Jabalpur News: दैनिक भास्कर के 40वें वर्ष में सार्थक व्याख्यान और ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से विभूतियों का अभिनंदन

दैनिक भास्कर के 40वें वर्ष में सार्थक व्याख्यान और ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से विभूतियों का अभिनंदन
  • दैनिक भास्कर ने प्रवेश किया 40वें वर्ष में
  • विकास की संभावनाओं पर हुआ मंथन

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। दैनिक भास्कर के 40वें स्थापना वर्ष में प्रवेश के अवसर पर 23 अगस्त को जबलपुर के सिविक सेंटर स्थित विशम्भर भवन में एक भव्य आयोजन हुआ।

कार्यक्रम में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर आयोजित सार्थक व्याख्यान में श्री गडकरी ने जबलपुर के विकास की संभावनाओं और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

आयोजन के दौरान समाज और मानव सेवा में असाधारण योगदान देने वाली विभूतियों को ‘दैनिक भास्कर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। सम्मानित हस्तियों में साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी, डॉ. पीजी नाजपांडे, डॉ. पवन स्थापक, कामरेड एसएन पाठक और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल रूसिया शामिल रहे।


ऐसी विभूतियाँ, जिन्होंने समाज को नई दिशा दी

1. सेवा, प्रेम और सहानुभूति का अद्भुत संगम – साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी

लुधियाना में जन्मी और शिक्षित साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने 1992 में अपने गुरुदेव ब्रह्मऋषि विश्वात्मा बावरा जी महाराज के मार्गदर्शन में सांसारिक जीवन त्यागकर समाज की सेवा को अपना लक्ष्य बना लिया। 2002 में गुरुदेव के महासमाधि लेने के बाद वे जबलपुर आईं और ग्रामीण व पिछड़े तबके के बच्चों के लिए चल रही शाला की जिम्मेदारी संभाली। 2013 में उन्होंने कैंसर पीड़ित असहाय मरीजों के लिए निःशुल्क “विराट हॉस्पिस” की स्थापना की, जहाँ अब तक 2800 से अधिक मरीजों को सहारा मिल चुका है।


2. हर मोड़ पर सेवा को चुना – डॉ. पवन स्थापक

यूरोप, सिंगापुर और लंदन जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से नेत्र चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी डॉ. पवन स्थापक ने विदेश में करियर बनाने के बजाय भारत लौटने का संकल्प लिया।1992 में उन्होंने जबलपुर में नेत्र चिकित्सा सेवा की शुरुआत की, जो आगे चलकर जन ज्योति सुपर स्पेशलिटी आई हॉस्पिटल और दादा वीरेंद्रपुरी जी नेत्र संस्थान के रूप में विकसित हुआ। अब तक 16 जिलों में 7,298 नेत्र शिविर लगाकर 13.5 लाख से अधिक लोगों की जांच और 2.5 लाख निःशुल्क नेत्र ऑपरेशन कर चुके हैं।


3. कर्मचारियों की मजबूत ढाल – कामरेड एसएन पाठक

श्रमिक नेता एसएन पाठक ने अपना पूरा जीवन कर्मचारियों के अधिकारों और समस्याओं के लिए समर्पित कर दिया। जीसीएफ से शुरू हुआ उनका संघर्ष राष्ट्रीय स्तर तक गूंजा। तीखे तेवरों के कारण कई बार उन्हें सस्पेंड किया गया और 3 बार जेल भी जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने संघर्ष की राह नहीं छोड़ी एनपीएस (नई पेंशन स्कीम) को लेकर उनका आंदोलन आज भी जारी है, जिसमें किए गए सुधार उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम हैं।


4. आधी सदी से मरीजों के बीच – डॉ. बीएल रूसिया

75 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय रहने वाले वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल रूसिया ने चिकित्सा सेवा को ही अपने जीवन का धर्म बना लिया। एमबीबीएस करने के बाद भी उन्होंने बड़े अवसर ठुकराकर समाज के जरूरतमंद तबके के बीच सेवा की राह चुनी। घर हो या क्लीनिक—दोनों जगह उनके दरवाजे हमेशा मरीजों के लिए खुले रहते हैं। आधी सदी से भी अधिक समय से वे समाज की सेवा कर रहे हैं।

5. सक्रियता ही जिनकी पहचान – डॉ. पीजी नाजपांडे

85 वर्ष की उम्र में भी सामाजिक सक्रियता का जज्बा बनाए रखने वाले डॉ. पीजी नाजपांडे ने प्रशासनिक पद या राजनीतिक मंच के बिना ही जनहित के मुद्दों पर निर्णायक लड़ाई लड़ी।1992 में उन्होंने नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की स्थापना की और तीन दशकों में 400 से अधिक जनहित याचिकाएँ मप्र हाईकोर्ट, 28 सुप्रीम कोर्ट और 56 विभिन्न ट्रिब्यूनलों में दायर कीं। बक्सवाहा जंगल की कटाई रोकने से लेकर स्कूल फीस और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों तक, उनकी लड़ाई ने उपभोक्ताओं को राहत दिलाई।

विकास और सेवा का संगम

यह आयोजन न सिर्फ दैनिक भास्कर के 40वें वर्ष में प्रवेश का जश्न था, बल्कि उन विभूतियों के प्रति कृतज्ञता भी, जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। नितिन गडकरी ने अपने व्याख्यान में कहा कि “जबलपुर की विकास यात्रा तभी सार्थक होगी, जब समाज सेवा और प्रगति साथ-साथ चलें।”

Created On :   23 Aug 2025 6:48 PM IST

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