बिहार विधानसभा चुनाव 2025: छातापुर विधानसभा सीट पर खोई हुई जमीन पर वापस आने की तलाश में महागठबंधन

छातापुर विधानसभा सीट पर खोई हुई जमीन पर वापस आने की तलाश में महागठबंधन
1967 में स्थापित छातापुर विधानसभा क्षेत्र शुरु में एससी आरक्षित थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद यह सीट सामान्य सीट हो गई। अब तक इस क्षेत्र में 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं।

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार में छातापुर विधानसभा सुपौल जिले में आती है। छातापुर एक सामान्य सीट है। 1967 में स्थापित छातापुर विधानसभा क्षेत्र शुरु में एससी आरक्षित थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद यह सीट सामान्य सीट हो गई। अब तक इस क्षेत्र में 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 1969 से 1985 के बीच कांग्रेस ने तीन बार जीत दर्ज की, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और जेडीयू को दो-दो बार सफलता मिली। आरजेडी और निर्दलीय उम्मीदवार ने भी दो-दो बार जीत हासिल की है। पहली बार 1967 और दूसरी बार अक्टूबर 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार को जीत प्राप्त हुई। 1977 में जनता पार्टी को एक बार सफलता मिली थी। 2020 और 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिली। यहां 18.94% एससी, 1 फीसदी एसटी और 24.1% मुस्लिम मतदाता है। 2010 में जेडीयू को जीत मिली।

ग्रामीण क्षेत्र होने से छातापुर विधानसभा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। भारत-नेपाल सीमा के समीप स्थित होने की वजह से यहां पर होने वाला अनौपचारिक व्यापार और सीमा पार आवाजाही भी अर्थव्यवस्था का आधार हैं। सड़क, सिंचाई, स्वास्थ्य ,शिक्षा सुविधाओं की बदहाल स्थिति है। महागठबंधन यहां खोई हुई जमीन पर वापस आने की तलाश में है।

2025 के विधानसभा चुनाव में छातापुर विधानसभा सीट एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प सीट बन गई है। आरजेडी नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन भी खोई हुई जमीन वापस पाने के प्रयास में है। छातापुर विधानसभा क्षेत्र पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हुई हैं।

बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। आज 17 नवंबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है। दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर थी।

Created On :   27 Oct 2025 4:50 PM IST

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