ऐसा कवि जिसके बोल सरकारों को जगाते रहे, गांव से उठ रही है ये मांग
डिजिटल डेस्क, बेगुसराय। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर एक बार उनके पैतृक गांव से एक मांग उठ रही है। ये मांग आज से नहीं बरसों से चली आ रही है। दिनकर बेगुसराय के गांव सिमरिया में जन्मे। उनके उस गांव में आज भी उनकी छड़ी, रामचरितमानस और उनका बिछाने वाला कपड़ा जिसे बिछावन भी कहते हैं वो सुरक्षित रखा है। दिनकर की यादों को संजोने वाला ये गांव हर साल दिनकर की जयंती पर ये मांग करता है कि उसे दिनकर का तीर्थ स्थल घोषित किया जाए।
साहित्यिक इतिहास में रामधारी सिंह दिनकर वो कवि माने जाते हैं जिनके शब्दों का पैनापन और भाषा की धार लोगों को राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर देता था। एक वाक्या तो ऐसा भी है कि दिनकर की कविता सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखें भी झुक गई थीं।
चीन से हार पर संसद में कविता पाठ
1962 के युद्ध में चीन से हार के बाद रामधारी सिंह दिनकर ने संसद में कविता पाठ किया..
“रे रोक युद्धिष्ठिर को न यहां जाने दे उनको स्वर्गधीर
फिरा दे हमें गांडीव गदा लौटा दे अर्जुन भीम वीर”
इस क्रांतिकारी कविता को सुनकर नेहरूजी को भी हार का अहसास हुआ। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के बाद भी उसे सही सम्मान न मिलने पर दिनकरजी हमेशा मुखर रहे।
Created On :   23 Sept 2021 2:54 PM IST