अंतरिक्ष से टूट कर जमीन पर गिर रहा है अंतरिक्ष का कचरा, अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने ली सफाई की जिम्मेदारी

Debris frozen in space became a matter of concern in the world
अंतरिक्ष से टूट कर जमीन पर गिर रहा है अंतरिक्ष का कचरा, अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने ली सफाई की जिम्मेदारी
अजब -गजब अंतरिक्ष से टूट कर जमीन पर गिर रहा है अंतरिक्ष का कचरा, अब यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने ली सफाई की जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 12 मई 2022 को गुजरात का एक जिला जिसका नाम आणंद है उसके अंतर्गत तीन गांव में आसमान से धातु के अस्पष्ट तरीके से गोले गिरने की घटना सामने आई थी। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला ने जब इसकी जांच पड़ताल की गई तो सब हैरान रह गए कि ये आसमान से धातु के अस्पष्ट तरीके से गोले गिरते है ये गोले असल में सैटेलाइट का अवशेष था। आम बोल-चाल की भाषा में इसे अंतरिक्ष का अवशेष अथवा कचरा कहा जाता है।

कैसा होता है अंतरिक्ष का कचरा

Space debris को स्पेस जंक या Space pollution भी कहते हैं। ये वे बेकार चीजें होती हैं, जो पृथ्वी की कक्षा में तैरती हैं। इस अवशेष में खराब यान, रॉकेट के टुकड़े, पेंट के टुकड़े, मशीन से जुड़ी चीजें, स्पेसक्राफ्ट से निकले ठोस और तरल पदार्थ और कण जैसी बेकार के समान शामिल होती है। ये चीजें किसी काम के नही होते पर नुकसान भरपुर करते हैं। अंतरिक्ष का ये कचरा अंतरिक्ष यान के लिए बहुत घातक साबित होता है। 

अंतरिक्ष में कचरा को साफ करने के लिए ClearSpace-1 मिशन

यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अंतरिक्ष में जमे कचरे को साफ करने की जवाबदेही ली है, कहा जाता है की अंतरिक्ष में पहली बार मलबा हटाने का काम हो रहा है। इस मिशन का नाम ClearSpace-1 है जो क्लियरस्पेस नाम के स्विस स्टार्टअप की मदद से शुरु होगी। क्लियरस्पेस के फाउंडर और सीईओ ल्यूक पिगुए ने कहा है कि इस तरह के मिशन के लिए यह सही समय है। आज अंतरिक्ष में लगभग 2000 लाइव सैटेलाइट हैं, 3000 से ज्यादा बेकार हैं। अंतरिक्ष में काम के कम और बेकाम की ज्यादा सैटेलाइट मौजुद हैं। और ये बेकार सैटेलाइट की संख्या बढ़ती जाएगी इसलिए इनकी सफाई करना बहुत ही अनिवार्य है। 

यहां खराब सैटेलाइट को हटाने के लिए माल ढोने वाले ट्रक की जरुरत होगी। नासा और ESA के अध्ययनों से मालूम पड़ता है कि इसका एक ही तरीका है, बड़े मलबे को सक्रिय रूप से हटाना। इसके लिए एक नए प्रोजेक्ट के जरिए, जरूरी गाइडेंस, नेविगेशन और कंट्रोल टेक्नोलॉजी, उनके मिलने की जगह और उन्हें पकड़ने के तरीकों का विकास करना बहुत ही जरुरी है। इस प्रोजेक्ट को एक्टिव डेबरिस रिमूवल/इन-ऑर्बिट सर्विसिंग कहा जाता है। इसके नतीजों को ClearSpace-1 पर उपयोग किया जाएगा। 

कैसे काम करेगा ये प्रोजेक्ट

2013 में ईएसए के वेगा लॉन्चर की दूसरी उड़ान के बाद, क्लियरस्पेस -1 मिशन वेस्पा को करीब 660 किमी से 800 किमी की ऊंचाई की कक्षा में छोड़ा जाएगा। वेस्पा का द्रव्यमान 100 किलो है जो एक छोटे सैटेलाइट के साइज का है। क्लियरस्पेस -1 500 किलोमीटर की निचली कक्षा में चेंजर को छोडे़गा। जो कक्षा में लक्ष्य को खोजेगा और ESA की निगरानी में इसके रोबोटिक आर्म्स कचरे को पकड़ेंगे। इसके बाद चेज़र और वेस्पा दोनों को डीऑर्बिट किया जाएगा और वातावरण में जला दिया जाएगा।

जापान ने भी किया परीक्षण

जापान की एक कंपनी एस्ट्रोस्केल ने भी स्पेस क्लीनिंग में कदम बढ़ाया है। और इसके लिए एक एक्सपेरिमेंट किया। इस मिशन नाम End-of-Life Services by Astroscale-demonstration रखा गया था। ये दो सैटेलाइट्स से मिलकर बनाया गया है। और इसे उड़ने वाला मैगनेटिक टो ट्रक भी कहा जा रहा है। इसमें बेहद शक्तिशाली चुंबक लगे हैं। मैग्नेट की मदद से कचरे को पकड़ लिया जाता है।

कचरे को कैसे इकट्ठा करते हैं

नवंबर 2021 में रूस ने डिस्ट्रक्टिव डायरेक्ट एसेंट मिसाइल परीक्षण किया था, जिसमें उन्होंने खुद के एक सैटेलाइट को मिसाइल से खत्म कर दिया था। इसके कारण अंतरिक्ष में बहुत सारा मलबा जमा हो गया था। और साल 2007 में चीन ने भी इसी तरह का परीक्षण किया था। लगभग एक महीना पहले भी यह खबर आई थी कि रुस का एक रॉकेट अंतरिक्ष में फट गया जिसके कारण अंतरिक्ष में और कचरा जमा हो गया है। 

अंतरिक्ष के कचरे को लेकर पूरे विश्व में चिंता

General Catalog of Artificial Space Objects के अनुसार धरती की कक्षा में अलग-अलग साइज की 22,000 से अधिक चीजें मौजूद हैं, जिनका भार लगभग 8,000 टन से अधिक बताया जा रहा है। हम सबों के लिए चिंता की बात है क्योंकि ये अंतरिक्ष के लिए ठीक नहीं है। हालांकि इससे निजात पाने के लिए अमेरिका ने पिछले महीने इस तरह के किसी भी टेस्ट को करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमल हैरिस ने घोषणा की कि अंतरिक्ष में कचरे को कम करने और लो-अर्थ ऑर्बिट में सैटेलाइट की सुरक्षा के लिए अमेरिका अब ASAT मिसाइल टेस्ट नहीं करेगा । अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमल हैरिस इसी तरह के सहयोग करने के लिए बाकी देशों से अपील की है। 
 

Created On :   18 May 2022 6:42 AM GMT

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