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MP News: प्रदेश के कर्ज और आर्थिक अनियमिताओं की पड़ताल के लिए 4 पूर्व मुख्य मंत्रियों की स्पेशल टीम से जांच करवाई जाए- कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश का चालु वित्त वर्ष का कर्ज 37400 करोड़ है और 5200 करोड़ के कर्ज के बाद यह 42600 के करीब पहुंचने का अनुमान है। प्रदेश में बढ़ रहे कर्ज को लेकर कांग्रेस ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होने प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों की समिति बनाने की मांग की। पूर्व मुख्यमंत्रियों की स्पेशल टीम कर्ज और आर्थिक अनियमितता की पड़ताल करे। जिसके बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो।
पटवारी ने मांग की है कि प्रदेश के 4 पूर्व मुख्य मंत्रियों उमा भारती, कमलनाथ, शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह की एक स्पेशल टीम बनाई जाए। यह टीम निश्चित समय अवधि में प्रदेश की आर्थिक अनियमिताओं के कारणों की तलाश करे और कर्ज में डूबे सरकारी खजाने के भविष्य की भी पड़ताल करें। साथ ही यह समिति प्रदेश के आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए भी सुझाव दें, जिससे प्रदेश का भला हो सके।
पटवारी ने लिखा कि राज्य सरकार निवेश और रोजगार पर तत्काल श्वेत-पत्र जारी करे। पारदर्शिता के साथ हर आंकड़े की सच्चाई सामने आए। आर्थिक संसाधनों के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का निलंबन और मंत्रियों से त्यागपत्र लिया जाए। उन्होने पत्र में लिखा कि सरकार हर महीने कर्ज ले रही है। कर्ज के कल्चर के साथ करप्शन और कमीशन मिशन बन गया है। 2025-उद्योग एवं रोजगार वर्ष” घोषित कर मप्र की जनता को बड़े-बड़े निवेश और लाखों रोजगार का सपना दिखाया गया था। अब सरकारी दस्तावेज खुद गवाही दे रहे हैं कि एक साल में 30.77 लाख करोड़ के निवेश का दावा तो किया गया, लेकिन जमीन पर मात्र 6.20 लाख करोड़ की योजनाओं ने ही मामूली ‘अगला कदम’ उठाया है।
युवाओं से जो लाखों रोजगार का वादा किया था, वह भी पूरी तरह खोखला निकला। सच यह है कि रोजगार का आंकड़ा ‘शून्य’ है। उद्योग, आवास, ऊर्जा जैसे मुख्य विभागों में भी निवेश केवल आंकड़ों की बाजीगरी है। शहरों और गांवों में बेरोजगारी की मार झेल रहे युवा, खेतीहर, श्रमिक और पढ़े-लिखे अभ्यर्थी आक्रोशित हैं।
8 विभागों में निवेश प्रस्तावों में जमीनी असर नहीं के बराबर है। उद्योग विभाग में 12,70,000 करोड़ के प्रस्ताव में से मात्र 2,48,218 करोड़, नवीकरणीय ऊर्जा में 5,72,000 करोड़ में से सिर्फ 1,78,000 करोड़, पीडब्ल्यूडी में 1,30,000 करोड़ में से 8,314 करोड़, एमएसएमई में 21,000 में से 3,959 करोड़ ही आगे बढ़े है। नगरीय विकास-आवास, कौशल विकास, स्वास्थ्य, खाद्य प्रसंस्करण, नागरिक उड्डयन जैसे विभागों में निवेश ठप हैं।
उद्योग व रोजगार वर्ष का जारी करें रिपोर्ट कार्ड
पटवारी ने कहा मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि सरकार ‘उद्योग एवं रोजगार वर्ष’ की सच्ची रिपोर्ट कार्ड जारी करे। मप्र की जनता को बताए कि कितने स्थायी रोजगार सृजित हुए, किस जिले में कितनी उत्पादन इकाइयां लगीं और इसका लाभ किसे मिला। निवेश की सांकेतिक घोषणाओं, एमओयू और कागजी प्रस्तावों की आड़ में ‘रोजगार वर्ष’ को बेरोजगार बनाने की सरकारी कोशिश का सच भी जनता के सामने लाया जाए। जनता को गुमराह करने के लिए, सिर्फ प्रचार और इवेंटबाजी के लिए इन्वेस्टमेंट के फर्जी आंकड़े परोसना बंद किया जाए।
Created On :   31 Oct 2025 5:30 PM IST















