उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी और एकनाथ शिंदे को लिया आड़े हाथों, कहा- पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर मुकदमा हो दर्ज

उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी और एकनाथ शिंदे को लिया आड़े हाथों, कहा- पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर मुकदमा हो दर्ज
जमकर बरसे उद्धव ठाकरे

डिजिटल डेस्क, मुबंई। महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर से अपने चरम पर पहुंच चुकी है। उद्धव ठाकरे की याचिका पर बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की उसे लेकर ठाकरे मौजूदा महाराष्ट्र की सरकार को नैतिकता के पाठ पढ़ा रहे हैं। बीते दिन उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि, अगर थोड़ी भी प्रदेश की सरकार में नैतिकता बची हो तो सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं एक बार फिर नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार पर हमला बोला है। इसके अलावा उन्होंने तत्कालीन राज्यपाल रहे भगत सिंह कोश्यारी को भी आड़े हाथों लिया है।

उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फणडवीस को निशाने पर लेते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है वो फिलहाल वर्तमान सरकार के लिए राहत है। स्पीकर को इस पूरे मामले पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए। ठाकरे ने कहा कि, अगर अब स्पीकर कोई गलत फैसला देते हैं तो हम एक बार फिर कोर्ट जाने के लिए तैयार हैं।

भगत सिंह कोश्यारी पर मुकदमा चले- उद्धव ठाकरे

इस पूरे मामले में बीते दिन जमकर नेताओं में बयानबाजी हुई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उद्धव ठाकरे ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बीजेपी और शिंदे को खूब खरी खोटी सुनाई और उन्हें नैतिकता के पाठ भी पढ़ाए थे। इसके अलावा ठाकरे ने राज्यपाल की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े किए और कहा कि उन्होंने जो किया था वो गैर संवैधानिक था। वो भाजपा की प्रवक्ता की तरह काम करते रहें। उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर हमला बोला है। उन्होंने कोश्यारी पर ताजा तरीन बयान देते हुए कहा है कि, "उन्होंने जो गैरकानूनी काम किया है उसके लिए मुझे लगता है कि उनके खिलाफ मुकदमा चलना चाहिए। राज्यपाल किसी कानून के तहत नहीं आते तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे अपनी मनमर्जी करें।"

सवालों के घेरे में राज्यपाल?

आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका पर कई सवाल खड़े किए थे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि, जिस तरह इस पूरे मामले में राज्यपाल की भूमिका रही है वो बेहद ही चिंता जनक है। उन्हें आंतरिक कलह के बीच नहीं आना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट के इस बयान के बाद भगत सिंह कोश्यारी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने संसदीय और विधायी परंपरा का हवाला देते हुए कहा था, "मैं सिर्फ संसदीय और विधायी परंपरा जानता हूं और उस हिसाब से मैंने तब जो कदम उठाए सोच-समझकर उठाए। जब इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा।"

क्या है मामला?

बीते साल जून के महीने में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिवसेना पर अपना दावा ठोक दिया था। शिंदे अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में चले गए थे। कभी उद्धव के खास रहे एकनाथ ने ठाकरे से यह कहकर नाता तोड़ दिया था कि आपने अपने विचारों की तिलांजलि दे दी। कभी भी शिवसेना कांग्रेस के साथ नहीं जा सकती क्योंकि दोनों पार्टियों के विचारधारा अलग है। शिंदे ने यह भी कहा था कि, आपने केवल कांग्रेस के साथ इसलिए मिलकर सरकार बनाई ताकि आप बीजेपी को सत्ता से दूर रखे। लेकिन शिवसेना के विचारों का क्या होगा? ठाकरे पर आरोप लगाते हुए एकनाथ ने कहा था कि, हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे ने जो सपना देखा था उसे मिट्टी में मिलाने का काम उद्धव ठाकरे ने किया।

फ्लोर टेस्ट का सामना करना चाहिए था- शीर्ष अदालत

एकनाथ शिंदे के शिवसेना और पार्टी पर अधिकार को लेकर उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और कहा था कि जो शिंदे के साथ विधायक दल गए हुए हैं उन सबकी सदस्यता रद्द हो। इसी याचिका पर शीर्ष अदालत ने कल फैसला सुनाते हुए कई अहम टिप्पणी की थी। उन्हीं टिप्पणी में से एक उद्धव के सीएम पद से इस्तीफे को लेकर कोर्ट ने कहा था कि, अगर ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया होता तो शायदा आज कुछ और ही परिस्थिति होती लेकिन उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया।

ठाकरे ने क्यों दिया इस्तीफा?

बता दें कि, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना और विधायकों पर दावा ठोक कर उद्धव को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। जानकारी के मुताबिक, उद्धव फ्लोर टेस्ट इसलिए नहीं करना चाहते थे क्योंकि उनके पास अपने विधायकों का समर्थन नहीं था क्योंकि अधिकांश विधायक एकनाथ शिंदे के समर्थन में थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श करते हुए सम्मान पूर्वक से इस्तीफा देना ही सही समझा था।

Created On :   12 May 2023 6:13 AM GMT

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