हेट स्पीच केस: उत्तर प्रदेश में मऊ से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए सुनाई सजा

- मऊ में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिया भड़काऊ भाषण
- मुख्तार के बेटे अब्बास को जेल में जान का खतरा!
- मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट केपी सिंह ने सजा सुनाई
डिजिटल डेस्क, मऊ। उत्तर प्रदेश में मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण के मामले में सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा और तीन हजार का जुर्माना लगाया है। मऊ जनपद की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट केपी सिंह ने यह सजा सुनाई। इसी केस में सह आरोपी मंसूर अंसारी को 6 महीने की सजा और 1 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी है। इस मुकदमे में उनके छोटे भाई उमर अंसारी को कोर्ट ने बरी कर दिया है, जबकि एक अन्य सह आरोपी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।
ये केस इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि अब्बास अंसारी पूर्व बाहुबली सांसद मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, जबकि वो मऊ सदर सीट से विधायक भी हैं। सजा के बाद मऊ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब सभी की नजरें उनकी सदस्यता पर टिकी हैं । अब देखना है कि विधानसभा सचिवालय उनकी सदस्यता पर क्या फैसला लेता है।
आपको बता दें भड़काऊ भाषण का ये मामला 3 मार्च 2022 का है, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान अब्बास अंसारी ने मऊ के पहाड़पुर मैदान में आयोजित एक जनसभा में सरकार बनने पर अधिकारियों को ठीक से देख लेने की धमकी दी थी। अंसारी के इस भड़काऊ बयान का राजनीतिक गलियारों में भारी विरोध हुआ। भारी विरोध के बाद तत्कालीन सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद ने मऊ कोतवाली के उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। 6 धाराओं पर अंसारी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
अब्बास अंसारी पर धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 171F (चुनाव में गलत प्रभाव डालना), धारा 186 (सरकारी कार्य में बाधा), धारा 189 (सरकारी सेवक को धमकाना), धारा 153A (दो समुदायों में वैमनस्य फैलाना), धारा 120B (आपराधिक साजिश) में केस दर्ज हुआ था। केस की सुनवाई सीजेएम डॉ. केपी सिंह की कोर्ट में चल रही थी। अदालत ने अब अब्बास अंसारी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।
अब्बास अंसारी की विधायकी पर संकट
सजा का अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पर सीधा असर पड़ेगा। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक, अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः रद्द मानी जाती है। इस फैसले के बाद अब अब्बास अंसारी की विधानसभा की सदस्यता जाने की पूरी संभावना बन गई है।
Created On :   31 May 2025 5:02 PM IST