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MP News: 6000 से ज्यादा दवाओं के सैंपल लैब में पेडिंग, क्षमता नहीं बढ़ाई गई तो बढ़ेगी पेंडेंसी, जरूरी कफ सिरप की जांच के लिए मात्र 2 डीजीसी मशीन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश की औषधि लैबों की जांच क्षमता कम होने के चलते 6067 दवाओं के सैपल पेंडिंग हैं। यह पेंडेंसी लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। दवाओं की जांच के लिए भोपाल, जबलपुर और इंदौर में औषधि लैब हैं। लेकिन, इन लैबों में स्टाफ और जांच मशीनों की कमी के चलते 6000 हजार से ज्यादा सैपलों की जांच नही हो पाई है। अक्टूबर 2025 तक 4566 सैपलों की जांच हुई है जिसमें 105 दवाएं मानक अनुरूप नहीं पाई गई। दवाओं के सैंपल लिए जा रहे लेकिन जांच सुस्त दिखाई पड़ रही। जिसकी दो मुख्य वजहें हैं। स्टाफ और मशीन की कमी है।
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छिंदवाड़ा में जहरीली कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद ओरल दवाओं की गैस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी ( डीजीसी ) जांच जरूरी की गई है। बच्चों की सेफ्टी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। डीजीसी डायएथिलीन ग्लाइकॉल(डीइजी) की जांच होती है। सामान्य भाषा मे कहें तो अशुद्धता की जांच होती है। भोपाल और इंदौर में एक-एक डीजीसी मशीन है। फिलहाल जबलपुर में यह डीजीसी नहीं है। इससे सैंपल की रिपोर्ट आने में काफी वक्त लगता है जिससे ओरल दवाओं की पेंडेंसी बढ़ी है। भोपाल में 50 से ज्यादा कफ सिरप दवाओं के सैंपल की जांच अभी बाकी है । ड्रग एनालिस्ट और केमिस्ट की कमी की वजह से भी काम प्रभावित हो रहा है।
खासतौर पर तब जब इतने ज्यादा सैपल पेंडिंग चल रहे हों। लैब की क्षमता के अनुरूप हर माह 30 से 35 सैंपलों की ही जांच हो पा रही। वहीं जो सैंपल जांच के लिए केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं में भेजे जा रहे हैं, उनकी रिपोर्ट में करीब तीन माह का समय लग जाता है। बताया गया कि 25 और स्टाफ की प्रोसेस की जा रही है। जल्दी भर्ती की जाएगी। ड्रग इंसपेक्टर की पोस्ट बढ़ाई जाएंगी और जो डीआई लैब में हैं उसका नोटिफिकेशन जारी कर फील्ड पर भेजा जाएगा। इंदौर में भी लैब हाल ही में प्रारंभ हुई है , जहां सुविधा बढाए जाने की जरूरत है। जबलपुर में पिछले 15 दिनों से लाइटनिंग की असुविधा के चलते सैपल जांच नहीं हो पाई। जिलों से आए सैंपलों की प्राथमिकता के अनुसार जांच की जा रही है। जरूरी सैंपल हाथों-हाथ भेजने की भी व्यवस्था भी की गई है। औषधि लैब की क्षमता बढ़ाई जा रही है।
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अधिकारियों ने बताया कि खाद्य एवं औषधि दोनों की लैबों को अपग्रेड करने का प्रस्ताव भेजा गया है। 5000 की क्षमता को बढ़ाकर 20000 हजार करने का लक्ष्य तय किया गया है। लंबित सैपल की जांच जल्दी हो पाएगी। जरुरी दवाओं की प्राथमिकता के साथ जांच की जाती है। साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा जिससे दवाओं से लेकर अन्य व्यवस्था की निगरानी के साथ कोऑर्डिनेशन बनाया जा सके। हालही में कई दवा निर्माता कंपनियों पर अमानक दवा पाए जाने पर दवा निर्माण में रोक लगाई गई है।
क्या है लैब में कमियां
- सैपल रखने की जगह कम है
-कम्प्यूटर ऑपरेटर , लैब असिस्टेंट की कमी
-ड्रग इंसपेक्टर, सीनियर ड्रग इंसपेक्टर और ड्रग एनालिस्ट की कमी
- जांच मशीनो की कमी
इनका कहना है
लैबों की क्षमता सीमित है। इंदौर लैब की क्षमता का विस्तार 1500 तक किया जाएगा। कुल 5000 की क्षमता को बढ़ाक 20000 किया जाएगा। जांच मशीन , ड्रग इंसपेक्टर, सीनियर ड्रग इंसपेक्टर और ड्रग एनालिस्ट के साथ अन्य स्टाफ की कमी पूरी की जाएगी। इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। पद वृद्धि का भी प्रस्ताव भेजा गया है। ड्रग इंसपेक्टर को भी फील्ड पर भेजा जाएगा। साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा। लैबों में सुविधाएं बढ़ाई जा रहीं है ताकि ज्यादा से ज्यादा सैपल की जांच समय पर हो सके।
Created On :   26 Nov 2025 8:16 PM IST












