नवजोत सिंह सिद्धू ने नहीं खाई रोटी, इस वजह से बिना रोटी के ही गुजारेंगे दिन, इस सामान के साथ गुजरी रात
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अपने बयानों के लेकर अक्सर सुर्खियों में बने रहते हैं। हालांकि अबकी बार सिद्धू को लेकर सियासत में चर्चा होने का दूसरा कारण है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 34 साल पुराने 1988 के रोड रेज मामले में एक साल की कैद की सजा सुनाई है। बीते शुक्रवार को सिद्धू ने पटियाला सेशन कोर्ट में सरेंडर किया था।
सिद्धू जेल में कैदी नंबर 241383 बन गए हैं। खबरों के मुताबिक कैदी नंबर अलॉट होने के बाद उन्हें बैरक नंबर 10 में शिफ्ट किया गया है। सिद्धू को हत्या में सजा काट रहे 8 कैदियों के साथ उन्हें रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक बीते शुक्रवार को नवजोत सिंह सिद्धू को जेल मैनुअल के हिसाब उन्हें दाल-रोटी दी गई। हालांकि सिद्धू ने सेहत का हवाला देते हुए खाने से मना कर दिया था, उन्होंने केवल फल और सलाद खाकर रात काटी।
सिद्धू को गेहूं से है एलर्जी
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरिंदर डल्ला के मुताबिक सिद्धू को गेहूं से एलर्जी है। इसलिए वह गेहूं की रोटी नहीं खा सकते हैं। उन्होंने बताया कि सिद्धू इन्हीं वजहों से लंबे समय से गेहूं की रोटी नहीं खा रहे हैं। सिद्धू ने इस वजह से स्पेशल डाइट की मांग की थी। सिद्धू ने इस बात की जानकारी मेडिकल के दौरान ही दी थी।
जेल में सिद्धू को मिला ये सामान
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को जेल प्रशासन की तरफ से कुछ सामान उपलब्ध कराया गया है। जिसका इस्तेमाल सिद्धू जेल के अंदर कर सकते हैं। सिद्धू को एक आलमारी, 2 पगड़ी, एक बैड, तीन अंडरवियर और बनियान, 2 तौलिया, एक मच्छरदानी, एक कॉपी पेन, जूतों की जोड़ी, दो बेड शीट, दो तकिया कवर, 4 कुर्ते-पायजामे और एक कुर्सी-टेबल दिए गए हैं। खबरों के मुताबिक सिद्धू को जेल में कैदियों के कपड़े ही पहनकर सजा काटनी पड़ेगी।
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू 27 दिसंबर 1988 को शाम के समय अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट गए थे। वहीं पर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से पार्किंग को लेकर कहासुनी हो गई, देखते ही देखते मामला इतना बढ़ गया कि मारपीट होने लगी। मारपीट के दौरान सिद्धू ने घुटने मारकर गुरनाम को गिरा दिया था। जिससे गुरनाम को गंभीर चोंटे भी आईं थीं। उसके बाद गुरनाम को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में कांग्रेस नेता सिद्धू के खिलाफ पंजाब के पटियाला में मुकदमा दर्ज हुई थी।
इसके बाद पटियाला के ट्रायल कोर्ट ने 22 सितंबर 1999 को सिद्धू और उनके दोस्त को बरी कर दिया था। फिर ये मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू के खिलाफ आईपीसी की धारा 304(2) के तहत दर्ज मुकदमे को सही ठहराया और दोनों को तीन-तीन साल की सजा तथा एक-एक लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया। हाईकोर्ट के इस फैसले को साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सिद्धू की तरफ से बीजेपी के दिवंगत नेता अरूण जेटली ने केस लड़ा। मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी और सिद्धू और संधू को बरी कर दिया।
कोर्ट ने सिद्धू के ऊपर गुरनाम को चोट पहुंचाने के लिए 1 हजार रूपए का जुर्माना लगाया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद परिवार चुप नहीं बैठा और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। परिवार का मानना था कि कोर्ट की तरफ से सिद्धू और उनके दोस्त को सुनाई गई सजा काफी कम है। सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को स्वीकार भी कर लिया और 25 मार्च 2022 को इस पर फैसला भी सुरक्षित रख लिया। बीते 19 मई को कोर्ट ने सिद्धू को रोड रेज के मामले में दोषी करार देते हुए एक साल की सजा सुनाई।
Created On :   21 May 2022 12:45 PM GMT