460 करोड़ साल पुरानी अंतरिक्ष चट्टान उठाएगी पृथ्वी पर मौजूद पानी के आगमन के रहस्य से पर्दा, शोध में जुटे वैज्ञानिक
![Is there Earths water on Jupiters asteroid? Is there Earths water on Jupiters asteroid?](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2022/11/is-there-earths-water-on-jupiters-asteroid1_730X365.jpg)
डिजिटल डेस्क; दिल्ली। हमारे सौरमंडल का एक मात्र ग्रह जहां जीवन संभव है वह पृथ्वी है। पृथ्वी का 70 प्रतिशत भू-भाग जल से ढंका हुआ है। बीते साल बृहस्पति ग्रह की कक्षा से एक उल्कापिंड पृथ्वी पर आ कर गिरा था। यह उल्कापिंड ब्रिटेन के शहर विंचकोम्बे में गिरा था। हाल में हुए शोध से पता चला है कि, यह 460 करोड़ वर्ष पुरानी स्पेस रॉक है। खोजकर्ताओ ने बताया कि, जब इस अंतरिक्ष चट्टान पर कई परिक्षण किए गए तो ज्ञात हुआ कि पूर्व में इसमें जल के कुछ अंश होने के सबूत मिले थे। जाँच के दौरान पता चला की उल्कापिंड में जो पानी था उसकी रासायनिक संरचना की पहचान की गई है। यह पृथ्वी पर अवस्थित जल की रासायनिक संरचना से काफी मेल खाती है। जिसके चलते पृथ्वी पर जल की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाया जा सकता है।
खोज से पता चली यह बात
स्पेस रॉक पर हुई जांच के दौरान पता चला कि, सूरज के पास गैस के गर्म बादल और धूल के कण आपस में मिल कर युवा सौर मंडल का चट्टानी ग्रह बनाते हैं। चट्टानी ग्रह का सूर्य के निकट होने के कारण यहां जल और बर्फ वाष्पित हो जाते हैं। जिसके कारण यहां महासागर का निर्माण नहीं हो पता। वैज्ञानिकों ने बताया कि इसी तरह की प्रकिया पृथ्वी पर भी लाखों वर्षों पूर्व हुई थी। जिससे हमारी पृथ्वी भी बंजर हो गई थी। जहां जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है।
The rock is 4.6 billion years old, meaning it was around at the beginning of the solar system ⬇️https://t.co/X9knb4dEIP pic.twitter.com/EEy5RiPd7w
— SPACE.com (@SPACEdotcom) November 19, 2022
थ्योरी से पता चला पृथ्वी पर कैसे आया पानी
खोजकर्ताओं के द्वारा पता लगाया गया कि, कई साल पहले जब चट्टान ग्रह के स्वरुप में एक युवा ग्रह के रुप में हमारी पृथ्वी जन्मी थी। तब यह पूर्णत: बंजर थी। जहां जल की अनुपस्थिती थी और जीवन असंभव था। वैज्ञानिकों ने बताया कि, जब बाहरी सौर मंडल से बर्फीले क्षुद्रग्रहों के माध्यम से हमारी पृथ्वी पर जमा हुआ पानी एकत्रित हुआ, तब यह समय के साथ धीरे-धीरे ठंडी हुई और यहां जीवन के अनूकुल स्थित का निर्माण शुरु हुआ।
शोध का हुआ प्रकाशन
स्पेस रॉक पर हुए शोध को साइंस एडवांसेज (Science Advances) जर्नल पर प्रकाशित किया गया है। जिसमें विंचकोम्ब उल्कापिंड के नए विश्लेषण की जानकारी प्रस्तुत किया। ग्लासगो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता, सह लेखक और प्लैनेटरी जियोसांइस लेक्चरर ल्यूक डेले का कहना है कि, "विंचकोम्ब उल्कापिंड के विश्लेषण से हमें इस बात के इनसाइट्स मिलते हैं कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया, जो इतने सारे जीवन का स्रोत है।"
बृहस्पति की कक्षा के एस्टेरॉयड से धरती पर आई चट्टान
लंदन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूज़ियम में रिसर्च फेलो और शोध के लेखक एशले किंग ने बताया कि, "स्पेस रॉक के ज़मीन पर गिरने के कुछ ही घंटों में, उस पर से कार्बन का एक दुर्लभ प्रकार (कार्बोनेसियस चोंड्राइट) को इकट्ठा किया गया था। यह उल्कापिंड सौर मंडल की मूल संरचना को वास्तविक रुप से दर्शाता है। चट्टान के अंदर खनिजों और तत्वों का विश्लेषण करने के लिए शोधकर्ताओं ने इसे पॉलिश कर गर्म किया था। जिसके बाद एक्स-रे और लेजर किरणें डाल कर जांच की गई थी। जांच में पता चला कि, यह उल्कापिंड बृहस्पति की कक्षा में चक्कर लगाने वाले एस्टेरॉयड से आया था और उस उल्कापिंड के द्रव्यमान का 11% हिस्सा पानी था।"
क्या बृस्हपति के एस्टेरॉयड पर है धरती का पानी
बृहस्पति की कक्षा में चक्कर लगाने वाले एस्टेरॉयड पर उपस्थित पानी में हाइड्रोजन दो रूपों में था।
1. सामान्य हाइड्रोजन
2. हाइड्रोजन आइसोटोप
हाइड्रोजन आइसोटोप को ड्यूटेरियम भी कहा जाता है। जिससे "भारी पानी" बनता है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि, हाइड्रोजन से ड्यूटेरियम का अनुपात, पृथ्वी के पानी में पाए जाने वाले अनुपात के बराबर है। जिसके कारण शोधकर्ताओं को यह पता चलाता कि, उल्कापिंड का पानी और पृथ्वी के पानी का उद्गम एक ही है। अंतरिक्ष चट्टान में अमीनो एसिड, प्रोटीन और जीवन के लिए ज़रूरी निर्माण खंड भी पाएं गए है।
Created On :   22 Nov 2022 4:30 PM GMT