राजस्थान में फिर सियासी बवंडर, गहलोत ने पायलट को बता दिया प्रदेश के लिए बड़ा कोरोना, जानिए फिर क्यों बने मतभेद के हालात?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगले कुछ महीनों में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। एक तरफ बीजेपी जनाक्रोश यात्रा के जरिए जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है तो वहीं दूसरी ओर सत्ता में बैठी कांग्रेस आंतरिक कलह में उलझती दिखाई दे रही है। राज्य में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच आपसी मतभेद एक बार फिर से शुरू हो गए हैं। राजनीतिक गुरूओं के मुताबिक, जिस तरह सचिन पालयट ने सीएम गहलोत के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया है, उससे हालात 2020 के जैसे हो सकते हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी गुट में बंट जाएगी?
पहले गद्दार और अब बड़ा कोरोना
इन दिनों किसान सभा के जरिए अपनी ताकत दिखाने और बढ़ाने में जुटे सचिन पायलट ने अपनी सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। वो अब राज्य में हुए पेपर लीक के मामले में सरकार को घेर रहे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा किए गए कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए सरगना को पकड़ने की मांग की है। उन्होंने गहलोत पर तंज कसते हुए कहा कि, तिजोरी में बंद पेपर छात्रों तक कैसे पहुंच गई, ये कैसी जादूगरी है? बीजेपी की वसुंधरा सरकार पर घोटाले के आरोप लगाए जाने पर गहलोत को याद दिलाते हुए कहा कि जब वे सरकार में आए तब उन्होंने कार्रवाई क्यों नहीं की? दूसरी ओर डिप्टी सीएम को गद्दार बताने वाले अशोक गहलोत ने इस बार पायलट को 'बड़ा कोरोना' बता दिया।
पायलट का संदेश
बता दें कि अपने सब्र के लिए सचिन पायलट कांग्रेस नेता राहुल गांधी से तारीफ पा चुके हैं, लेकिन लंबे समय के बाद उन्होंने एक बार फिर से गहलोत को निशाना बनना शुरू कर दिया है। राजस्थान के राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट 2020 से ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आश्वासन की वजह से चुप है। ऐसा माना जाता है कि जब समर्थक विधायकों के साथ सचिन पायलट पार्टी से बगावत कर रहे थे तब उन्हें पार्टी की ओर से कुछ वादे किए गए थे, लेकिन वे सभी वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए हैं। पिछले दिनों अशोक गहलोत ने पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद सौंपने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन यह भी योजना विफल रही। ऐसे में माना जा रहा है कि अब तक पार्टी की ओर से गहलोत की खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले पाई और पायलट को भी अब लगने लगा है कि पार्टी में उन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। जानकारी के मुताबिक पायलट पार्टी के आलाकमान को यह संदेश देना चाहते है कि जनता गहलोत के कामकाज से खुश नहीं है और अगले चुनाव से पहले उन्हें सीएम के उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए।
पार्टी नहीं निकाल पा रही है समाधान
दोनों नेताओं की बीच टकराव कोई नई बात नहीं है। राज्य में 2018 की विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद से ही दोनों नेता एक दूसरे की टांग खींचने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पार्टी भी इसका समाधान निकालने में अभी तक कामयाब नहीं रही है और यह जंग दोनों नेताओं के बीच खीचती चली जा रही हैं। दोनों नेता राजस्थान की कमान संभालने की जिदद् पर अड़े हुए हैं। जिस तरह गहलोत ने पार्टी के अध्यक्ष पद को ठुकरा दिया उससे यह साफ हो गया कि वह पायलट का रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं हैं। उधर पायलट को इस बात की चिंता सता रही है कि 2018 चुनाव में उनकी मेहनत का इनाम पार्टी ने उन्हें अभी तक क्यों नहीं दिया है? अब तक पार्टी के भरोसे बैठे रहे पायलट ने सरकार के खिलाफ मौर्चा खोल दिया है। अटकलें यह भी लगाई जा रही है कि अगले कुछ महीनों में राज्य की सियासी में घमासान हो सकता है। यदि ऐसे में पार्टी की ओर सही कदम नहीं उठाए गए तो पार्टी दो गुटों में बंट सकती है।
Created On :   20 Jan 2023 2:40 PM IST