चुनाव 2023: क्या राजस्थान में इस बार बदलेगा 0.9% बढ़ा वोट सत्ता परिवर्तन का रिवाज,जैसलमेर में सबसे ज्यादा, पाली में सबसे कम हुआ मतदान

क्या राजस्थान में इस बार बदलेगा 0.9% बढ़ा वोट सत्ता परिवर्तन का रिवाज,जैसलमेर में सबसे ज्यादा, पाली में सबसे कम हुआ मतदान
  • 0.9 फीसदी बढ़ा वोट परसेंट
  • घटने पर कांग्रेस और बढ़ने पर बीजेपी को मिलता लाभ
  • जब 3 फीसदी से अधिक बढ़ा तो बीजेपी को सीधा लाभ
  • तीसरे फ्रंट की सत्ता में आहट के आसार

डिजिटल डेस्क, जयपुर। 200 विधानसभा सीटों वाले राजस्थान में वोटिंग का मत प्रतिशत 74.96 रहा है। चुनाव आयोग के मुताबिक 199 सीटों पर शनिवार को हुआ मतदान 74.13 फीसदी रहा, जबकि 0.83 फीसदी वोटिंग डाक मतपत्रों और घरेलू वोटिंग से हुई। इस तरह राजस्थान में कुल मिलाकर 74.96 फीसदी हुआ। चुनाव में इस बार वोट परसेंट 0.9 प्रतिशत अधिक हुआ है। राजस्थान में इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग जैसलमेर में 82.32 प्रतिशत जबकि सबसे कम पाली में 65.12 प्रतिशत वोटिंग हुई है। वोटिंग ट्रेंड को लेकर मतदाताओं से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चाएं तेजी से हो रही हैं। श्रीगंगानगर जिले की करणपुर सीट से 75 वर्षीय कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कूनर के निधन हो जाने से चुनाव स्थगित हो गया।

राजस्थान का वोटिंग ट्रेंड?

1998 के विधानसभा चुनाव में 63.39 फीसदी वोटिंग हुई थी और कांग्रेस की सरकार बनी थी। गहलोत पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 2003 के विधानसभा चुनाव में 67.18 फीसदी मतदान हुआ और बीजेपी सरकार बनी। तब 3.79 फीसदी वोटिंग बढ़ी थी। वसुंधरा राजे पहली बार मुख्यमंत्री बनीं थीं। 2008 विधानसभा चुनाव में 66.25 प्रतिशत वोटिंग हुई और कांग्रेस की सरकार बनी। कांग्रेस ने 96 सीटें जीतीं. जबकि बीजेपी की 78 सीटें आईं। तब मतदान प्रतिशत 0.93 फीसदी घट गया था। गहलोत दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।

2013 के चुनाव में 75.04 वोटिंग हुई ,बीजेपी की सरकार बनी और राजे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं थीं ,तब 8.79 फीसदी मतदान बढ़ा और बीजेपी को 167 सीटें मिली थीं। कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई थी। 2018 के चुनाव में 74.06 प्रतिशत मतदान हुआ, जो पिछली वोटिंग परसेंट से 0.98 प्रतिशत कम हुई,कांग्रेस 92 सीटें जीती थीं। बसपा के 5 और कुछ निर्दलीय विधायक के साथ कांग्रेस की सरकार बनी। गहलोत को फिर से सीएम बनाया गया।

वैसे आपको बता दें राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा रही है। जो कई दशकों से चली आ रही है। वोटिंग ट्रेंड को लेकर कहा जाता है कि जब भी वोट परसेंट बढ़ा है उसका फायदा बीजेपी को और वोट परसेंट घटने का लाभ कांग्रेस को मिलता चला आ रहा है।

चुनावी मैदान में उतरे 1863 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला शनिवार को ईवीएम में कैद हो गया। वोटिंग में 2023 के चुनाव में 5.25 करोड़ मतदाताओं ने हिस्सा लिया। नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे, तब पता चल सकेगा कि राजस्थान में रिवाज कायम रहता है या गहलोत सरकार परंपरा को तोड़ पाती है? लेकिन इस बार का वोट परसेंट कुछ इस तरह हुआ है जिस पर कोई भी राजनीतिक विश्लेषक ठीक ठाक से अनुमान नहीं लगा पा रहा है। क्योंकि पिछले कुछ वोटिंग ट्रेंड को देंखे तो पता चलता है कि एक फीसदी से कम मतदान होने पर सत्ता में कांग्रेस की सरकार बनी, जबकि 3 फीसदी से अधिक वोट परसेंट बढ़ने पर बीजेपी की सरकार बनी। 2023 का वोट परसेंट बढ़ा तो है लेकिन वह एक फीसदी से कम रहा है। इस एक फीसदी से भी कम बढ़े वोट परसेंट पर सही से कुछ कहा नहीं जा सकता । कि सरकार किस पार्टी की बनेंगी हालांकि राजस्थान में प्रमुखता से दो दल कांग्रेस और बीजेपी की ही सरकार बनती आई है। ऐसे में वोट परसेंट को देखकर सिर्फ ये अनुमान लगाया जा सकता है कि तीसरे राजनीतिक दल के रूप में राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी उभर सकती है और सत्ता में किंगमेकर की भूमिका निभा सकती है, जैसा 2008 और 2018 में हुआ था। जब कांग्रेस ने बीएसपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इस कम बढ़े वोट परसेंट से ये कहा जा सकता है कांग्रेस और बीजेपी को मिलने वाले वोटर्स ने तीसरे फ्रंट का भी रूख किया है।

Created On :   26 Nov 2023 6:00 AM GMT

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