क्या है RVM जिसके नाम पर हो रहा है EVM जैसा ही विवाद? दूर बैठे मतदाता की सहूलियत से क्यों इंकार कर रहे हैं राजनीतिक दल, चुनाव आयोग ने मांगा जवाब

RVM made on the lines of EVM, Election Commission told its benefits, will all political parties accept this machine?
क्या है RVM जिसके नाम पर हो रहा है EVM जैसा ही विवाद? दूर बैठे मतदाता की सहूलियत से क्यों इंकार कर रहे हैं राजनीतिक दल, चुनाव आयोग ने मांगा जवाब
अब RVM पर विवाद क्या है RVM जिसके नाम पर हो रहा है EVM जैसा ही विवाद? दूर बैठे मतदाता की सहूलियत से क्यों इंकार कर रहे हैं राजनीतिक दल, चुनाव आयोग ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। चुनाव आयोग मतदान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाने जा रहा है। आज से कुछ दशक पहले चुनाव में अपने मन पसंद प्रत्याशी को चुनने के लिए वोटर्स को पोलिंग बूथ जाना पड़ता था। जहां पर वो पेपर पर मुहर लगाकर कर अपने प्रतिनिधि को चुनते थे। समय बीतने के बाद ईवीएम का दौर आया और आज सभी चुनाव चाहे वो पंचायती हो या लोक सभा चुनाव, इसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन से होते हैं। इसी कड़ी में अब चुनाव आयोग एक अहम फैसला लेने जा रहा है। 

दरअसल , चुनाव आयोग वोटिंग के लिए रिमोट वोटिंग मशीन यानि कि आरवीएम लाने की तैयारी कर रहा है। इसी मसले पर चुनाव आयोग ने 16 जनवरी सोमवार को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों से दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में चर्चा की। साथ ही तमाम राजनीतिक दलों के समक्ष आरवीएम का प्रदर्शन भी किया। इस बैठक के बाद सभी दलों से सुझाव भी मांगे गए हैं। बैठक में मौजूद दलों के प्रतिनिधियों ने इस मशीन को कंफ्यूजन बढ़ाने वाली मशीन करार दिया। इसके बाद चुनाव आयोग ने सभी को 31 जनवरी तक सभी दलों से लिखित में, इस सिलसिले में जवाब मांगा है। अब देखना होगा कि राजनीतिक दल इस पर अपनी सहमति जताते हैं या नहीं। 

क्या है आरवीएम? 

आरवीएम का पूरा नाम रिमोट वोटिंग मशीन है। सबसे पहले इस मशीन की जानकारी बीते साल दिसंबर में आई थी। चुनाव आयोग ने बताया था कि इस वोटिंग मशीन की सहायता से कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र से वोट कर सकता है। अगर यह सफल होता है तो क्रांतिकारी कदम होगा। दरअसल, ईवीएम के तर्ज पर ही इसका निर्माण किया गया है। ईवीएम की तरह ही आरवीएम के लिए भी किसी तरह के इंटरनेट या कनेक्टिविटी की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इन्हें ध्यान में रखकर बनाया गया

चुनाव आयोग के मुताबिक, अपने घर से दूसरे स्थानों पर रह रहे प्रवासी नागरिक इस मशीन के द्वारा वोट कर सकते हैं। दरअसल, आरवीएम को बनाने का उद्देश्य यह रहा है कि कोई भी ऐसा व्यक्ति न हो जो वोट करने से चूक जाए। अगर आप किसी एक राज्य से दूसरे राज्य को जाते हैं अगर आपके गृह राज्य में मतदान होना है और आप अपने मन पंसदीदा प्रत्याशी को वोट करना चाहते हैं तो आरवीएम से वोट कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर समझें, अगर एक व्यक्ति है जो पुणे में रहता है, लेकिन उसका गृह राज्य पटना है और उसके क्षेत्र में मतदान होने वाला है। वहीं पहले उसे मतदान करने के लिए आना पड़ता था, लेकिन आरवीएम की मदद से वह दूसरे शहर में रह कर भी अपनी विधानसभा या लोकसभा के लिए मतदान कर सकता है।

वोट करने के लिए सबसे पहले प्रवासी मतदताओं को तय समय सीमा के अंदर ही आवेदन करना होगा। जो ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधा होनी वाली है। आवेदन में वोटर्स की और से दी गई जानकारी को चुनाव आयोग उनके निर्वाचन क्षेत्र में जाकर प्रमाणित करेगा। प्रमाणित हो जाने पर प्रवासी मतदताओं के लिए वोटिंग आरवीएम सेंटर स्थापित किए जाएंगे। वहीं वोटर आई़़डी कार्ड को मतदाता आरवीएम पर वोटिंग के लिए स्कैन करेंगे। उसके बाद उन्हें वोटिंग करने की अनुमति दी जाएगी। 

ईवीएम की तरह ही काम करेंगी आरवीएम

ईवीएम की तरह ही आरवीएम भी मतदान का काम करने वाली मशीन है। ईवीएम की यूनिट की तरह ही आरवीएम की यूनिट में भी राज्य, निर्वाचन क्षेत्र और प्रत्याशी को दिए गए वोट दर्ज होंगे। आरवीएम के साथ भी एक वीवीपैट मशीन लगी होगी। जिसमें ईवीएम की तरह ही पर्ची में सारे डिटेल प्रिंट होकर वोटर्स को दिखेंगे। वहीं मतगणना के समय निर्वाचन क्षेत्र में प्राप्त की गई कुल वोटों की संख्या को आरवीएम में दर्ज किए गए वोटों से जोड़ दिया जाएगा। 

क्या है आरवीएम के फायदे?

अगर सभी दलों की सहमति हो जाती है तो आरवीएम से सबसे ज्यादा फायदा प्रवासी नागरिकों को होगा। वो भी अपने मताधिकार का उपयोग कर सकते हैं। ऐसे न जाने कितने वोटर्स हैं जो अपने राज्य में चुनाव होने के दौरान नहीं रहते हैं। जिनका खास घ्यान रखते हुए चुनाव आयोग आरवीएम लाया है। हाल ही के दिनों में दो राज्यों की विधानसभा चुनाव हुए थे। जिनमे बहुत ही कम प्रतिशत वोटिंग हुई थी। चुनाव आयोग के मुताबिक, अगर ये मशीन आ जाती है तो वोट प्रतिशत में इजाफा होगा और बाहर रह रहे लोगों को भी वोटिंग करने में कोई समस्या नहीं आएगी। इससे हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा।

चुनाव आयोग पहले भी कर चुका है प्रयास

दरअसल, आरवीएम को लेकर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने एक स्टडी की है। स्टडी में सामने आया था कि गृह राज्य से बाहर रह रहे लोगों के वोट न करने की वजह से सीधे तौर पर वोटिंग प्रतिशत पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि, इससे पहले भी चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टियों के साथ साल 2016 में बैठक कर चुका है। जिसमें इंटरनेट वोटिंग, प्रॉक्सी वोटिंग, तय तारीख से पहले मतदान और पोस्टल बैलेट से प्रवासियों के लिए वोटिंग कराने पर विचार किया गया, लेकिन चर्चा के बाद भी दलों से बात नहीं बन पाई थी।

आईआईटी संस्थानों की मदद से बना आरवीएम

चुनाव आयोग ने आईआईटी के संस्थानों के साथ मिलकर रिमोट वोटिंग मशीन का निर्माण किया है। इस मशीन में मतदाताओं को उनके गृह राज्य से दूर मतदान केंद्रों पर टू-वे इलेक्ट्रनिक वोटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करके बायोमोट्रिक डिवाइस और वेब कैमरे की मदद से वोट डालने की व्यवस्था मिलेगी। गौरतलब है कि राजनीतिक पार्टियां पहले से ही ईवीएम को लेकर सवाल खड़ी करती रही हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग के द्वारा लाया गया आरवीएम इन दलों को रास आता है या नहीं।  

 

Created On :   16 Jan 2023 1:39 PM GMT

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