अपने अनोखेपन के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है मां काली का ये मंदिर, लगाया जाता है नूडल्स का भोग! जाने इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातें

अपने अनोखेपन के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है मां काली का ये मंदिर, लगाया जाता है नूडल्स का भोग! जाने इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातें
चाइनीज माता मंदिर अपने अनोखेपन के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है मां काली का ये मंदिर, लगाया जाता है नूडल्स का भोग! जाने इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातें

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। नवरात्री का त्योहार देशभर के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर मां के दरबार को भव्यता के साथ सजाया जा रहा है। विशेषकर पं. बंगाल की राजधानी कोलकाता में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना बड़े ही भव्य तरीके से की जाती है। यहां देवी मां के कई मंदिर स्थित हैं, जिनमें चाइनीज काली मंदिर भी एक है। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ

चाइनीज भी रखते है, मां में आस्था

भारत में कई ऐसे मंदिर स्थित हैं जिनसे जुड़े फैक्ट्स इन्हें बाकी मंदिर से अगल पहचान दिलाते हैं। इन्हीं में से एक मंदिर कोलकत्ता में भी है जिसे चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को खास बनाती है यहां का नूडल्स वाला प्रसाद। इस मंदिर की देखरेख भी यहां रहने वाले चीनी समुदाय द्वारा की जाती है। ये मंदिर कोलकत्ता से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित टेंगरा में  है। बता दें कि टेंगरा के चाइनीज काली बाड़ी में चाइनीज समुदाय के लोग ज्यादा संख्या में रहते  हैं जिस वजह से इसको चाइनाटाउन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। 

नवरात्री के समय यहां मां काली की पूजा बड़ी श्रृद्धा और भक्ति के साथ की जाती है। कहा जाता है कि इस अनूठे मंदिर का निर्माण साल 1998 में कराया गया था। 

भक्तों को प्रसाद में मिलता है नूडल्स

इस मंदिर को खास बनाने की एक और बड़ी वजह यहां का प्रसाद है। आपने भगवान को प्रसाद के रुप में लड्डू, फल, या फिर अन्य कोई खास पकवान लगते हुए देखा या सुना होगा लेकिन इस मंदिर में मां काली को नूडल्स का भोग लगता है। इसके साथ ही भक्तों को भी प्रसाद में नूडल्स ही बांटा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि चीनी समुदाय के लोग इस स्थान पर मां काली की पूजा करने के लिए एकत्रित हुए और सभी ने एक एक साथ पेड़ के नीचे पूजा शुरु की थी। लेकिन आज ये एक चर्चित मंदिर है
मंदिर को लेकर प्रचलित है यह कथा 

कहा जाता है कि तकरीबन 60 वर्ष पहले इस स्थल पर कोई मंदिर नहीं था। इस जगह पर पहले एक पेड़ था जिसके नीचे कुछ काले पत्थर रखे हुए थे जिन्हें काली माता का प्रतीक समझ कर लोग पूजने लगे थे। एक मान्यता ये भी है कि एक दिन एक चीनी लड़के की सेहत बिगड़ गई थी तमाम तरह के ईलाज के बाद भी उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। किसी को भी बीमारी की वजह समझ नहीं आ रही थी। फिर बीमार लड़के का परिवार पेड़ के नीचे स्थित माता की पूजा करने लगा। जिसके बाद लड़का ठीक हो गया और तभी से चीनी समुदाय के लोग के यहां मां काली की पूजा करने लगे। लड़के के ठीक हो जाने पर समुदाय के लोगों को माता की शाक्तियों पर भरोसा हो गया और कुछ समय के बाद ही चीनी लोगों के द्वारा उस पेड़ के नीचे मंदिर का निर्माण करवाया गया। जिसे आज चाइनीज काली माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। तब से लेकर अब तक यह मंदिर चीनी समुदाय के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

अपने अनूठेपन की वजह से विश्व भर में है प्रसिद्ध

इस मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में मां काली के दर्शन के लिए आते हैं अगर वह हाथ से बने एक पेपर को जलाते हैं तो उनके जीवन की सारी दुख और परेशानियां दूर हो जाती हैं और उन्हें सुख व समृध्दि मिलती है। अपने इन्हीं सब अनोखेपन के कारण यह मंदिर विश्न भर में विख्यात है।   


 

Created On :   30 Sep 2022 3:43 PM GMT

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