मन्नत पूरी करने यहां नदी में तैराए जाते हैं नवजात बच्चे
डिजिटल डेस्क, बैतूल। बच्चों के जन्म को लेकर हर जगह अलग-अलग मान्यताएं हैं। लेकिन आज जिस स्थान के बारे में आपको बता रहे हैं वहां नदी में नवजातों को तैराने की परंपरा है...
मध्य प्रदेश के बैतूल में प्रार्थना पूरी होने पर नई नवजात बच्चों को पूर्णा नदी में तैराने की परंपरा है। पूर्णा नदी को गोद भरने वाली देवी कहा जाता है। मान्यता है कि पूर्णा देवी की पूजा से विवाहित जोड़ों के मन की इच्छा पूरी होती है और उनकी गोद भर जाती है। जिनकी मनोकामना पूरी होती हैए वे कार्तिक मास की पूर्णिमा के बाद यहां आकर खास अनुष्ठान करते हैं।
व्यक्त करते हैं आभार
यहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। जिसकी वजह से यहां मेले की तरह का माहौल हो जाता है। यहां लोग पूर्णा देवी के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। मंदिर के पास ही बहने वाली चंद्रपुत्री नदी को पूर्णा नदी के नाम से जाना जाता है। इस नदी में कार्तिक मास की पूर्णिमा से पालना डाले जाते हैं। इन पालनों में जोड़े अपने बच्चों को लिटाकर छोड़ देते हैं। जिसके बाद ही मन्नत पूरी मानी जाती है।
लोगों का विश्वास
कहा जाता है कि इस मान्यता को लेकर आसपास के लोगों में खासा विश्वास है। यहां बड़ी संख्या में ऐसे जोड़े आते हैं। जो कभी पहले यहां बच्चों की कामना से आए थे। और बाद में मुराद पूरी होने के बाद मन्नत पूरी करने आए। ऐसे अधिकांश महिलाएं यहां देखने मिलती हैं जिनकी शादी के 10 से 15 साल बाद उनकी गोद भरी है।
Created On :   2 Sept 2017 6:16 AM GMT