अब चांद पर हो सकेगी खेती! वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता 

Now farming can be done on the moon! Big success for scientists
अब चांद पर हो सकेगी खेती! वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता 
अजब-गजब अब चांद पर हो सकेगी खेती! वैज्ञानिकों के हाथ लगी बड़ी सफलता 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना तलाशने दुनिया भर के वैज्ञानिक अलग-अलग प्रकार की खोजें करते रहते हैं। इस क्रम में मंगल ग्रह और पृथ्वी के उपग्रह चंद्रमा पर कई रिसर्च किए जा रहे हैं। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर जीवन को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि वो 2025 तक चांद पर पौधे उगाएंगे। इसके लिए उन्होंने एक खास प्लान का निर्माण किया है। 

ऑस्ट्रेलिया के एक स्टार्ट-अप कंपनी लूनारिया वन ने 2025 की शुरुआत में चंद्रमा पर पौधे उगाने की योजना की घोषणा की है। चंद्रमा की सतह पर पौधे उग सकते हैं या नहीं? इस जांच के लिए कंपनी ने अपनी परियोजना आरम्भ की है। 
 
इजरायली स्पेसक्राफ्ट के साथ भेजे जाएगें बीज

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर और कंपनी के विज्ञान सलाहकार केटिलन बर्ट ने कहा कि, यह मिशन पौधों की अंकुरण से जुड़ी ज्ञान का उपयोग करने का एक विशेष अवसर है। वैज्ञानिकों के अनुसार चंद्रमा पर जीवित रह सके ऐसे पौधों को चिंहित की जाएगी। इस परियोजना के लिए पौधों को इस आधार पर चुना जाएगा कि वो कितनी जल्दी अंकुरित होते हैं और खराब हालत में कितने देर जीवित रह सकते हैं। रिसर्च करने वाली टीम को उम्मीद है कि यह रिसर्च स्थायी खाद्य उत्पादन के लिए नए तरीकों को खोलेगा और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देगा। बर्ट ने कहा, "अगर आप चंद्रमा पर पौंधों को उगाने का तंत्र बना सकते हैं, तो आप धरती के सबसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में भोजन उगाने की प्रणाली बना सकते हैं"।

एक निजी इजरायली चंद्रमा मिशन के अंतर्गत जा रहे बेरेशीट 2 स्पेशक्राफ्ट के साथ बीज भेजे जाएंगे। जिसमें विशेष रुप से बनाये गये चैंबर के जरिए निर्जलित निष्क्रिय बीज और पौधें को रखा जाएगा। चंद्रमा के सतह पर उतरने पर बीज अंकुरित हो जाएगे और पानी के सहारे एक बार फिर क्रियाशील हो जाएंगे। जिसके बाद 72 घंटे तक उनकी विकास और अंकुरण की निगरानी की जाएगी। इस मिशन में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, इजराइल और दक्षिण अफ्रिका के वैज्ञानिक शामिल हैं। मिशन के सफल होने पर भविष्य में इंसानों के चांद पर रहने का रास्ता साफ हो सकेगा।  

बता दें कि अपोलो मिशन 11, 12 और 17 के दौरान चंद्रमा की 12 ग्राम मिट्टी लाई गई थी। जिस पर वैज्ञानिकों ने 11 साल तक शोध किया। इतनी कम मिट्टी में पौधों को उगाना संभव नहीं था लेकिन वैज्ञानिकों ने आखिर में सफलता पा ली। 6 दिनों के बाद पृथ्वी की तरह ही चंद्रमा की मिट्टी पर भी पौधे उगने लगे। इसके 3 हफ्ते बाद की पौधों की डीएनए जांच में इसे सामान्य पौधों के समान ही पाया गया। 


         

Created On :   8 Oct 2022 5:53 PM GMT

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