क्या इतिहास रच पाएगा बेंगलुरू एफसी?

Will Bengaluru FC be able to create history?
क्या इतिहास रच पाएगा बेंगलुरू एफसी?
क्या इतिहास रच पाएगा बेंगलुरू एफसी?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऐसे में जबकि हीरो इंडियन सुपर लीग का छठा सीजन शुरू होने को है, हर कोई यही सवाल पूछता दिख रहा है कि क्या बेंगलुरू एफसी इस साल खिताब बचाकर नया कीर्तिमान स्थापित कर पाएगा? क्या यह क्लब वह कर पाएगा, जो अब तक दूसरे क्लब नहीं कर सके हैं? क्या यह क्लब अपने रेपुटेशन के साथ न्याय कर पाएगा?

बेंगलुरू एफसी के अब तक के प्रदर्शन को देखते हुए कई लोग इसका जवाब हां में देते हैं।आईएसएल में बेंगलुरू एफसी का अब तक का सफर शानदार रहा है। आई-लीग में तीन सफल साल के बाद इस क्लब ने 2017 में आईएसएल मे प्रवेश किया और फिट तुरंत छा गया।स्पेनिश कोच अल्बर्ट रोका की देखरेख में इस क्लब ने पहले सीजन में शानदार प्रदर्शन किया और आठ अंकों की बढ़त के साथ टेबल टापर रहे। फाइनल में हालांकि उसे चेन्नइयन एफसी के हाथो अपने ही घर में हार मिली।

अगली बार बेंगलुरू ने फिर से अपना अभियान शुरू किया लेकिन इस बार रोका उसके साथ नहीं थे। उनकी जगह ली थी चालर्स कुआडार्ट ने। इस बार बेंगलुरू ने अधिक आक्रामकता के साथ लीग की शुरूआत की और एक बार फिर लीग टेबल में टाप पर रहा और लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंचा। इस बार फाइनल में उसके सामने एफसी गोवा था, जिसे हराकर बेंगलुरू ने अपने उस सपने को पूरा किया, जो बीते साल बहुत कम अंतर से अधूरा रह गया था।

इसके बाद तो मानो हर तरफ जश्न का माहौल था। इसके तो खत्म होना ही था और फिर तैयारी शुरू करनी थी. एक और लड़ाई की औ? इस बार की लड़ाई अधिक चुनौतीपुर्ण थी क्योंकि बेंगलुरू को खिताब बचाना था। इसके लिए उसने नए खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ा और कई एसे खिलाड़ियों को रीटेन किया, जो उसके लिए मायने रखते थे और अब यह टीम एक बार फिर डामिनेट करने के लिए तैयार है।

बेंगलुरू ने आशिक कुरूनियन को अपने साथ जोड़ा और इसी से साबित होता है कि वह खिताब बचाने के प्रति कितना गम्भीर है। सुनील छेत्री, उदांता सिंह और अब कुरूनियन जैसे भारतीय राष्ट्रीय टीम के सदस्यों से लैस बेंगलुरू की टीम कागज पर एक बार फिर काफी मजबूत दिखाई दे रही है।आईएसएल चैम्पियन के साथ करार करने के बाद कुरुनियन ने कहा था, इस देश का हर एक फुटबाल खिलाड़ी बेंगलुरू के लिए खेलना चाहता है। मेरा सपना भी पूरा हुआ और मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं।

बेंगलुरू ने हमेशा से सोच-समझकर अपना फारेन कोटा भरा है लेकिन एक सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि उसके घरेलू खिलाड़ियों ने हमेशा ही अंतर पैदा किया है और उसे आगे रखा है।दो विश्व कप क्वालीफायर्स खेलने वाली राष्ट्रीय फुटबाल टीम के कोच इगोर स्टीमाक की टीम के पांच खिलाड़ी बेंगलुरू एफसी के थे। कप्तान सुनील छेत्री के अलावा गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू, उदांता सिंह, राहुल भेके ओर आशिक कुरुनियन ने भारतीय टीम के लिए अहम योगदान दिया था।

मिडफील्ड के हीरो रहे युगेनसन लिंगदोह अब क्लब में लौट आए हैं और अगर नीशू कुमार फिट रहे होते तो वह भी राष्ट्रीय टीम का हिस्सा रहे होते। क्या आप राष्ट्रीय टीम में किसी एक टीम का इस तरह का वर्चस्व हाल के दिनों में देखा है।बेंगलुरू को एक बात दूसरी टीमों के बिल्कुल अलग करती है और वह यह है कि इस टीम के प्रदर्शन में बहुत कम ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। कंसीटेंसी इसका गुण है। इस टीम के मानक काफी ऊंचे हैं और इसने दूसरी टीमों को भी लगातार अपने मानक ऊपर करने के लिए बाध्य तथा प्रेरित किया है। एसे में यह जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि यह क्लब हर न्यूट्रल का फेवरिट है आईएसएल में वह कारनामा कर दिखाने का माद्दा रखता है, जो आज से पहले किसी और क्लब ने नहीं किया है।

 

Created On :   19 Oct 2019 1:30 PM IST

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