चोरी का मोबाइल मिला तो खैर नहीं, एफआईआर होगा दर्ज

चोरी का मोबाइल मिला तो खैर नहीं,  एफआईआर होगा दर्ज
  • मोबाइल चोरी के मामले बढ़े
  • खरीदते समय पुष्टि करना जरूरी

अभय यादव , नागपुर। अब कहीं पर गिरा पड़ा या किसी से सेकंड हैंड मोबाइल खरीदते समय इस बात की पुष्टि जरूर कर लें कि आप जो मोबाइल खरीद रहे हैं, वह कहीं चोरी का ताे नहीं है, क्योंकि अब कोई भी गुम या खोया हुआ मोबाइल का उपयोग करने वाले व्यक्ति पर ही अपराध दर्ज हो जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शहर पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार का निर्देश मिला है कि अब शहर के थानों में मोबाइल के गुम या खोने के शिकायत के मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी। पहले इसकी शिकायत करने पर थाने का कर्मचारी सिर्फ मिसिंग की ही शिकायत लेता था। एफआईआर दर्ज करने में आनाकानी करने वाले थाने के अधिकारी के खिलाफ शिकायत करने पर उसके खिलाफ धारा 168-अ के तहत वरिष्ठ अधिकारी एक्शन ले सकते हैं। इसलिए शहर के थानों में अब मोबाइल के गुम या खोने की शिकायत करने पर धारा 379 के तहत मामला दर्ज होगा। शहर में 33 थाने हैं। संतरानगर में मोबाइल चोरी के मामले तेजी से बढ़ गए हैं। पिछले 2 दिन के अंदर शहर में 54 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं।

मिसिंग की शिकायत की टेंशन : मोबाइल के गायब या चोरी होने संबंधी शिकायत मिलने पर सीधा एफआईआर दर्ज करने के निर्देश मिलने से अब एफआईआर दर्ज करने के बाद मोबाइल चोरी की जांच पड़ताल कर उसकी रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करनी पड़ेगी। थाने के कर्मचारी अब इस बात को लेकर चिंतित नजर आने लगे हैं कि मोबाइल चोरी की जांच के सिलसिले में शहर से बाहर जाने पर फंड का इंतजाम कैसे करेंगे। जो भी हो यह सिलसिला मुंबई शहर में शुरू हो चुका है।

शहर में हर माह 400 से अधिक शिकायतें : सूत्रों के अनुसार, नागपुर शहर के थानों में हर माह 400 से अधिक मोबाइल फोन संबंधी शिकायतें पहुंची हैं। औसतन हर रोज 10 से अधिक शिकायतें प्रत्येक थाने में पहुंची हैं। जांच के नाम पर बस शून्य है।

मिसिंग और एफआईआर में यह फर्क : मिसिंग रिपोर्ट में जांच करना जरूरी नहीं है, लेकिन एफआईआर में जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करनी पड़ती है। सूत्रों का मानें तो ज्यादातर फोन की स्क्रीन और बैटरी निकालने के बाद उसे कबाड़ में फेंक दिया जाता है। चर्चा यह भी होते रहती है कि बाकी बचे मोबाइलों को सीमा पार बेचा जाता है, जिसकी आईएमईआई (इंटरनेशनल मोबाइल इक्कूपमेंट आईडेंटी) के जरिए भी खोजबीन नहीं हो पाती। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर फोन की स्क्रीन और बैटरी निकालने के बाद उसे कबाड़ में फेंक दिया जाता है। चर्चा यह भी है कि बाकी बचे मोबाइलों को सीमा पार बेचा जाता है, जिसकी आईएमईआई (इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आईडेंटी) के जरिए भी खोजबीन नहीं हो पाती।

Created On :   26 May 2023 9:30 AM GMT

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