बिहार में जहरीली शराब कांड को लेकर नीतीश और बीजेपी में जुबानी जंग जारी
डिजिटल डेस्क, पटना। सारण में जहरीली शराब कांड को लेकर सत्तारूढ़ जद(यू) के नेतृत्व वाले महागठबंधन और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है, सारण जहरीली शराब त्रासदी में 73 लोगों की जान चली गई है। भाजपा का आरोप है कि राज्य में शराबबंदी के कारण जहरीली शराब बनाई जा रही है जिससे लोगों की मौत हो रही है। भाजपा ने दावा किया कि जहरीली शराब से 1,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है और राज्य के खजाने को प्रति वर्ष राजस्व के रूप में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
हालांकि मुख्यमंत्री और जद (यू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार हमेशा राज्य में शराबबंदी का श्रेय लेते हैं, लेकिन जब भी कोई शराब कांड होता है, तो वह इसका दोष हर उस राजनीतिक दल पर डालते हैं, जिसने विधान सभा में विधेयक का समर्थन किया था। वहीं, नीतीश कुमार यह भी साबित करना चाहते हैं कि बीजेपी शराबबंदी के खिलाफ है और यह संदेश समाज के एक बड़े वर्ग खासकर महिलाओं तक पहुंचाना चाहते हैं।
राज्य विधान सभा में अपने भाषण के दौरान, नीतीश कुमार ने भाजपा से शराबबंदी पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा- अगर आप शराबबंदी कानून को वापस लेने की वकालत करते हैं तो मैं इसे वापस लूंगा। नीतीश कुमार जिनके लिए शराबबंदी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित एक कदम है, उन्होंने कहा कि हर धर्म शराब को बुरी चीज मानता है।
सारण शराब कांड की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि मशरख थाने के मलखाना में जब्त कर रखी गई स्पिरिट को कथित तौर पर शराब बनाने के लिए शराब माफियाओं को बेच दिया जाता था और इसके सेवन से लोगों की मौत हुई। उसके बाद शराबबंदी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पाठक ने प्रत्येक जिले के जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर ड्यूटी मजिस्ट्रेट की निगरानी में जब्त शराब का निस्तारण करने का निर्देश दिया।
उन्होंने अधिकारियों से अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू होने से पहले और बाद में शराब के नमूने लेने और शेष को नष्ट करने के लिए भी कहा। जांच के निष्कर्ष स्पष्ट संकेत हैं कि सिस्टम में बड़ी खामी है। पुलिस अधिकारी कथित रूप से स्पिरिट बेचने में शामिल हैं जिसका इस्तेमाल माफियाओं ने शराब बनाने के लिए किया था।
राजनीतिक विशेषज्ञ भरत शर्मा ने कहा- नीतीश कुमार जमीनी स्थिति जानते थे लेकिन वह शराबबंदी पर नैतिक आधार ले रहे हैं। नीतीश कुमार वास्तव में मानते हैं कि शराबबंदी से समाज के बड़े वर्ग को फायदा होता है, खासकर महिलाओं को। इसलिए, नीतीश कुमार शराब उपभोक्ता को असामाजिक बता रहे हैं और जो पीएगा वो मरेगा जैसे बयान दे रहे हैं। शर्मा ने कहा, अगर नीतीश कुमार शराबबंदी को वापस लेते हैं, तो यह उनके लिए आत्मघाती हो जाएगा और बिहार में अकेली विपक्षी पार्टी बीजेपी को काफी मदद मिलेगी।
भाजपा नेता शराबबंदी को ठीक से लागू करने में विफल रहने के लिए नीतीश कुमार सरकार की आलोचना कर रहे हैं। वह जहरीली शराब कांड में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए मुआवजे की भी मांग कर रहा है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, बिहार सरकार द्वारा अप्रैल, 2016 में शराबबंदी लागू करने के बाद पहली बार गोपालगंज के खजुरबानी गांव में जहरीली शराब कांड हुआ, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई और 10 लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई। उस दौरान, नीतीश कुमार सरकार ने परिवार के हर सदस्य को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया था।
उन्होंने कहा- छपरा (सारण जिला) की घटना के बाद नीतीश कुमार सरकार कह रही है कि किसी को न पहले मुआवजा दिया गया और न भविष्य में दिया जाएगा। उनका दावा गलत है। उन्हें पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए। नीतीश कुमार बेशर्मी से कहते हैं जो पाएगा वो मरेगा। सारण जहर त्रासदी में जान गंवाने वाले लोग गरीब और दलित समुदाय के लोग हैं, जिनमें से अधिकांश अपने-अपने परिवारों के एकमात्र कमाने वाले थे। अब उन परिवारों के घर में सिर्फ विधवाएं और मासूम बच्चे हैं। अगर राज्य सरकार उनकी मदद नहीं करेगी तो और कौन उनके बचाव में आएगा।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार सड़क हादसों में मरने वालों के परिजनों को मुआवजा दे रही है। उस समय राज्य सरकार यह नहीं पूछती कि मरने वाले लोग गलत साइड से आ रहे थे या नहीं। सुशील कुमार मोदी ने पूछा, नीतीश कुमार सरकार डीएसपी और एसपी रैंक के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
(आईएएनएस)
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Created On :   17 Dec 2022 7:00 PM IST