MP में गरमाई सियासत: मध्य प्रदेश में SIR की प्रक्रिया शुरू, कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने बीजेपी पर साधा निशाना

मध्य प्रदेश में SIR की प्रक्रिया शुरू, कांग्रेस नेता उमंग सिंघार ने बीजेपी पर साधा निशाना
कांग्रेस ने एसआईआर में कमियां और इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं तो वहीं भाजपा ने इसे देश और प्रदेश हित में बताया है।

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके साथ ही एसआईआर को लेकर प्रदेश में राजनीति गरमा गई है। भाजपा और कांग्रेस के बीच एसआईआर पर तकरार शुरू हो गई है। आरोप - प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। जहां एक तरफ कांग्रेस ने एसआईआर में कमियां और इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं तो वहीं भाजपा ने इसे देश और प्रदेश हित में बताया है। भाजपा ने कहा कांग्रेस घुसपैठियों के जरिए देश की डेमोग्राफी बदलने का दुष्चक्र चल रही है। इस बार कांग्रेस अपने हार का ठीकरा एसआईआर के सिर फोड़ना चाहती है। चोर की दाढ़ी में तिनका है।

भोपाल में बुधवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने चुनाव आयोग की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर)को लेकर प्रेस वार्ता कर कहा कि यह सेलेक्टिव इंटेंसिव रिमूवल है। इतनी विशाल व जटिल प्रक्रिया इतने कम समय में कैसे संभव है। जल्दबाज़ी से लाखों वैध मतदाता छूट सकते हैं। उन्होंने कहा एसआईआर मात्र 12 राज्यों को क्यों और बाकी राज्यों को क्यों नहीं। चयन मानदण्डों का पारदर्शी खुलासा सार्वजनिक रूप से नहीं किया गया। असम को एसआईआर से बाहर रखने के पीछे एसआरसी का बहाना संदिग्ध है, जबकि एनआरसी नागरिकता और एसआईआर मतदाता अधिकार की बिल्कुल अलग प्रक्रियाएं हैं। हर वर्ष का स्पेशल समरी रिवीजन पर्याप्त नहीं रहा, तो उस विफलता का विश्लेषण दिए बिना एसआईआर लाना उचित नहीं है। राष्ट्रीय जनगणना अक्टूबर 2026 में में होगी। ऐसे में एसआईआर की जल्दबाज़ी पर भी प्रश्न उठते हैं। करीब 22% आदिवासी आबादी में डिजिटल और दस्तावेज़ी पहुंच सीमित है। आयोग ने एसआईआर के लिए जिन 13 दस्तावेजों की सूची में वन अधिकार में राज्य सरकार ने मार्च 2025 तक 3 लाख से अधिक वन अधिकार दावों को खारिज किया है।

भाजपा ने कहा, चोर की दाढ़ी में तिनका बताया

2011 जनगणना के अनुसार करीब 25 लाख मध्यप्रदेश निवासी दूसरे राज्यों/शहरों में प्रवासी मजदूर । दलित, अल्पसंख्यक, छोटे ओबीसी समुदाय भी कागजी और डिजिटल असमानताओं के कारण प्रभावित होंगे। बिहार में करीब 47 लाख नाम हटाये गए । एसे में करोड़ों मतदाता के नाम राज्यों से हट सकते हैं। मतदाता को खुद प्रमाणित करना होगा कि वह पात्र है। अपील प्रक्रिया जटिल है। वहीं भाजपा ने सिंघार की प्रतक्रिया को ‘चोर की दाढ़ी में तिनका बताया। प्रदेश महामंत्री व सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने कहा कांग्रेस इस बार हार का ठीकरा एसआईआर के सिर फोड़ने की तैयारी में है। इंडी गठबंधन वोट बैंक की राजनीति के चलते पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया का विरोध कर रहा है। सोलंकी ने कहा एसआईआर की प्रक्रिया लोकतंत्र की पवित्रता को धता बताने वाले फर्जी मतदाताओं की पहचान के लिए है। लेकिन कांग्रेस और इंडी गठबंधन के लोग अपनी वोट बैंक की राजनीति के चलते इसका विरोध कर रहे हैं। अपने स्वार्थ में अंधे होकर ये दल उन राज्यों में भी एसआईआर का विरोध कर रहे हैं, जहां अवैध घुसपैठियों के माध्यम से देश की डेमोग्राफी बदलने का दुष्चक्र चल रहा है।

कांग्रेस व उसके सहयोगी दल बौखला गए

बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप हुई है और वहां इस प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं पाई गई। बिहार में भी कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों ने इस प्रक्रिया को टालने के पुरजोर प्रयास किए, लेकिन वो इसमें सफल नहीं हो सके। अब देश के 12 राज्यों में एसआईआर की घोषणा से कांग्रेस और उसके सहयोगी दल बुरी तरह बौखला गए हैं। उन्हें लगने लगा है कि अगर एसआईआर की प्रक्रिया होती है, तो वो उन फर्जी और काल्पनिक मतदाताओं से हाथ धो बैठेंगे, जिनका नाम काफी प्रयासों के बाद मतदाता सूची में जुड़वाया गया था। ये मतदाता कांग्रेस के लिए वोटबैंक का काम करते रहे हैं और इनके नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की आशंका से कांग्रेस पार्टी अपना आपा खो बैठी है। निर्वाचन आयोग यह स्पष्ट कर चुका है कि एसआईआर की प्रक्रिया किसी भी वास्तविक मतदाता को मताधिकार से वंचित करने के लिए नहीं है, बल्कि यह सिर्फ मतदाताओं की जांच के लिए है।

Created On :   30 Oct 2025 6:32 PM IST

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