगड़िया में बीटीपी संस्थापक छोटू वसावा और बेटे महेश वसावा के बीच जंग

डिजिटल डेस्क, भरूच। अगले महीने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में भरूच जिले के झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के संस्थापक और उनके बेटे महेश वसावा के बीच सीधा मुकाबला होने वाला है। जहां बेटे महेश वसावा ने बीटीपी उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया, वहीं उनके पिता और पार्टी के संस्थापक छोटू वसावा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

छोटू वसावा ने सोमवार को आईएएनएस से कहा, मुझे जनादेश की जरूरत नहीं है, अब समय आ गया है कि सभी पार्टियां जनादेश प्रणाली को समाप्त कर दें। सात बार के विधायक छोटू वसावा जब आज सुबह अपनी उम्मीदवारी (नामांकन) दाखिल करने के लिए चुनाव अधिकारी के कार्यालय की ओर जा रहे थे, तब सैकड़ों कार्यकर्ता रैली में शामिल हुए। छोटू के करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है।

जनादेश विवाद पर सीधा जवाब देने से बचते हुए महेश वसावा ने आईएएनएस से कहा, जल्द तस्वीर साफ हो जाएगी। चुनावों में प्रत्येक पार्टी दो उम्मीदवारों, मुख्य उम्मीदवार और डमी उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, उसी तरह बीटीपी में भी दो उम्मीदवार उम्मीदवारी दाखिल करेंगे। महेश वसावा ने झगड़िया से बीटीपी के आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। उम्मीदवार के रूप में जब उन्होंने अपना पर्चा जमा किया तो कोई जुलूस रैली, सभा या समर्थक नहीं थे। उनकी उम्मीदवारी का पार्टी सदस्य ईश्वर वसावा ने समर्थन किया था।

छोटू वसावा 1990 से झगड़िया निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने जा रहे हैं, जबकि उनके बेटे महेश डेडियापाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ते रहे हैं और निर्वाचित होते रहे हैं। छोटू वसावा को पहली बार परिवार के भीतर से चुनौती का सामना करना पड़ेगा। पिछले हफ्ते छोटू वसावा के दूसरे बेटे दिलीप वसावा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और अन्य पदों से इस्तीफा दे दिया था।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, महेश द्वारा आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने का फैसला करने के बाद पिता और पुत्र के बीच मतभेद पैदा हो गए, और छोटू वसावा ने गठबंधन तोड़ दिया, क्योंकि उन्होंने देखा कि आप बीटीपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को अपनी पार्टी की तरफ खींचकर बीटीपी की पीठ में छुरा घोंप रही थी। जब छोटू वसावा ने जद (यू) के साथ गठबंधन की घोषणा की, तो महेश असहमत थे। ऐसा लगता है कि या तो बीटीपी टूट जाएगा या फिर महेश वसावा पार्टी की बादशाहत संभाल लेंगे।

(आईएएनएस)

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Created On :   14 Nov 2022 5:31 PM IST

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