एवरेस्ट पर बढ़ रहा है प्रदूषण, बीमारी फैलने का डर

एवरेस्ट पर बढ़ रहा है प्रदूषण, बीमारी फैलने का डर
हाईलाइट
  • इस रास्ते में पर्वतारोहियों ने खाली ऑक्सीजन सिलेंडर
  • पर्वतारोहण के टूटे हुए उपकरण
  • मानव मल और खाने पीने के सामान का कचरा सब वहीं छोड़ दिया है।
  • एवरेस्ट को कभी-कभी विश्व के सबसे ऊंचे कचरा डंप भी कहा जाता है।
  • पिछले 62 वर्षों में इस चोटी पर करीब 4 हजार पर्वतारोहियों ने चढ़ने की कोशिश की है।
  • सर एडमंड हिलेरी और तेंजिंग नॉर्गे के एवरेस्ट पर जाने से पहले तक पृथ्वी का ये हिस्सा एक सुनसान इलाका माना जाता

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। हम धरती पर बढ़ रहे प्रदूषण से वाकिफ हैं जो दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। इसमें चौकाने वाली बात ये है कि हिमालय की चोटियों पर भी प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। खासकर दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट को सबसे ज्यादा प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। एवरेस्ट पर बढ़ते कचरे और मनुष्य के मल के भारी मात्रा में इकठ्ठा होने से आस-पास के इलाकों में बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। नेपाल की सरकार और माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के सदस्यों ने इसे लेकर कई बार कठोर कदम उठाने की कोशिश की है लेकिन उन्हें अब तक पूरी कामयाबी नहीं मिली है।   

4 हजार से ज्यादा पर्वतारोही एवरेस्ट अभियान पर गए

सर एडमंड हिलेरी और तेंजिंग नॉर्गे के एवरेस्ट पर जाने से पहले तक पृथ्वी का ये हिस्सा एक सुनसान इलाका माना जाता था। पिछले 62 वर्षों में इस चोटी पर करीब 4 हजार पर्वतारोहियों ने चढ़ने की कोशिश की है। इस रास्ते में पर्वतारोहियों ने खाली ऑक्सीजन सिलेंडर, पर्वतारोहण के टूटे हुए उपकरण, मानव मल और खाने पीने के सामान का कचरा सब वहीं छोड़ दिया है। 

चोटी की तरफ जाने वाले दो मुख्य मार्ग, पूर्वोत्तर मार्ग और दक्षिण-पूर्वी श्रंखला, न केवल खतरनाक रूप से भीड़ वाले रास्ते हैं, बल्कि बुरी तरह प्रदूषित भी हो गए हैं। कचरे के साथ-साथ मानव मल भी यहां ऊंचाई पर बने शिविरों में फंसा हुआ है। 
नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आंग शेरिंग ने चेतावनी दी है कि मानव मल और मानव के द्वारा किया गया कचरा हद से बाहर जा चुका है। इतना ही नहीं ये दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर पर प्रदूषण का कारण भी बन रहा है।

शौच के बाद बर्फ में दबा दिया जाता है मानव मल 

दरअसल पर्वतारोहियों के पास टेंट में शौचालय मौजूद होते हैं जिसे निचले इलाकों में ले जाकर फेंक दिया जाता है। लेकिन पर्वत पर चढ़ाई करते वक्त पर्वतारोही आमतौर पर शौच के लिए बर्फ में ही गड्डा खोदते हैं और वहीं मानव मल छोड़ देते हैं। 

हर सीजन में लगभग 26,500 पाउंड्स मानव मल जमा हो जाता है। कुछ साल पहले, नेपाल की सरकार ने नया नियम स्थापित किया जिसमें प्रत्येक पर्वतारोही को पहाड़ से 18 पौंड कचरा लाने के लिए कहा गया था। एवरेस्ट के हर अभियान पर जाने वाले पर्वतारोहियों को कचरा जमा करने और अपना मल वापस लाने के लिए कहा गया है लेकिन इस नियम को कठोर तरीके से अब तक लागू नहीं किया गया है। 

दुनिया सबसे ऊंचा कचराघर बन रहा है एवरेस्ट 

एवरेस्ट को कभी-कभी विश्व के सबसे ऊंचे कचरा डंप भी कहा जाता है। शेरपाओं को हर एक किलो कचरा लाने के लिए 2 डॉलर दिए जाते है। पिछले कुछ सालों में करीब 16 टन कूड़े को पहाड़ से हटा दिया गया है लेकिन ये नहीं पता है कि अभी भी वहां कितना कचरा पड़ा हुआ है। कुछ चीजें जो पहाड़ से नीचे नहीं आ रही हैं वो है पर्वतारोहियों के मृत शरीर। कम से कम 200 डेड बॉडीज को अभी भी माउंट एवरेस्ट से नीचे नहीं लाया जा सका है।

Created On :   27 March 2018 4:02 PM IST

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