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गोटमार मेला: परंपरा के नाम हुई पत्थरबाजी, लोगों ने एक-दूसरे पर बरसाए पत्थर, 900 से ज्यादा घायल, 3 की हालत गंभीर

- गोटमार परंपरा के नाम पर खेला गया खूनी खेल
- सांवरगांव और पांढुर्णा के लोगों ने एकदूसरे पर बरसाए पत्थर
- धारा 144 का नहीं दिखा असर
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के पांढुर्णा में गोटमार मेले के दौरान जमकर पत्थर बरसाए गए, जिसमें करीब हजार लोग घायल हो गए। इस दौरान किसी का पैर टूटा तो किसी का हाथ फ्रैक्चर हो गया। किसी के चेहरे तो किसी के सिर पर गंभीर चोट लगीं। घायलों में से तीन की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। सभी को इलाज के लिए नागपुर रेफर किया गया है। आस्था और परंपरा से जुड़ा यह मेला हर साल दो गांवों के बीच खूनी खेल में बदल जाता है। हर साल की तरह इस साल भी प्रशासन लाचार नजर आया। धारा 144 लागू लगाने और हजारों पुलिसकर्मियों के मौजूद रहने के बाद भी दिनभर खूनी खेल खेला गया।
सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक हुई पत्थरबाजी
गोटमार परंपरा के मुताबिक जाम नदी के किनारे बसे पांढुर्णा और सावरगांव के लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। शनिवार को नदी के किनारों पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए। सुबह करीब 10 बजे पत्थरबाजी शुरू हुई जो कि शाम साढ़े सात बजे तक जारी रही।
क्या है परंपरा?
दोनों गांव के बीच स्थित जाम नदीं में माता चंडी की पूजा की जाती है। सांवरगांव के निवासी पलाश का पेड़ काटकर लाते हैं और नदी के बीचों बीच उसे लगाते हैं। इस पेड़ को सांवरगांव के सुरेश कावले का परिवार काटकर जंगल से लाता है। झंडा लगाने के बाद पांढुर्णा और सावरगांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाना शुरू करते हैं।
सांवरगांव के लोग नदी के बीच लगे झंडे को लड़की मानकर उसकी रक्षा करते हैं और उसे निकालने नहीं देते हैं। वहीं पांढुर्णा के लोग खुद को लड़का वाला मानते हैं। पांढुर्णावासी पत्थरबाजी कर पलाश का पेड़ अपने कब्जे में लेने की कोशिश करते हैं। अंत में झंडे को तोड़ लेने के बाद दोनों पक्ष मिलकर चंडी माता की पूजा कर गोटमार का समापन कर देते हैं।
Created On :   24 Aug 2025 1:00 AM IST